Hariyali Teej 2020: कब है हरियाली तीज? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व

By गुणातीत ओझा | Updated: July 18, 2020 07:31 IST2020-07-17T13:32:48+5:302020-07-18T07:31:15+5:30

हरियाली तीज का उत्सव भारत के अनेक भागों में मनाया जाता है। राजस्थान में विशेषकर जयपुर में इसका विशेष महत्त्व है।

Hariyali Teej 2020 date and time importance puja vidhi story Hariyali Teej shubh muhurt mythological significance | Hariyali Teej 2020: कब है हरियाली तीज? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व

जानें कब है हरियाली तीज।

Highlightsहरियाली तीज का उत्सव भारत के अनेक भागों में मनाया जाता है।राजस्थान में विशेषकर जयपुर में इसका विशेष महत्त्व है।

हरियाली तीज(Hariyali Teej) श्रावण मास में शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाई जाती है। यह उत्सव महिलाओं का उत्सव है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में इसे कजली तीज के रूप में मनाते हैं। सुहागन स्त्रियों के लिए यह व्रत काफी मायने रखता है। आस्था, उमंग, सौंदर्य और प्रेम का यह उत्सव शिव-पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। चारों तरफ हरियाली होने के कारण इसे हरियाली तीज कहते हैं। इस मौके पर महिलाएं झूला झूलती हैं, लोकगीत गाती हैं और खुशियां मनाती हैं। हरियाली तीज का पर्व भगवान शिव और मां पार्वती को समर्पित होता है। हरियाली तीज के दिन सुहागन स्त्रियां व्रत रखती हैं। मां पार्वती (Maa Parvati) और शिव जी (Lord Shiva) की पूजा करके अपने पति की लंबी उम्र और सौभाग्य की प्रार्थना करती हैं।

हरियाली तीज का मुहूर्त

(बुधवार) जुलाई 22, 2020 को 19:23:49 से तृतीया आरम्भ
(गुरुवार) जुलाई 23, 2020 को 17:04:45 पर तृतीया समाप्त

हरियाली तीज के अलग-अलग नाम

इस दौरान पृथ्वी पर चारों ओर हरियाली ही हरियाली दिखाई देती है और यही कारण है कि इसे हरियाली तीज कहा जाता है। ये पर्व उत्तर भारत के राज्यों का मुख्य त्यौहार है, जिसके चलते इसे उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार, झारखंड में हर साल हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। ये पर्व विदेशों में रह रहे भारतीयों द्वारा भी मनाया जाता है। वहीं पूर्वी उत्तर प्रदेश में इसे कजली तीज के नाम से जाना जाता है।

सालभर सावन और भाद्रपद के महीने में, कुल 3 तीज आती है। जिनमें पहली हरियाली तीज व छोटी तीज, दूसरी कजरी तीज और फिर अंत में हरतालिका तीज मनाई जाती है। हरियाली तीज हर वर्ष नागपंचमी पर्व से, ठीक 2 दिन पूर्व मनाई जाती है। हरियाली तीज से लगभग 15 दिन बाद कजली तीज आती है। तीज का त्योहार मुख्य रूप से महिलाओं में बेहद प्रसिद्ध होता है। इस दौरान महिलाओं द्वारा व्रत कर और सुंदर-सुंदर वस्त्र पहनकर, तीज के गीत गाए जाने की परंपरा है जिसे सालों से निभाया जा रहा है।

हरियाली तीज का महत्व

मान्यता है कि हरियाली तीज के ही दिन भगवान शिव पृथ्वी पर अपने ससुराल आते हैं, जहां उनका और मां पार्वती का सुंदर मिलन होता है। इसलिए इस तीज के दिन, महिलाएं सच्चे मन से मां पार्वती की पूजा-आराधना करते हुए उनसे आशीर्वाद के रूप में अपने खुशहाल और समृद्ध दांपत्य जीवन की कामना करती हैं। इस पर्व में हरे रंग का भी अपना एक अलग महत्व होता है। विवाहित महिलाएं इस दिन अपने पीहर जाती हैं, जहां वो हरे रंग के ही वस्त्र जैसे साड़ी या सूट पहनती हैं।

सुहाग की सामग्री के रूप में इस दिन हरी चूड़ियां ही पहने जाने का विधान है। साथ ही महिलाएं इस पर्व पर खास झूला डालने की परंपरा भी निभाती हैं। यही कारण है कि इस दिन विवाहित और कुंवारी महिलाओं को भी पूर्ण श्रृंगार करके झूला झूलते देखा जाता है। विवाहित महिलाओं के ससुराल पक्ष द्वारा इस दौरान सिंधारा देने की परंपरा है जो एक सास अपनी बहू को उसके मायके जाकर देती हैं। सिंधारे के रूप में महिला को मेहंदी, हरी चूड़ियां, हरी साड़ी, घर के बने स्वादिष्ट पकवान और मिठाइयां जैसे गुजिया, मठरी, घेवर, फैनी दी जाती हैं। सिंधारा देने के कारण ही, इस तीज को सिंधारा तीज भी कहा जाता है। सिंधारा सास और बहु के आपसी प्रेम और स्नेह का प्रतिनिधित्व करता है। (साभार- Astrosage.com)

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