Hanuman Jayanti 2025: पंचमुखी हनुमान के पूजन से दूर होता भय?, बढ़ता है आत्मविश्वास, जानिए रुद्रावतार के महास्वरूप की कहानी

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: April 12, 2025 05:17 IST2025-04-12T05:17:16+5:302025-04-12T05:17:16+5:30

Hanuman Jayanti 2025: हनुमान जी के पंचमुखी स्वरूप में उत्तर दिशा में वराह मुख, दक्षिण में नरसिंह मुख, पश्चिम में गरुड़ मुख, आकाश की तरफ हयग्रीव मुख और पूर्व दिशा में हनुमान मुख है।

Hanuman Jayanti 2025 Worship Panchmukhi Hanuman removes fear, increases self-confidence, know story this great Rudravatar | Hanuman Jayanti 2025: पंचमुखी हनुमान के पूजन से दूर होता भय?, बढ़ता है आत्मविश्वास, जानिए रुद्रावतार के महास्वरूप की कहानी

सांकेतिक फोटो

Highlightsपंचमुखी हनुमान के स्वरूप का ध्यान करने से ,भक्त का आत्मविश्वास बढ़ता है।पंचमुखी स्वरूप की कथा हनुमान जी और अहिरावण से जुड़ी है। श्रीराम-लक्ष्मण सहित पूरी वानर सेना को बेहोश कर दिया।

Hanuman Jayanti 2025: आज बहुत ही पावन दिन है क्योंकि आज हनुमान जी का प्रकट उत्सव है। त्रैतायुग में चैत्र पूर्णिमा पर माता अंजनी और वानर केसरी के यहां हनुमान जी का अवतार हुआ था। हर साल चैत्र पूर्णिमा पर हनुमान जी के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। हनुमान जी का एक स्वरूप है पंचमुखी। ये स्वरूप वीरता और साहस का प्रतीक है। जो लोग रुद्रवतार प्रभु के इस स्वरूप की पूजा और वंदना करते हैं, उनकी राह में भय, क्लेश और बाधा कभी नहीं आती है। पंचमुखी हनुमान के स्वरूप का ध्यान करने से ,भक्त का आत्मविश्वास बढ़ता है।

उन्हें जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलती है। काशी के ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक हनुमान जी के पंचमुखी स्वरूप में उत्तर दिशा में वराह मुख, दक्षिण में नरसिंह मुख, पश्चिम में गरुड़ मुख, आकाश की तरफ हयग्रीव मुख और पूर्व दिशा में हनुमान मुख है।

अहिरावण वध के लिए हनुमान जी ने धारण किया था पंचमुखी स्वरूप

पंचमुखी स्वरूप की कथा हनुमान जी और अहिरावण से जुड़ी है। पौराणिक कथा के अनुसार श्रीराम और रावण का युद्ध के समय रावण के यौद्धा श्रीराम को रोक नहीं पा रहे थे। तब रावण ने अपने मायावी भाई अहिरावण को बुलाया। अहिरावण मां भगवती का भक्त था। उसने अपनी माया रची और श्रीराम-लक्ष्मण सहित पूरी वानर सेना को बेहोश कर दिया।

इसके बाद वह श्रीराम-लक्ष्मण को पाताल ले गया और बंदी बना लिया। जब अहिरावण युद्ध भूमि से चला गया तो उसकी माया खत्म हुई। हनुमान जी, विभीषण और पूरी वानर सेना को होश आया तो विभीषण समझ गए कि ये सब अहिरावण ने किया है। विभीषण ने हनुमान जी को श्रीराम-लक्ष्मण की मदद के लिए पाताल भेज दिया।

विभीषण ने हनुमान जी को बताया था कि अहिरावण ने मां भगवती को प्रसन्न करने के लिए पांच दिशाओं में दीपक जला रखे हैं। जब तक ये पांचों दीपक जलते रहेंगे, तब तक अहिरावण को पराजित करना संभव नहीं है। ये पांचों दीपक एक साथ बुझाने पर ही अहिरावण की शक्तियां खत्म हो सकती हैं।

विभीषण की बातें सुनकर हनुमान जी पाताल लोक पहुंच गए। पाताल में उन्होंने देखा कि अहिरावण ने एक जगह पांच दीपक जला रखे हैं। हनुमान जी ने पांचों दीपक एक साथ बुझाने के लिए पंचमुखी रूप धारण किया और पांचों दीपक एक साथ बुझा दिए। दीपक बुझने के बाद अहिरावण की शक्तियां खत्म हो गईं और हनुमान जी ने उसका वध कर दिया। उसके बाद हनुमान जी ने श्रीराम-लक्ष्मण को कैद से मुक्त कराया और उन्हें सुरक्षित लेकर लंका पहुंच गए।

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