Guru Purnima 2025: गुरु पूर्णिमा के दिन कैसे करें गुरु पूजन, जानें पूजा विधि और महत्व
By रुस्तम राणा | Updated: July 10, 2025 07:39 IST2025-07-10T07:39:56+5:302025-07-10T07:39:56+5:30
गुरु पूर्णिमा का पर्व महर्षि वेदव्यास के जन्मदिवस के रूप में भी मनाया जाता है। उन्होंने चारों वेदों का संपादन किया था, इसलिए उन्हें 'व्यास भगवान' कहा गया। इसी कारण इस दिन को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है

Guru Purnima 2025: गुरु पूर्णिमा के दिन कैसे करें गुरु पूजन, जानें पूजा विधि और महत्व
Guru Purnima 2025: आज देशभर में गुरु पूर्णिमा का उत्सव धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। यह पर्व आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को आता है और हिंदू धर्म में गुरु के प्रति श्रद्धा और सम्मान व्यक्त करने का सबसे बड़ा दिन माना जाता है। गुरु को ब्रह्मा, विष्णु और महेश, यहां तक की परम ब्रह्म के समान दर्जा दिया गया है, क्योंकि वे शिष्य को अज्ञान से ज्ञान की ओर ले जाते हैं।
गुरु पूजन विधि – कैसे करें गुरु पूजा
प्रात: स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें और साफ स्थान पर आसन लगाएं।
अपने इष्ट देव और गुरु की मूर्ति या तस्वीर को लाल/पीले वस्त्र पर स्थापित करें।
उन्हें फूल, चंदन, अक्षत, धूप और दीपक अर्पित करें।
यदि संभव हो तो गुरु को दक्षिणा, वस्त्र या उपहार भेंट करें।
गुरु के चरणों में बैठकर गुरु स्तोत्र या गुरु मंत्र जैसे “गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः...” का जाप करें।
गुरु के वचनों का स्मरण करें और उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लें।
इस दिन क्या करें, क्या न करें
अहंकार, आलस्य, और गाली-गलौज से बचें।
गुरु या माता-पिता से कटु वचन बिल्कुल न कहें।
किसी को अपमानित न करें, विशेषकर बुजुर्गों को।
जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र या किताबें दान करें।
गुरु पूर्णिमा का महत्व
गुरु पूर्णिमा का पर्व महर्षि वेदव्यास के जन्मदिवस के रूप में भी मनाया जाता है। उन्होंने चारों वेदों का संपादन किया था, इसलिए उन्हें 'व्यास भगवान' कहा गया। इसी कारण इस दिन को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस दिन शिष्य अपने गुरु के चरणों में नतमस्तक होकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। गुरु पूर्णिमा न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह आत्मिक उन्नति का अवसर भी है। अपने जीवन में जो भी आपको सही मार्ग दिखाता है — माता-पिता, शिक्षक, या आध्यात्मिक गुरु — उन्हें इस दिन स्मरण और सम्मान करना परम कर्तव्य है।