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गुरु नानक जयंती 2018: ये 5 हैं प्रमुख गुरुद्वारा, जानिए क्या है इससे जुड़ा इतिहास

By मेघना वर्मा | Updated: November 22, 2018 10:35 IST

70 साल की उम्र में गुरु नानक देव डेरा बाबा नानक गुरु द्वारे में परम ज्योति में विलीन हो गए।

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देश भर में कल यानी 23 नवंबर को गुरु नानक जयंती मनाई जाएगी। मान्यता है कि इसी दिन सिख धर्म के पहले गुरु, गुरु नानक देव का जन्म हुआ था। बहुत से लोग इस पर्व को गुरु पर्व के नाम से भी जानते हैं। हिन्दू पंचाग के हिसाब से कार्तिक महीने की पूर्णिमा के दिन इस पर्व को मनाया जाता है। इस दिन को सिखों के सबसे पवित्र पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस दिन गुरु ग्रंथ साहिब में लिखे नान देव की शिक्षाएं पढ़ी जाती है। गुरु नानक देव के देश भर में कुछ प्रमुख गुरुद्वारा साहिब है आप भी जानें कौन से हैं ये गुरुद्वारा साहिब। 

1. गुरुद्वारा कंध साहिब (गुरुदासपुर)

गुरु नानक देव की प्रमुख गुरुद्वारा साहिब की बात करें तो वो है बटाला के गुरुदासपुर में स्थित गुरुद्वारा कंध साहिब। हर सार यहां गुरु नानक की जयंती को बेहद धूम-धाम से मनाया जाता है। सिर्फ यही नहीं इस गुरुद्वारा में हर साल गुरु नानक का विवाह का भी उत्सव का आयोजन भी किया जाता है। 

2. गुरु बाग का गुरुद्वारा

कपूरथला के सुल्तानपुर लोधी में स्थित गुरुद्वारा गुरु का बाग भी बेहद प्रमुथ माना गया है। मान्यता है कि यह नानक देवजी का घर था। इसी घर में उनके दो बेटों का जन्म हुआ। मान्यता ये भी है कि नवाब दौलतखान ने किसी गड़बड़ी की आशंका के चलते गुरु नानक देव को जेल भेज दिया था। मगर जब उन्हें सच्चाई का पता चला तो उन्होंने गुरु नानक देव से फौरन माफी मांगी। 

3. हाट साहिब गुरुद्वारा

मान्यता है कि गुरुनानक के बहनोई जैराम के माध्यम से सुल्तानपुर के नवाब के यहां शाही भंडारे में नौकरी शुरू की। नवाब साहब युवा नानक से काफी प्रभावित हुए। यहीं से नानक को तेरा शब्द के माध्यम से अपनी मंजिल का आभास हुआ था। हर साल गुरु नानक देव की जयंती पर इस गुरुद्वारे मे भी धूम देखने को मिलती है। 

4. गुरुदासपुर का अचल साहिब

बताया जाता है कि अपनी यात्राओं के दौरान नानकदेव यही रुके थे। नाथपंथी योगियों के प्रमुख योगी भांगर नाथ  के साथ उनका धार्मिक वाद-विवाद यही हुआ था। इसी गुरुद्वारे में नानक जी ने बताया था कि ईश्वर तक प्रेम के माध्यम से पहुंचा जा सकता है। 

5. डेरा बाबा नानक

गुरुदासपुर में स्थित इस गुरुद्वारे की मान्यता है कि नानक देव जी ने रावी नदी के समीप डेरा जमाया। 70 साल की उम्र में यही पर वो परम ज्योति में विलीन हो गए। यही कारण है कि गुरु नानक देव के भक्तों और सिक्खों के बीच डेरे की काफी मान्यता है।     

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