हिन्दू धर्म में भगवान श्रीकृष्ण को विष्णु का अवतार माना जाता है। अपनी बंसी से सबका मन मोहने वाले नंद लाल को ग्वाला भी कहा गया है। हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को गोपाष्टमी के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने गौ चारण की लीला शुरू की थी। गाय को मां का दर्जा दिलाकर श्रीकृष्ण ने लोगों को उनकी पूजा करने के लिए प्रेरित किया था। इस साल 16 नवंबर को कृष्ण ग्वाला अष्टमी या गोपाष्टमी मनाई जाएगी।
गौमाता करती हैं हर मनोकामना पूरी
गोपाष्टमी के महत्व की बात करें तो माना जाता है कि इस दिन पूजा और उपवास करने से हर तरह की मनोकामना पूरी हो जाती है। माना तो ये भी जाता है कि जिस तरह हर मां अपने बच्चे को हमेशा सफलता का आशीर्वाद देती है इसी प्रकार गोपाष्टमी में गाय की पूजा करने से सफलता का आशीर्वाद मिलता है। पुराणों के अनुसार इसी दिन कृष्ण की माता यशोदा ने श्री कृष्ण से गाय चरान के लिए कहा था। इसके लिए उन्होंने पिता नंद महाराज से इसकी अनुमति भी ली थी। इसी के बाद श्रीकृष्ण पहली बार गौ चारण लीला शुरू की थी।
बाल लीलाओं में गौ माता की सेवा का होता है जिक्र
गाय माता का दूध, घी, दही, छाछ और मूत्र, इंसान के स्वास्थय के लिए फायदेमंद होता है। ये त्योहार इस बात को याद करने का प्रतीक है कि गाय हम सभी के लिए कितनी कीमती और ऋणी है। गाय का हमेशा सम्मान करना चाहिए और उनकी सेवा करना चाहिए। कृष्ण की बाल लीलाओं में भी गौ माता की सेवा का जिक्र है।
ये है पूजा का शुभ मुहूर्त
गोपाष्टमी: 16 नवंबर 2018गोपाष्टमी तिथि प्रारंभ: 07:04, 15 नवंबर 2018गोपाष्टमी तिथि अंत: 09:40, 16 नवंबर 2018