Gopashtami 2019: गोपाष्टमी आज, गौ माता को चढ़ाएं बस ये हरी चीज जीवन भर नहीं होगा कोई कष्ट- जानें पूजा विधि
By मेघना वर्मा | Published: November 4, 2019 07:24 AM2019-11-04T07:24:17+5:302019-11-04T07:24:17+5:30
हिन्दू संस्कृति में गाय का विशेष महत्व है और उन्हीं को समर्पित हैं ये पर्व गोपाष्टमी। गोपाष्टमी के शुभ अवसर पर गौशाला में गोसंवर्धन हेतु गौ पूजन का आयोजित किया जाता है।
देश भर में आज गोपाष्टमी का पावन पर्व मनाया जाएगा। विशेषकर ब्रज में इसकी अलग ही छठा देखने को मिलती है। भारतीय संस्कृति में गाय को मां का दर्जा दिया गया है। गाय के इसी उत्सव को मनाने का पर्व गोपाष्टमी इस साल 4 नवंबर को पड़ा है। कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से सपत्मी तक श्रीकृष्ण ने गो-गोप-गोपियों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को धारण किया था। तब से ये पर्व आज तक मनाया जाता आ रहा है।
हिन्दू संस्कृति में गाय का विशेष महत्व है और उन्हीं को समर्पित हैं ये पर्व गोपाष्टमी। गोपाष्टमी के शुभ अवसर पर गौशाला में गोसंवर्धन हेतु गौ पूजन का आयोजित किया जाता है। इस दिन सभी परिवार के लोग गौ यानी गाय की विधि विधान से पूजा करते हैं।
गोपाष्टमी का महत्व
गोपाष्टमी के पर्व पर गाय की विशेष पूजा की जाती है। कार्तिक माह की शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि को सुबह गौ का स्नान कराकर उन्हें फूल चढ़ाना चाहिए और उनकी पूजा की जानी चाहिए। शास्त्रों में गाय का बहुत अधिक महत्व बताया गया है। गाय को मां का दर्जा दिया गया है। गायों के साथ कुछ दूर चलने से प्रगति का मार्ग प्रशस्त होता है। सिर्फ यही नहीं गाय को भोजन कराने से सौभाग्य की वृद्धि होती है।
गौ माता को खिलाएं हरी घास
आज के दिन गौ माता को हरी घास खिलाना बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन गाय माता का आतिथ्य, अभिवादन और पंचोपचार-पूजन करके उन्हें हरी घास, भोजन आदि खिलाएं और उनकी चरणरज ललाट पर लगाए, इससे सौभाग्य की वृद्धि होती है।
गोपाष्टमी की तिथि व मुहूर्त
गोपाष्टमी - 4 नवंबर 2019
गोपाष्टमी तिथि प्रारंभ - प्रातः 02:56 (4 नवंबर 2019)
गोपाष्टमी तिथि अंत - प्रातः 04:57 (5 नवंबर 2019)
गोपाष्टमी की पूजा विधि
1. गोपाष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करके साफ वस्त्र धारण करें।
2. इसके बाद गायों को भी स्नान कराएं।
3. स्नान आदि के बाद गौ माता के अंग मं मेहंदी, हल्दी, रंग के छापे से उन्हें सजाएं।
4. गौ माता की सींग पर चुनरी का पट्टा बांधे।
5. इसके बाद गौ माता की परिक्रमा कर उन्हें बाहर ले जाएं।
6. धूप, दीप, अक्षत, रोली, गुड़ आदि से उनकी पूजा करें।
7. गोपाष्टमी के दिन ग्वालों को दान देने का महत्व है।