Dussehra 2019: इस गांव में हिन्दू-मुस्लिम मिलकर करते हैं रावण का वध, बेहद रोमांचक है यहां की परम्परा
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: October 7, 2019 14:24 IST2019-10-07T14:22:02+5:302019-10-07T14:24:42+5:30
चैत्र नवरात्रि पर रावण की नाक काटने की यह परंपरा सालों पहले से चली आ रही है। रावण की मूर्ति की नाक पर वार कर इसे सांकेतिक रूप से काट देता है।

Dussehra 2019: इस गांव में हिन्दू-मुस्लिम मिलकर करते हैं रावण का वध, बेहद रोमांचक है यहां की परम्परा
पूरे देश इस समय दशहरे के रंग में रंगा है। नवरात्र की समाप्ति के बाद रावण जलाकर लोग बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाने की तैयारियां कर रहे हैं। रावण का दहन इस बार मंगलवार(8 अक्टूबर) को किया जाएगा। मगर देश में एक ऐसा राज्य भी है जहां रावण की नाक को पहले ही काट कर उसका अंत कर दिया जाता है।
हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश के रतलाम जिले की। जहां का एक गांव ऐसा है जहां 10 सिरों वाले इस पौराणिक पात्र की मूर्ति बनाकर उसकी नाक काट दी जाती है। यह प्रक्रिया दशहरे वाले दिन नहीं बल्कि उससे छह महीने पहले ही कर दी जाती है।
दरअसल, इस गांव में शारदीय नवरात्रि के बजाय गर्मियों में पड़ने वाली चैत्र नवरात्रि में रावण के अंत की परंपरा है। यह अनूठी रिवायत सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल भी है। इसे निभाने में मुस्लिम समुदाय के लोग भी बढ़-चढ़कर मदद करते हैं।
करीब 3,500 की आबादी वाला चिकलाना गांव हिंदू बहुल है। लेकिन यह बात इसे अन्य स्थानों से अलग करती है कि चैत्र नवरात्रि के अगले दिन रावण की नाक काटने की परंपरा में गांव का मुस्लिम समुदाय भी पूरे उत्साह के साथ मददगार बनता है।
गांव के लोगों की मानें तो इस परंपरा में सभी धर्मों के लोग शामिल होते हैं। मुस्लिम समुदाय भी आयोजकों की हर मुमकिन मदद करता है। गांव में करीब 15 फुट ऊंची स्थायी मूर्ति बनवा दी है जिसमें 10 सिरों वाला रावण सिंहासन पर बैठा नजर आता है। गांव में जिस जगह रावण की यह मूर्ति स्थित है, उसे दशहरा मैदान घोषित किया गया है।
चैत्र नवरात्रि की यह परंपरा सालों पहले से चली आ रही है। इसके चलते गांव के एक प्रतिष्ठित परिवार का व्यक्ति भाले से रावण की मूर्ति की नाक पर वार कर इसे सांकेतिक रूप से काट देता है। हिंदी कहावत के अनुसार रावण की नाक काटे जाने की परंपरा में यह अहम संदेश छिपा है कि बुराई के प्रतीक की सार्वजनिक रूप से निंदा के जरिये उसके अहंकार को नष्ट करने में हमें कभी पीछे नहीं हटना चाहिये।

