Chhath Puja 2024: छठ के दूसरे दिन खरना का विशेष महत्व क्यों है? इस दिन मिट्टी के चूल्हे पर खाना क्यों पकाया जाता है
By संदीप दाहिमा | Updated: November 5, 2024 22:57 IST2024-11-05T22:57:34+5:302024-11-05T22:57:34+5:30
Chhath Puja 2024 Second Day Kharna: छठ पूजा के दूसरे दिन को "खरना" कहा जाता है, और इसका छठ महापर्व में विशेष महत्व है। खरना व्रतियों (छठ व्रत करने वाले) के लिए शुद्धता, तपस्या और श्रद्धा का प्रतीक है। खरना के दिन व्रती पूरे दिन उपवास रखकर शाम को सूर्यास्त के समय भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत खोलते हैं। इस दिन का उपवास और प्रसाद विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि यह शरीर और मन को शुद्ध करने का एक साधन है।

Chhath Puja 2024: छठ के दूसरे दिन खरना का विशेष महत्व क्यों है? इस दिन मिट्टी के चूल्हे पर खाना क्यों पकाया जाता है
Chhath Puja 2024 Second Day Kharna: छठ पूजा के दूसरे दिन को "खरना" कहा जाता है, और इसका छठ महापर्व में विशेष महत्व है। खरना व्रतियों (छठ व्रत करने वाले) के लिए शुद्धता, तपस्या और श्रद्धा का प्रतीक है। खरना के दिन व्रती पूरे दिन उपवास रखकर शाम को सूर्यास्त के समय भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत खोलते हैं। इस दिन का उपवास और प्रसाद विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि यह शरीर और मन को शुद्ध करने का एक साधन है।
मिट्टी के चूल्हे पर खाना पकाने का विशेष महत्व है क्योंकि छठ पूजा में शुद्धता और प्राकृतिकता का बहुत महत्व होता है। मिट्टी का चूल्हा और लकड़ी का ईंधन एक पारंपरिक तरीका है, जो प्रसाद को अशुद्धता से दूर रखता है। इस चूल्हे पर पकाया गया भोजन शुद्ध और सात्विक माना जाता है, जिससे उसमें एक विशेष प्रकार की पवित्रता बनी रहती है। इसके अलावा, मिट्टी के बर्तनों और चूल्हे में भोजन पकाने से उसमें एक प्राकृतिक स्वाद आता है, और इसे देवी प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक भी माना जाता है।
खरना के प्रसाद में गन्ने के रस या गुड़ से बनी "खीर" और गेहूं का "रोटी" प्रमुख होते हैं। व्रती इसे सूर्य देव को अर्पित करने के बाद ग्रहण करते हैं और परिवार में प्रसाद के रूप में बांटते हैं।