Chhath Puja 2021: उषा अर्घ्य के साथ समाप्त हुआ चार दिवसीय छठ महापर्व
By रुस्तम राणा | Published: November 11, 2021 07:50 AM2021-11-11T07:50:31+5:302021-11-11T08:01:55+5:30
मुहूर्त के अनुसार सुबह 6.41 बजे व्रतियों ने उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत पारण किया। उषा अर्घ्य देने के बाद व्रतियों ने प्रसाद बांटकर घर के बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लेकर अपना व्रत खोला।
उषा अर्घ्य के साथ आज चार दिवसीय छठ महापर्व का समापन हो गया। आज छठ पूजा के आखिरी दिन उगते हुए सूर्य देवता को जल चढ़ाया जाता है। आज तड़के सुबह से ही लोग घाटों पर पहुंचना शुरू हो गए थे। मुहूर्त के अनुसार सुबह 6.41 बजे व्रतियों ने उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत पारण किया। उषा अर्घ्य देने के बाद व्रतियों ने प्रसाद बांटकर घर के बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लेकर अपना व्रत खोला। मान्यता है कि विधि विधान से पूजा करने और अर्घ्य देने से सभी तरह की मनोकामना पूर्ण होती है।
Bihar: People offer 'arag' to the Sun God at Patna College Ghat in the city on the last day of Chhath puja festival pic.twitter.com/by8itaQIXU
— ANI (@ANI) November 11, 2021
#WATCH | Devotees make offerings to Sun God while standing in knee-deep water of toxic foam-laden Yamuna river, near Kalindi Kunj in Delhi on the last day of Chhath puja pic.twitter.com/9B10llIPf2
— ANI (@ANI) November 11, 2021
चार दिनों तक चलता है छठ महापर्व
छठ पूजा पर्व चार दिनों तक चलता है। यह व्रत नहाय खाय के साथ शुरू होता है। इस बार नहाय खाय 8 नवंबर को था। उसके अगले दिन 9 नवंबर को खरना की परंपरा निभाई गई। फिर 10 नवंबर को अस्तचलगामी सूर्य देव को अर्घ्य दिया गया और आज सुबह 11 नवंबर को सूर्योदय के समय अर्घ्य देने की परंपरा को विधि विधान से निभाई गई।
कठिन होता है छठ पूजा का व्रत
छठ पूजा का व्रत कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। यह व्रत 36 घंटों के लिए रखा जाता है। इस अवधि में व्रती को बिना कुछ खाय-पीये रहना पड़ता है। इस पूजा में मन्नत के लिए कुछ लोग जमीन पर बार-बार लेटकर, कष्ट सहते हुए घाट की ओर जाते हैं।
छठ पूजा का महत्व
धार्मिक मान्यता है कि छठी मैया संतान की रक्षा करने वाली देवी हैं और सूर्य की उपासना करने से मनुष्य को सभी तरह के रोगों से छुटकारा मिल जाता है। जो सूर्य की उपासना करते हैं, वे दरिद्र, दुखी, शोकग्रस्त और अंधे नहीं होते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, एकबार भगवान श्रीकृष्ण ने उत्तरा को यह व्रत रखने और पूजा करने की सलाह दी थी। दरअसल महाभारत के युद्ध के बाद अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहे बच्चे का वध कर दिया गया। तब उसे बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने उत्तरा को षष्ठी व्रत (छठ पूजा) का रखने के लिए कहा। यानि संतान की रक्षा, दीर्घायु और स्वस्थ जीवन का आशीर्वाद पाने के लिए यह पूजा की जाती है।