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Chhath Puja 2019: पढ़ें छठी मईया की आरती

By मेघना वर्मा | Updated: November 2, 2019 14:45 IST

तीन दिनों तक चलने वाले इस व्रत में सूर्य देव और छठी माई की पूजा की जाती है। आज यानी छठ के तीसरे दिन भगवान भास्कर को अर्घ्य देने की प्रथा होती है।

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ठळक मुद्देछठ के तीसरे दिन भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया जाता है।छठ पूजा में सूप, टोकरी, मिट्टी के बर्तनों का ही प्रयोग होता है।

पूरे देश में छठ पर्व की छठा देखी जा सकती है। राजधानी दिल्ली से लेकर मुंबई तक इस पर्व की धूम है। खासकर बिहार और उत्तर प्रदेश में इसका अलग ही रंग देखने को मिलता है। खरना पूजा के बाद 36 घंटे का सबसे कठिन व्रत शुरू हो चुका है। जिसमें महिलाएं दिन भर निर्जला व्रत रखेंगी। फिर शाम को और अगली सुबह भगवान भास्कर को अर्घ्य देकर ही इस व्रत का पारण करेंगी। 

तीन दिनों तक चलने वाले इस व्रत में सूर्य देव और छठी माई की पूजा की जाती है। आज यानी छठ के तीसरे दिन भगवान भास्कर को अर्घ्य देने की प्रथा होती है। छठ को सुहाग की रक्षा के लिए भी महिलाएं रहती हैं। छठ पर्व पर छठी मईया के गीत भी गाए जाते हैं और उनकी कथा-आरती भी पूरे मन से पढ़ी जाती है।

इस व्रत में महिलाएं पूजा के समय नाक से लेकर मांग तक का लंबा सा सिंदूर लगाती हैं। नहाय-खाय से शुरू होने वाले इस व्रत में खरना और सूर्य को अर्घ्य देने के बाद ही ये व्रत खत्म होता है। 

छठ मईया की आरती

जय छठी मईया ऊ जे केरवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥जय॥

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।ऊ जे नारियर जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए॥जय॥

मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय॥जय॥

अमरुदवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥जय॥

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।शरीफवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए॥जय॥

मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय॥जय॥

ऊ जे सेववा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥जय॥

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