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Chhath Puja 2019: देशभर में आज नहाय-खाय से शुरू हुआ छठ का महापर्व, जानें भद्रा योग

By मेघना वर्मा | Updated: October 31, 2019 08:31 IST

छठ के इस व्रत में भगवान सूर्य और छठी मईया की पूजा की जाती है। छठ को सुहाग की रक्षा के लिए भी महिलाएं रहती हैं।

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ठळक मुद्देदेश भर में आज से छठ पर्व की शुरुआत हो चुकी है। नहाय-खाय से शुरू होने वाले इस व्रत के बाद खरना और सूरज को अर्घ्य देने के बाद इसकी समाप्ती होती है।

देशभर में आज नहाय-खाय के साथ छठ के महापर्व की शुरुआत हो चुकी हैं। विशेषकर उत्तर प्रदेश और बिहार राज्य में छठ की धूम देखने को मिलती है। तीन दिनों तक चलने वाले इस व्रत की तैयारियों महिलाओं ने शुरू कर दी है। छठ पर्व को हिन्दू धर्म के कुछ सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। जिसमें चढ़ते और ढलते सूरज को अर्घ्य दिया जाता है।

छठ के इस व्रत में भगवान सूर्य और छठी मईया की पूजा की जाती है। छठ को सुहाग की रक्षा के लिए भी महिलाएं रहती हैं। इस व्रत में महिलाएं पूजा के समय नाक से लेकर मांग तक का लंबा सा सिंदूर लगाती हैं। नहाय-खाय से शुरू होने वाले इस व्रत में खरना और सूर्य को अर्घ्य देने के बाद ही ये व्रत खत्म होता है। छठ ही एक ऐसा पर्व है जिसमें ढलते सूरज को अर्घ्य दिया जाता है। 

छठ पर भद्र काल

ज्योतिषाशास्त्रों की मानें तो इस बार गुरुवार को भद्रा का योग रहेगा। छठ पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष चतुर्थी, 31 अक्तूबर शनिवार से शुरू हुआ है। वहीं इसका समापन तीन नवंबर रविवार को होगा। गुरुवार को शाम 4:45 के बाद भद्रा का योग है। 

इस साल छठ पर्व का शुभ मुहूर्तछठ पूजा का कैलेंडर

छठ पूजा नहाय-खाए (31 अक्टूबर)

खरना का दिन (1 नवम्बर)

छठ पूजा संध्या अर्घ्य का दिन (2 नवम्बर)

उषा अर्घ्य का दिन (3 नवम्बर)

पूजा के लिए शुभ मुहूर्त-

पूजा का दिन- 2 नवंबर, शनिवार

पूजा के दिन सूर्योदय का शुभ मुहूर्त- 06:33

छठ पूजा के दिन सूर्यास्त का शुभ मुहूर्त- 17:35

षष्ठी तिथि आरंभ- 00:51 (2 नवंबर 2019)

षष्ठी तिथि समाप्त- 01:31 (3 नवंबर 2019)

नहाय-खाय

छठ के पहले दिन यानी नहाय खाय में भक्त गंगा या किसी पवित्र नदीं में स्नान करते हैं। इसके बाद अपने लिए पूरा खाना तैयार करते हैं। लौकी-भात और चना की दाल खाते हैं। इन सभी साम्रगियों को मिट्टी के चूल्हे पर बनाया जाता है। इस खाने को खाकर महिलाएं खाकर खुद को व्रत के लिए तैयार करती हैं।

खरना

छठ के दूसरे दिन भक्त पूरे दिन व्रत रखते हैं और शाम को सूर्य अस्त होने के बाद खीर और रोटी का सेवन करते हैं। खीर और रोटी का सेवन इसी व्रत के अंतर्गत ही आता है।

संध्या अर्घ्य

छठ के तीसरे दिन घर पर प्रसाद तैयार किया जाता है। बहुत सारी सामग्रियों के साथ इस प्रसाद को तैयार किया जाता है। इसके बाद इसे सूर्य भगवान को दिखाया जाता है। इस मौके पर महिलाएं ज्यादातर साड़ियां पहनती हैं। शाम को सभी छठी मईया के गाने और भजन गाते हैं।

ऊषा अर्घ्य

छठ के चौथे दिन भक्त सूर्य उगने से पहले ही गंगा घाटों या नदी के घाटों पर आ जाती हैं। साथ ही उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देती हैं। इसी दिन महिलाएं अपने 36 घंटे के व्रत का पारण करती हैं। 

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