आज सोमवार को इन मंत्रों का करें जाप, चंद्रदेव की बनेगी कृपा, सारे दुख हो जाएंगे दूर
By गुणातीत ओझा | Updated: June 22, 2020 17:06 IST2020-06-22T17:06:52+5:302020-06-22T17:06:52+5:30
सोमवार का व्रत करने व शिव की उपासना से चंद्र देवता प्रसन्न होते हैं। शांति के लिए मोती धारण करना चाहिए। चावल, कपूर, सफेद वस्त्र, चांदी, शंख,द वंशपात्र, सफेद चंदन, श्वेत पुष्प, चीनी, बैल, दही और माती ब्राह्मण को दान करने से चंद्र देव प्रसन्न होते हैं।

आज चंद्र देव को खुश करने के लिए करें इन मंत्रों का जाप।
चंद्र देव को भी प्रत्यक्ष भगवान माना जाता है। अमावस्या को छोड़कर चंद्रदेव अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होकर साक्षात दर्शन देते हैं। सोमवार चंद्र देव का दिन है। चंद्रमा से शुभ फल प्राप्त करने के लिए इस दिन खीर जरूर खाना चाहिए। यदि कुंडली में चंद्र नीच का हो तो सफेद कपड़े पहनना चाहिए और श्वेत चंदन का तिलक लगाना चाहिए। चंद्रमा का रत्न मोती है। चंद्र रत्न मोती को चांदी की अंगूठी में जड़वा कर कनिष्ठिका अंगुली में पहनना चाहिए। शीत से पीड़ित होने पर गले में मोतीयुक्त चांदी का अर्धचंद्र लॉकेट पहनने से फायदा होता है। चंद्रदेव को प्रसन्न करने के लिए इन मंत्रों का उच्चारण करें, ध्यान रहे कि चंद्र मंत्र का जाप 11 बार किया जाता है।
चंद्रदेव के मंत्र
दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णव सम्भवम ।
नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुट भूषणं ।।
ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:।।
ॐ ऐं क्लीं सोमाय नम:।
ॐ भूर्भुव: स्व: अमृतांगाय विदमहे कलारूपाय धीमहि तन्नो सोमो प्रचोदयात्।
चंद्र देव की शांति व प्रसन्नता के लिए क्या करें
सोमवार का व्रत करने व शिव की उपासना से चंद्र देवता प्रसन्न होते हैं। शांति के लिए मोती धारण करना चाहिए। चावल, कपूर, सफेद वस्त्र, चांदी, शंख,द वंशपात्र, सफेद चंदन, श्वेत पुष्प, चीनी, बैल, दही और माती ब्राह्मण को दान करने से चंद्र देव प्रसन्न होते हैं।
चंद्र देव की उपासना के वैदिक मंत्र
ॐ इमं देवा असपत्नं ग्वं सुवध्यं।
महते क्षत्राय महते ज्यैश्ठाय महते जानराज्यायेन्दस्येन्द्रियाय इमममुध्य पुत्रममुध्यै
पुत्रमस्यै विश वोsमी राज: सोमोsस्माकं ब्राह्माणाना ग्वं राजा।
चंद्र देव की उपासना का पौराणिक मंत्र
दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णव सम्भवम ।
नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुट भूषणं ।।
बीज मंत्र
ऊॅँ श्रां श्रीं श्रौं स: चंद्राय नम:
सामान्य मंत्र
ऊॅँ सों सोमाय नम:
इनमें से किसी भी मंत्र का श्रद्धापूर्वक जप करने से मनोरथ सिद्ध होते हैं और इन्हें निश्चित संख्या में जप करना चाहिए।

