Brihaspatiwaar Puja Vidhi: आज इस तरह करें बृहस्पतिवार की पूजा, कभी नहीं होगी धन की कमी

By गुणातीत ओझा | Published: October 28, 2020 08:49 PM2020-10-28T20:49:05+5:302020-10-29T11:02:02+5:30

बृहस्पतिवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है। जीवन में सुख-समृद्धि के लिए बृहस्पतिवार के दिन विधि-विधान के साथ व्रत किया जाता है। इसके साथ ही व्रत कथा भी सुनी जाती है।

Brihaspatiwaar Puja Vidhi: Worship this Thursday, there will never be a shortage of funds | Brihaspatiwaar Puja Vidhi: आज इस तरह करें बृहस्पतिवार की पूजा, कभी नहीं होगी धन की कमी

बृहस्पतिवार के दिन ऐसे करें विष्णु भगवान की पूजा।

Highlightsजीवन में सुख-समृद्धि के लिए बृहस्पतिवार के दिन विधि-विधान के साथ व्रत किया जाता है।बृहस्पतिवार के दिन पूजा और व्रत करने से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।

Brihaspatiwaar Puja Vidhi: बृहस्पतिवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है। जीवन में सुख-समृद्धि के लिए बृहस्पतिवार के दिन विधि-विधान के साथ व्रत किया जाता है। इसके साथ ही व्रत कथा भी सुनी जाती है। बृहस्पतिवार का व्रत करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही धन-संपत्ति की भी प्राप्ति होती है। कई लोग यह व्रत संतान प्राप्ति के लिए भी करते हैं। बृहस्पतिवार के दिन पूजा और व्रत करने से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। आर्थिक स्थिति में सुधार के साथ-साथ बुद्धि और शक्ति का भी वरदान प्राप्त होता है। अगर आप भी बृहस्पति की पूजा कर रहे हैं तो यहां हम आपको इसकी पूजा-विधि बता रहे हैं।

इस तरह करें बृहस्पतिवार की पूजा:

1. इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि से निवृत्त हो जाएं। फिर साफी पीले रंग के कपड़े पहनें।

2. सबसे पहले सूर्य देव व मां तुलसी और शालिग्राम भगवान को जल अर्पित करें।

3. फिर विष्णु जी की विधिवत पूजन करें। इनकी पूजा के लिए पीली वस्तुओं का ही इस्तेमाल करें।

4. पीले फूल, चने की दाल, पीली मिठाई, पीले चावल और हल्दी का इस्तेमाल पूजा में किया जाता है।

5. फिर केले के पेड़ के तने पर चने की दाल चढ़ाएं और पूजा करें। केले के पेड़ पर हल्दी वाला जल अर्पित करें।

6. चने की दाल के साथ केले के पेड़ की जड़ो में मुन्नके भी अर्पित करें।

7. फिर घी का दीपक जलाएं। केले के पेड़ की आरती करें।

8. इसी पेड़ के पास बैठ जाएं और व्रत कथा का पाठ करें।

9. इस दिन व्रत भी रखा जाता है। फिर सूर्य ढलने के बाद ही भोजन किया जाता है। अगर इस दिन पीली वस्तुएं खाएं तो ही बेहतर है।

10. इस दिन नमक का उपयोग नहीं किया जाता है। प्रसाद के रूप में केले को रखें। लेकिन अगर आपने व्रत रखा है तो केला न खआएं। केला दान में दे दें।  

॥ बृहस्पतिदेव की कथा॥

प्राचीन काल में एक ब्राह्‌मण रहता था, वह बहुत निर्धन था। उसके कोई सन्तान नहीं थी। उसकी स्त्री बहुत मलीनता के साथ रहती थी। वह स्नान न करती, किसी देवता का पूजन न करती, इससे ब्राह्‌मण देवता बड़े दुःखी थे। बेचारे बहुत कुछ कहते थे किन्तु उसका कुछ परिणाम न निकला। भगवान की कृपा से ब्राह्‌मण की स्त्री के कन्या रूपी रत्न पैदा हुआ। कन्या बड़ी होने पर प्रातः स्नान करके विष्णु भगवान का जाप व बृहस्पतिवार का व्रत करने लगी। अपने पूजन-पाठ को समाप्त करके विद्यालय जाती तो अपनी मुट्‌ठी में जौ भरके ले जाती और पाठशाला के मार्ग में डालती जाती। तब ये जौ स्वर्ण के जो जाते लौटते समय उनको बीन कर घर ले आती थी।

एक दिन वह बालिका सूप में उस सोने के जौ को फटककर साफ कर रही थी कि उसके पिता ने देख लिया और कहा - हे बेटी! सोने के जौ के लिए सोने का सूप होना चाहिए। दूसरे दिन बृहस्पतिवार था इस कन्या ने व्रत रखा और बृहस्पतिदेव से प्रार्थना करके कहा- मैंने आपकी पूजा सच्चे मन से की हो तो मेरे लिए सोने का सूप दे दो। बृहस्पतिदेव ने उसकी प्रार्थना स्वीकार कर ली। रोजाना की तरह वह कन्या जौ फैलाती हुई जाने लगी जब लौटकर जौ बीन रही थी तो बृहस्पतिदेव की कृपा से सोने का सूप मिला। उसे वह घर ले आई और उसमें जौ साफ करने लगी। परन्तु उसकी मां का वही ढंग रहा। एक दिन की बात है कि वह कन्या सोने के सूप में जौ साफ कर रही थी। उस समय उस शहर का राजपुत्र वहां से होकर निकला। इस कन्या के रूप और कार्य को देखकर मोहित हो गया तथा अपने घर आकर भोजन तथा जल त्याग कर उदास होकर लेट गया। राजा को इस बात का पता लगा तो अपने प्रधानमंत्री के साथ उसके पास गए और बोले- हे बेटा तुम्हें किस बात का कष्ट है? किसी ने अपमान किया है अथवा और कारण हो सो कहो मैं वही कार्य करूंगा जिससे तुम्हें प्रसन्नता हो। अपने पिता की राजकुमार ने बातें सुनी तो वह बोला- मुझे आपकी कृपा से किसी बात का दुःख नहीं है किसी ने मेरा अपमान नहीं किया है परन्तु मैं उस लड़की से विवाह करना चाहता हूं जो सोने के सूप में जौ साफ कर रही थी। यह सुनकर राजा आश्चर्य में पड ा और बोला- हे बेटा! इस तरह की कन्या का पता तुम्हीं लगाओ। मैं उसके साथ तेरा विवाह अवश्य ही करवा दूंगा। राजकुमार ने उस लड की के घर का पता बतलाया। तब मंत्री उस लड की के घर गए और ब्राह्‌मण देवता को सभी हाल बतलाया। ब्राह्‌मण देवता राजकुमार के साथ अपनी कन्या का विवाह करने के लिए तैयार हो गए तथा विधि-विधान के अनुसार ब्राह्‌मण की कन्या का विवाह राजकुमार के साथ हो गया।

कन्या के घर से जाते ही पहले की भांति उस ब्राह्‌मण देवता के घर में गरीबी का निवास हो गया। अब भोजन के लिए भी अन्न बड़ी मुश्किल से मिलता था। एक दिन दुःखी होकर ब्राह्‌मण देवता अपनी पुत्री के पास गए। बेटी ने पिता की दुःखी अवस्था को देखा और अपनी मां का हाल पूछा। तब ब्राह्‌मण ने सभी हाल कहा। कन्या ने बहुत सा धन देकर अपने पिता को विदा कर दिया। इस तरह ब्राह्‌मण का कुछ समय सुखपूर्वक व्यतीत हुआ। कुछ दिन बाद फिर वही हाल हो गया। ब्राह्‌मण फिर अपनी कन्या के यहां गया और सारा हाल कहा तो लड की बोली- हे पिताजी! आप माताजी को यहां लिवा लाओ। मैं उसे विधि बता दूंगी जिससे गरीबी दूर हो जाए। वह ब्राह्‌मण देवता अपनी स्त्री को साथ लेकर पहुंचे तो अपनी मां को समझाने लगी- हे मां तुम प्रातःकाल प्रथम स्नानादि करके विष्णु भगवान का पूजन करो तो सब दरिद्रता दूर हो जावेगी। परन्तु उसकी मांग ने एक भी बात नहीं मानी और प्रातःकाल उठकर अपनी पुत्री के बच्चों की जूठन को खा लिया। इससे उसकी पुत्री को भी बहुत गुस्सा आया और एक रात को कोठरी से सभी सामान निकाल दिया और अपनी मां को उसमें बंद कर दिया। प्रातःकाल उसे निकाला तथा स्नानादि कराके पाठ करवाया तो उसकी मां की बुद्धि ठीक हो गई और फिर प्रत्येक बृहस्पतिवार को व्रत रखने लगी। इस व्रत के प्रभाव से उसके मां बाप बहुत ही धनवान और पुत्रवान हो गए और बृहस्पतिजी के प्रभाव से इस लोक के सुख भोगकर स्वर्ग को प्राप्त हुए।

Web Title: Brihaspatiwaar Puja Vidhi: Worship this Thursday, there will never be a shortage of funds

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