Barsana Lathmar Holi 2024: राधाकृष्ण की अनूठी अलौकिक प्रेम लीला, ब्रज की होलियों में बरसाना-नंदगांव की लठमार होली, जानें क्या है परंपरा...
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: March 15, 2024 12:24 PM2024-03-15T12:24:03+5:302024-03-15T12:26:06+5:30
Barsana Lathmar Holi 2024: राधाकृष्ण के अलौकिक प्रेम की जीवंत अभिव्यक्ति है, तो दूसरी ओर दुनिया को नारी स्वतंत्रता और सशक्तिकरण का प्रगतिशील संदेश है।
विवेक दत्त मथुरिया, बरसानाः राधकृष्ण की अनूठी अलौकिक प्रेम लीलाओं से पगे ब्रज की सांस्कृतिक परम्पराएं भी आज उतनी ही अनूठी हैं। इन लीलाओं में से एक है ब्रज की होलियों में बरसाना-नंदगांव की लठमार होली। जो एक ओर राधकृष्ण के अलौकिक प्रेम की जीवंत अभिव्यक्ति है, तो दूसरी ओर दुनिया को नारी स्वतंत्रता और सशक्तिकरण का प्रगतिशील संदेश है।
बरसाना- नंदगांव की होली के अलौकिक प्रेम और नारी सशक्तिकरण के संदेश को लठमार होली की शुरुआत करने वाले ब्रजोद्धारक बृजाचार्य श्रील नारायण भट्ट जी के वंशज गोस्वामी हरिगोपाल भट्ट जी ने बरसाना की महिमा से जुड़े ग्रंथ 'लाख बार अनुपम बरसानौ' में लिखा है-
अनुपम होली होत है यहां लठ्ठों की सरनाम
अबला सबला सी लगे यों बरसाने की वाम
लठ्ठ धरे कंधा फिरै जब भी भगाबै ग्वाल
जिम महिषासुर मर्दनी रण में चलती चाल।।
राधाकृष्ण की प्रेम पगी लीलाओं में तत्कालीन सरोकार को लेकर कोई न कोई गहरा संदेश छिपा होता है। तत्कालीन परिस्थितियों में नारी सशक्तीकरण की दृष्टि से बरसाना-नंदगांव की लठमार होली हास-परिहास, हंसी-ठिठोली से परिपूर्ण बृज गोपियों को लठ्ठ चलाने का प्रशिक्षण माना जा सकता है।
नंदगांव-बरसाना के हुरियारे और हुरियारिनों के बीच खेली जाने वाली लठमार होली में हास परिहास और हंसी ठिठोली में आज भी गालियों का प्रयोग किया जाता है। ताकि हंसी ठिठोली से उत्तेजित हुरियारिनों द्वार लठ्ठों के प्रहार पूरी ताकत के साथ किये जा सके और आत्मरक्षा में दक्षता हासिल सकें। कृष्ण की हर लीला उनके समय में किसी न किसी सरोकार की जीवंत अभिव्यक्ति का संदेश हैं।