Baisakhi 2019: जानिये क्यों मनाया जाता है बैशाखी का पर्व, सिखों और किसानों के लिए क्या है इसका महत्त्व
By उस्मान | Published: April 12, 2019 06:23 PM2019-04-12T18:23:54+5:302019-04-12T18:53:24+5:30
Baisakhi 2019: जानिये क्यों मनाया जाता है बैशाखी का पर्व, सिखों और किसानों के लिए क्या है इसका महत्त्व
बैशाखी को 'वैसाखी' भी कहा जाता है। बैसाखी को भारत में कई कारणों से एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है। किसानों के लिए फसल उत्सव के रूप में महत्वपूर्ण होने के अलावा, यह त्योहारसिख धर्म में खालसा पंथ के स्थापना दिवस के रूप में महत्वपूर्ण है। इसके अलावा ज्योतिषीय कारणों से भी शुभ बैसाखी का महत्व है। बैसाखी का त्यौहार हर साल 14 अप्रैल को मनाया जाता है।
किसानों के लिए बैसाखी का महत्त्व (Significance of Baisakhi for Farmers)
पंजाब और हरियाणा जैसे समृद्ध राज्यों के बैसाखी रबी की फसलों की कटाई का समय है और इसलिए किसानों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। इन राज्यों में बैसाखी पर्व को धन्यवाद दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन किसान नए कपड़े पहनने के बाद अच्छी फसल के लिए भगवान का आभार व्यक्त करने के लिए मंदिरों और गुरुद्वारों का दौरा करते हैं और कृषि के मौसम के लिए आशीर्वाद मांगते हैं। किसान भी ऊर्जावान भांगड़ा और गिद्दा नृत्य करके और बैसाखी मेलों में हिस्सा लेकर बैसाखी मनाते हैं।
सिख धर्म में बैसाखी का महत्व (Significance of Baisakhi in Sikhism)
सिख धर्म के लोगों के लिए बैसाखी का बड़ा महत्व है। बैसाखी के दिन साल 1699 में सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की और सिखों को एक विशिष्ट पहचान दी। सिख एकमात्र ऐसे लोग हैं, जो उनका जन्मदिन मनाते हैं क्योंकि वे उस दिन एक नए राष्ट्र के रूप में पैदा हुए थे। दुनिया में शायद ही कोई ऐसा समूह हो, जो इस तरह के विशेषाधिकार का दावा कर सकता हो।
दुनियाभर में जहां, भी सिख रहते हैं, वो धूमधाम से यह पर्व मनाते हैं। इस दिन सिख समुदाय के लोग गुरुद्वारों में आयोजित विशेष प्रार्थना सभाओं में भाग लेकर बैसाखी मनाते हैं। वे दिन को यादगार बनाने के लिए बैसाखी जुलूस भी निकालते हैं।
अन्य धर्मों में बैसाखी का महत्व (Significance of Baisakhi in Other Religions)
बैसाखी का हिंदुओं के लिए विशेष महत्व है। इस पर्व को नव वर्ष की शुरुआत माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि हजारों साल पहले, देवी गंगा धरती पर उतरीं और उनके सम्मान में, कई हिंदू पवित्र स्नान के लिए पवित्र गंगा नदी के किनारे इकट्ठा हुए। यह दिन बैसाखी का दिन था। हिंदुओं के लिए यह पर्व इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस दिन 1875 में स्वामी दयानंद सरस्वती ने आर्य समाज की स्थापना की थी।
केरल में इस पर्व को 'विशु' कहा जाता है। इसमें आतिशबाजी, नए कपड़ों की खरीदारी और 'विशु कानी' नामक दिलचस्प प्रदर्शन शामिल हैं। ये फूल, अनाज, फल, कपड़ा, सोना और धन की व्यवस्था होती है, जो सुबह-सुबह देखी जाती है, ताकि समृद्धि का वर्ष सुनिश्चित किया जा सके। असम में बैसाखी को बोहाग बिहू कहा जाता है, और इस दिन लोग बड़े पैमाने पर भोज, संगीत और नृत्य का आयोजन करते हैं। बंगाल में इसे नए साल का दिन या अर्स नाबा वर्षा कहा जाता है।