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शनिवार को आंवला नवमी, व्रत करने से भरती है निःसंतान की झोली, जानें व्रत नियम, पूजा विधि

By गुलनीत कौर | Updated: November 16, 2018 07:57 IST

Amla Navami 2018 Date, Time, Significance, Importance, Vrat Niyam & Puja vidhi of Amla or Akshaya navami: आंवला नवमी के दिन नहाकर, साफ-स्थ्रे कपड़े पहनकर आंवला के ब्रिक्ष के नीच जाएं। यहां पहुँचने पर सबसे पहले वृक्ष के आसपास साफ-सफाई करें ताकि पूजा स्थल के पास किसी भी तरह की कोई गंदगी ना दिखी दे।

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हिन्दू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी मनाई जाती है। सुनने में आपको भले ही अजीब लगे लेकिन इसदिन आंवला के वृक्ष की पूजा की जाती है। धार्मिक ग्रंथों में इसदिन को अक्षय नवमी के नाम से भी जाना जाता है। 

इस साल 17 नवंबर, दिन शनिवार को आंवला नवमी है। ज्योतिषियों के मुताबिक इसदिन पूरे परिवार को आंवला के पेड़ के नीचे बैठकर भोजन करना चाहिए। ऐसा कर आ शुभ माना जाता है। इसके अलावा पूजा में भी पूरे परिवार का शामिल होना फलदायी माना जाता है।

क्यों मनाते हैं आंवला नवमी?

शास्त्रों के अनुसार आंवला नवमी के दिन व्रत एवं पूजन किया जाता है। सुहागन महिलाएं इसदिन व्रत करती हैं। सतना प्राप्ति और सतना के सुखी जीवन की कामना के लिए इसदिन महिलाओं द्वारा व्रत और पूजन किया जाता है।

यह भी पढ़ें: गोपाष्टमी 2018: इन खास मैसेज और संदेशों से अपनों को दें गोपाष्टमी की शुभकामनाएं

आंवला नवमी पूजा सामग्री

यदि आप आंवला नवमी पर व्रत कर रही हैं तो शाम को पूजा के दूरान आपको इस सामग्री की आवश्यकता होगी-  फल, फूल, धूप या अगरबत्ती, दीपक व देसी घी, अनाज, तुलसी के पत्ते, कुमकुम, हल्दी, सिंदूर, अबीर, गुलाल, नारियल।

आंवला नवमी पूजा विधि

आंवला नवमी के दिन नहाकर, साफ-स्थ्रे कपड़े पहनकर आंवला के ब्रिक्ष के नीच जाएं। यहां पहुँचने पर सबसे पहले वृक्ष के आसपास साफ-सफाई करें ताकि पूजा स्थल के पास किसी भी तरह की कोई गंदगी ना दिखी दे। 

इसके बाद सबसे पहले आंवला के इस वृक्ष की जड़ में स्वच्छ जल और फिर कच्चा दूध अर्पित करें। जल और दूध चढ़ाने के बाद आपके पास जितनी भी पूजन सामग्री जैसे कि फल, फूल, तुलसी के पत्ती, हल्दी, सिन्दूर आदि मौजूद है उसे एक एक करके वृक्ष के पास अर्पित करते जाएं।

पूजन सामग्री अर्पित करने के बाद हाथ में कच्चा सूत या मौली लें और 8 बार परिक्रमा करते हुए इसे आंवला के वृक्ष के तने पर लपेटें। आठ बार परिक्रमा करने के बाद वृक्ष के सामने सिर झुकार खड़े हो जाएं और प्रार्थना करें। 

ऐसी मान्यता है कि आंवला नवमी पर पूजा और व्रत करने वाली निःसंतान महिलाओं की झोली भर जाती है। जिन महिलाओं की झोली पहले ही संतान सुख से भरी हुई है वे अपने बच्चे के सुखी जीवन के लिए इसदिन व्रत करती हैं। इस व्रत में फलाहार का सेवन करते हुए व्रत किया जाता है। 

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