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ये आठ हैं 'चिरंजीवी', आज भी कर रहे हैं धरती की रक्षा

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Updated: December 29, 2017 15:20 IST

पौराणिक कथाओं के मुताबिक हनुमान से लेकर परशुराम तक, 8 ऐसे पौराणिक पात्र हैं जो आज भी जीवित हैं और धरती की रक्षा कर रहे हैं।

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हिंदू देवी-देवताओं की कई किंवदंतियां धार्मिक ग्रंथ जैसे रामायण, महाभारत और गीता में दर्ज हैं जिन्हें आपने जरूर पढ़ा होगा। इन ग्रंथों और पुराणों में ऐसे कई देवता, साधु-संत का उल्लेख किया गया है जिन्हें अमर-अजर यानी 'चिरंजिवी' का वरदान प्राप्त है। मान्यता है कि वे आज भी जीवित हैं। भगवान हनुमान से लेकर परशुराम जैसे 8 देवता हैं जो आज भी धरती की रक्षा कर रहे हैं। जिनपर लोगों की आस्था आज भी बरकरार है। 

भगवान हनुमान

पवनपुत्र हनुमान जी को अमर-अजर का वरदान प्राप्त है जिनकी मौजूदगी रामायण और महाभारत दोनों जगह पाई गई है। रामायण में हनुमान जी ने प्रभु राम की पत्नी सीता माता को रावण के कैद से छुड़वाने में मदद की थी और महाभारत में उन्होंने भीम के घमंड को तोड़ा था। सीता माता ने हनुमान को अशोक वाटिका में राम का संदेश सुनाने पर वरदान दिया था कि वे सदेव अजर-अमर रहेंगे।अश्वत्थामा

अश्वत्थामा गुरु द्रोणाचर्य के पुत्र थे, जिनके मस्तक में अमरमणि विद्यमान है। अश्वत्थामा ने सोते हुए पांडवो के पुत्रों की हत्या की थी, जिस कारण भगवान कृष्ण ने उन्हें कालांतर तक अपने पापों के प्रायश्चित के लिए इस धरती पर भटकने का श्राप दिया था।

ऋषि मार्कण्डेय

ऋषि मार्कण्डेय भगवान शिव के परम भक्त हैं। उन्होंने भगवान शिव की कठोर तपस्या द्वारा महामृत्युंजय तप को सिद्ध कर मृत्यु पर विजयी पा ली और चिरंजीवी हो गए।

भगवान परशुराम

परशुराम भगवान विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं। परशुराम के पिता ऋषि जमदग्नि और माता का नाम रेणुका था। परशुराम का पहले नाम राम था, लेकिन वे शिव के परम भक्त थे। उनकी कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें एक फरसा (फावड़ा) दिया, जिसके कारण उनका नाम परशुराम पड़ा। मान्यता है कि धरती पर उन्होंने 21 बार पृथ्वी से समस्त क्षत्रिय राजाओं का अंत किया था।

कृपाचार्य

कृपाचार्य शरद्वान गौतम के पुत्र हैं। वन में शिकार खेलते हुए शांतु को दो शिशु मिले जिनका नाम उन्होंने कृपि और कृप रखा तथा उनका पालन पोषण किया। कृपाचार्य कौरवों के कुलगुरु तथा अश्वत्थामा के मामा हैं। उन्होंने महाभारत के युद्ध में कौरवो का साथ दिया।

विभीषण

विभीषण ने भगवान राम की महिमा जान कर युद्ध में अपने भाई रावण का साथ छोड़ प्रभु राम का साथ दिया। इसके बाद ही श्रीराम ने विभीषण को अजर-अमर रहने का वरदान दिया था।वेद व्यास

 

महाभारत के रचयिता ऋषि व्यास ने कई वेदों और पुराणों की रचना की। वेद व्यास, ऋषि पाराशर और सत्यवती के पुत्र हैं। ऋषि वेदव्यास भी अष्टचिरंजीवियो में शामिल हैं।

राजा बलि

राजा बलि को महादानी के रूप में जाना जाता है। उन्होंने भगवान विष्णु के वामन अवतार को अपना सब कुछ दान कर दिया, अतः भगवान विष्णु ने उन्हें पाताल का राजा बनाया और अमरता का वरदान दिया। राजा बलि प्रह्लाद के वंशज हैं। 

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