लाइव न्यूज़ :

2800 साल पुराने सुध महादेव मंदिर में आज भी गड़ा है भगवान शिव का खंडित त्रिशूल! जानिए क्या है रहस्य

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: July 19, 2019 11:04 IST

यह मंदिर जम्मू से करीब 120 किलोमीटर दूर पटनीटॉप के पास स्थित है। इसे भगवान शिव का सुध महादेव मंदिर भी कहा जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यहां एक विशाल त्रिशूल के तीन टुकड़े जमीन में गड़े हैं।

Open in App
ठळक मुद्देजम्मू से 120 किलमीटर दूर स्थित है सुध महादेव मंदिरमान्यताओं के अनुसार सुध महादेव मंदिर करीब 2800 साल पुराना है

भगवान शिव की बात आते ही सबसे पहले उनके त्रिशूल, डमरू, नाग और मुंडमालाएं ध्यान में आती है। मान्यता है कि ये भगवान शिव इन्हें कभी भी खुद से अलग नहीं करते। इन सभी को शिव का स्वरूप माना जाता है। हालांकि, क्या आपने उस मंदिर की कहानी सुनी है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यहां आज भी भगवान शिव का खंडित त्रिशूल पड़ा है। यह मंदिर जम्मू से करीब 120 किलोमीटर दूर पटनीटॉप के पास स्थित है। इसे भगवान शिव का सुध महादेव मंदिर भी कहा जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यहां एक विशाल त्रिशूल के तीन टुकड़े जमीन में गड़े हैं। कहते हैं कि ये त्रिशूल भगवान शिव का है।

सुध महादेव मंदिर की क्या है कहानी?

सुध महादेव मंदिर करीब 2800 साल पुराना है, जिसका पुनर्निर्माण करीब एक शताब्दी पूर्व एक स्थानीय निवासी रामदास महाजन और उनके पुत्र ने कराया था। इस मंदिर में प्राचीन शिवलिंग के साथ-साथ नंदी और शिव परिवार की मूर्तियां हैं। पौराणिक कथा के अनुसार माता पार्वती की जन्मभूमि मानतलाई है। ऐसे में माता यहां अक्सर पूजा करने आती थीं। एक बार उनके पीछे-पीछे सुधान्त नाम का एक राक्षस भी आ गया।

सुधान्त भी दरअसल शिव भक्त था और यहां पूजा करने आया था। माता पार्वती यह बात नहीं समझ सकीं। उन्होंने जैसे पूजा के बाद अपनी आंखें खोली तो सामने एक दानव को देख उनकी चीख निकल गई। इस समय भोलेनाथ ध्यान में लीन थे। उन्हें लगा कि माता पार्वती किसी मुसीबत में हैं और उनकी रक्षा के लिए वे अपना त्रिशूल फेंकते हैं। त्रिशूल जाकर सुधान्त के हृद्य में लगता है। शिवजी को तब पता चलता है कि उनसे अनजाने में बड़ी भूल हो गई है।

इसके बाद शिव इस मंदिर में प्रकट होते हैं और सुधान्त को जीवनदान देने की बात कहते हैं। हालांकि, सुधान्त अपने इष्ट देव के ही हाथों मृत्यु प्राप्त कर मोक्ष की कामना करता है। शिव उसकी इच्छा पूरी करते हैं और वरदान देते हैं कि यह मंदिर भविष्य में सुध महादेव मंदिर के नाम से जाना जाएगा। साथ ही भगवान शिव त्रिशूल के तीन टुकड़े करके वहीं गाड़ देते हैं जिसे आज भी देखा जा सकता है। हालांकि, इस मंदिर से जुड़ी एक और कहानी भी है जिसमें सुधान्त को दुराचारी राक्षस बताया गया है और वह माता पार्वती को परेशान करने के लिए वहां आता है।

टॅग्स :भगवान शिव
Open in App

संबंधित खबरें

क्रिकेटVIDEO: सूर्यकुमार यादव पत्नी के साथ महाकालेश्वर मंदिर पहुंचे और दर्शन किए, देखें वीडियो

पूजा पाठKarwa Chauth 2025: सरगी करने का सही समय क्या? जानें करवा चौथ व्रत के दौरान क्या करें, क्या न करें

पूजा पाठKarwa Chauth 2025: पहली बार किसने रखा था करवा चौथ का व्रत, कैसे हुई इसकी शुरुआत? जानें यहां

पूजा पाठShardiya Navratri 2025: तन, मन और आत्मा के जागरण का पर्व, धर्म, भक्ति, शक्ति और स्वास्थ्य

बॉलीवुड चुस्कीहर घर महादेव का उद्घोष, गुरु मां करिश्मा शेट्टी के सान्निध्य में शिबानी कश्यप के घर भव्य शिव संग

पूजा पाठ अधिक खबरें

पूजा पाठPanchang 09 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 09 December 2025: आज मेष समेत इन 4 राशिवालों की किस्मत बुलंद, खुशखबरी मिलने की संभावना

पूजा पाठयूपी में मतदाता सूची से कट सकते हैं दो करोड़ से अधिक नाम, इन शहरों में सबसे अधिक नाम कटने की संभावना

पूजा पाठPanchang 08 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 08 December 2025: आज इन 4 राशिवालों को बड़ी खुशखबरी मिलने की संभावना, बाकी भी जानें अपना भविष्य