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कांग्रेस में बेचैनी, राहुल गांधी अध्यक्ष पद संभालें नहीं तो पीछे से हस्तक्षेप बंद करें

By शीलेष शर्मा | Updated: August 22, 2020 18:09 IST

सचिन पायलट और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जिस तरह के कदम उठाये उसके लिए भी पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी के इर्द गिर्द चक्कर लगाने वाले नेताओं को ही ज़िम्मेदार मान रहे हैं।  

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ठळक मुद्देपार्टी के कई नेता इस बात से ख़फ़ा है कि राहुल गांधी ऐसे लोगों की सलाह पर काम कर रहे हैं जो राजनीति में अभी परिपक्व नहीं है।ऐसे लोगों में रणदीप सुरजेवाला, के सी वेणुगोपाल, शेरगिल जैसे युवा नेताओं के नाम लिए जा रहे हैं। 

नई दिल्ली: कांग्रेस में नेतृत्व के मुद्दे पर भारी बेचैनी और मतभेद बने हुए हैं। इन्हीं मतभेदों के कारण आज होने वाली कार्य समिति की बैठक नहीं हो सकी। उच्चपदस्थ सूत्रों के अनुसार बैठक ना होने का बड़ा कारण राहुल गांधी की वह ज़िद्द थी कि कार्य समिति की बैठक विस्तृत बुलाई जाए जबकि पार्टी के तमाम बड़े नेता विस्तृत कार्य समिति की बैठक बुलाने के पक्ष में नहीं थे। नतीजा बैठक बुलाने का फैसला ही रद्द करना पड़ा।    

पार्टी में पूर्णकालिक अध्यक्ष न होने के कारण खासी बेचैनी बनी हुई है। नेताओं का एक बड़ा वर्ग कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी को यह स्पष्ट कर चुका है कि राहुल या तो सामने आ कर पार्टी का अध्यक्ष पद संभाले अन्यथा पीछे से फ़ैसलों को प्रभावित करना छोड़ दें। 

राहुल को अध्यक्ष बनाये जाने को लेकर नेताओं में कोई मतभेद नहीं है लेकिन वे चाहते हैं कि वे सामने आएं और सीधे तौर पर ज़िम्मेदारी संभाले। इन नेताओं का मानना था कि नेतृत्व के अभाव में पार्टी अपना अस्तित्व खो रही है और केवल फेसबुक तथा ट्विटर पर ज़िंदा है। 

इन नेताओं का यह भी तर्क था कि ट्विटर और फेसबुक से राजनीति संभव नहीं है , पार्टी को पुनर्जीवित करने के लिए निश्चित कार्यक्रम लेकर ज़मीन पर उतरना होगा।  

पार्टी सूत्रों के अनुसार ऐसा विचार रखने वाले नेताओं में अहमद पटेल , पी चिदंबरम , कपिल सिब्बल , दिग्विजय सिंह , कमल नाथ , अमरिंदर सिंह , शाशि थरूर , मनीष तिवारी जैसे अनेक नेता शामिल हैं।  इन नेताओं ने अपनी इस सोच से कांग्रेस अध्यक्ष को अवगत करा दिया है।  

पार्टी के नेता मानते हैं कि जल्दी से जल्दी नए अध्यक्ष का चयन किया जाए क्योंकि अध्यक्ष के अभाव में पार्टी किसी कार्यक्रम को ज़मीन पर नहीं उतार पा रही है।  

ऐसे संकेत भी मिले हैं कि पार्टी नेताओं का एक बड़ा वर्ग इस बात से ख़फ़ा है कि राहुल गांधी ऐसे लोगों की सलाह पर काम कर रहे हैं जो राजनीति में अभी परिपक्व नहीं है। ऐसे लोगों में रणदीप सुरजेवाला, के सी वेणुगोपाल, शेरगिल जैसे युवा नेताओं के नाम लिए जा रहे हैं। 

सचिन पायलट और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जिस तरह के कदम उठाये उसके लिए भी पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल के इर्द गिर्द चक्कर लगाने वाले नेताओं को ही ज़िम्मेदार मान रहे हैं।  

15 अगस्त को कांग्रेस मुख्यालय में सोनिया गांधी की गैर मौजूदगी को भी पार्टी में उठी बेचैनी से जोड़ कर देखा जा रहा है। पार्टी के कुछ नेताओं ने इशारा किया कि यदि जल्दी कोई फैसला नहीं लिया गया तो पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेता अपने स्तर पर मीडिया के सामने आ कर इन  मुद्दों को उठा सकते हैं।

पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने सोनिया को सलाह दी है कि वे राहुल को अध्यक्ष पद स्वीकार करने के लिए मनाए , यदि वे राज़ी नहीं होते हैं तो पार्टी में सामूहिक नेतृत्व की व्यवस्था करें जिसके तहत वे स्वयं अध्यक्ष बानी रहें  और चार नए उपाध्यक्ष बना कर सामूहिक नेतृत्व को काम करने दें। 

पार्टी नेताओं की यह भी मांग थी कि संसदीय बोर्ड का तत्काल गठन हो जिससे आने वाले चुनावों में यह बोर्ड सही फैसले कर सके।

टॅग्स :कांग्रेसराहुल गांधी
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