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तेजस्वी यादव को लगा झटका, पटना हाईकोर्ट ने दिया बंगला खाली करने का आदेश

By एस पी सिन्हा | Updated: January 7, 2019 13:14 IST

राज्य सरकार ने तेजस्वी यादव के उपमुख्यमंत्री पद से हटने के बाद उन्हे 5 देशरत्न मार्ग पर स्थित सरकारी बंगला को खाली का आदेश दिया है।

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बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को आज पटना हाई कोर्ट से बडा झटका लगा है। पटना हाई कोर्ट ने तेजस्वी यादव के बंगला विवाद पर दायर अपील खारिज करते हुए उन्हें राहत देने से इंकार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश अमरेश्वर प्रताप शाही और न्यायाधीश अंजना मिश्रा की खंडपीठ में दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे आज सुनाया गया।

यहां उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने तेजस्वी यादव के उपमुख्यमंत्री पद से हटने के बाद उन्हे 5 देशरत्न मार्ग पर स्थित सरकारी बंगला को खाली का आदेश दिया है। इस आदेश को तेजस्वी ने याचिका दायर कर चुनौती दी, लेकिन एकल पीठ ने राज्य सरकार के आदेश को सही ठहराया। इससे पहले सिंगल बेंच ने तेजस्वी यादव को बंगला खाली करने के सरकारी आदेश को सही करार देते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी थी । इस आदेश को चुनौती देते हुए तेजस्वी यादव ने अपील दायर की थी, जिस पर हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने सुनवाई पूरी की और 7 जनवरी तक फैसला सुरक्षित रखा था। माना जा रहा है कि तेजस्वी यादव अब इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं। 

दरअसल, तेजस्वी यादव पटना के 5 देशरत्न मार्ग पर स्थित उस बंगले में रहते हैं जो उपमुख्यमंत्री के लिए चिन्हित किया गया है। जब वे बिहार के उप मुख्यमंत्री थे तो उस हैसियत से उन्हें ये बंगला दिया गया था, लेकिन राज्य में जदयू और भाजपा गठबंधन वाली सरकार बनने के बाद सुशील मोदी उप मुख्यमंत्री बने तो ऐसे में अब यह बंगला उन्हें ही अलाट किया गया है। वर्तमान में नेता प्रतिपक्ष के रूप में तेजस्वी को एक पोलो रोड का बंगला अलॉट किया है, जिसमें अभी सुशील मोदी रहते हैं। बिहार सरकार ने बंगला खाली करने को कह दिया है। 

बताया जाता है कि जब तेजस्वी यादव उप मुख्यमंत्री की हैसियत से थे, तो उन्होंने अपने बंगले की साज सज्जा पर विशेष ध्यान दिया था। करोडों रुपये खर्च कर बंगले को रेनोवेट किया गया था। एक-एक सोफे की कीमत 50-50 हजार तक कही जाती है। इसी तरह अन्य कीमती सामान भी तेजस्वी ने अपनी पसंद से लगवाए हैं। यहां बता दें कि सेंट्रल पूल के आवास मंत्रियों के लिए होते हैं और उसे आवंटित करने के लिए भवन निर्माण विभाग अनुशंसा करती है। इनमें मंत्री और जज समेत वीवीआईपी शामिल होते हैं। बाकी विधायकों और विधान परिषद सदस्यों के लिए आवास का आवंटन विधानसभा अध्यक्ष या विधान परिषद के सभापति करते हैं।

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