GDP के आंकड़ों पर विपक्ष ने मोदी सरकार बोला हमला, संसद में होगा हंगामा
By शीलेष शर्मा | Updated: March 1, 2020 05:59 IST2020-03-01T05:59:16+5:302020-03-01T05:59:16+5:30
कांग्रेस ने मांग की कि अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने और जीडीपी को सुधारने के लिए मनरेगा जैसी योजना की अवधि कम से कम 150 दिन की जाए तथा उसमें काम करने वालों को पांच सौ रुपये प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान हो.

कांग्रेस पार्टी
तीसरी तिमाही के जीडीपी आंकड़े सार्वजनिक होते ही एक बार फिर अर्थव्यवस्था को लेकर विपक्ष और सरकार के बीच जंग शुरु हो गयी है. जहां सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है वहीं कांग्रेस सहित विपक्ष सरकार के दावों को ठुकराते हुए दावा कर रहा है कि बजट में सरकार ने जो 26 लाख करोड़ का लक्ष्य रखा था वह उसे पूरा नहीं कर पाएगी क्योंकि अब तक सरकार केवल 11 लाख करोड़ का ही राजस्व जुटा पाई है. अब विपक्षी दल ऐसे तमाम मुद्दों पर संसद में हंगामा खड़ा करने की तैयारी कर रहे है.
पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा ने 4.7 फीसदी जीडीपी के तीसरी तिमाही के आंकड़ों पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए आरोप लगाया कि यह सरकार वास्तविकता को नकार रही है और रिकवरी की बात कर रही है. उनका दावा था कि पिछले 7 साल में यह सबसे नीचे स्तर का आंकड़ा है मुद्रा स्फीति और सामान्य जीडीपी को शामिल कर हमेशा से यह आंकड़ा दो अंकों में रहा है लेकिन इस सरकार की अर्थव्यवस्था के कारण यह एक अंक में सिमटता जा रहा है जो दशकों में कभी नहीं हुआ.
उन्होंने दलील दी कि सरकार अर्थव्यवस्था को दिशा-विहीन की ओर धकेल रही है जिसमें प्रोत्साहन की कोई गुंजाइश नहीं है चाहे फिर वो निवेशक हो, उत्पादक हो इसका उदाहरण वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण जो हमेशा बेहतर दावे करती रही है का परिणाम है कि इसमें निरंतर गिरावट आ रही है.
कांग्रेस ने मांग की कि अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने और जीडीपी को सुधारने के लिए मनरेगा जैसी योजना की अवधि कम से कम 150 दिन की जाए तथा उसमें काम करने वालों को पांच सौ रुपये प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान हो.
जहां तक वार्षिक जीडीपी का प्रश्न है सरकारी आंकड़े गवाह है कि यह 6.8 फीसदी से घटकर 6.1 पर जा पहुंची और अब पांच फीसदी पर आ गई है. आरबीआई का भी यही अनुमान है.
इन अनुमानों के आधार पर निवेश और उत्पादन को लेकर देश चिंतित है. क्योंकि उत्पादन के बिना रोजगार सृजित नहीं होगें फिर कैसे इसमें सुधार आएगा. यह सरकार चुनींदा घरानों के टैक्स माफ कर रही है लेकिन आम जनता के हाथ में पैसा नहीं है. बंद कारखानों को लेकर भी सरकार आंख मूंद चुकी है जिसका परिणाम हमारे सामने है.