शिवसेना और कांग्रेस में वाकयुद्ध, सहयोगी को ‘‘पुरानी चरमराती खटिया’’ बताया, Shivsena ने कहा- खुसर-फुसर क्यों हैं?

By भाषा | Updated: June 16, 2020 22:17 IST2020-06-16T22:17:17+5:302020-06-16T22:17:17+5:30

हालांकि यह भी कहा कि महाराष्ट्र विकास अघाड़ी (एमवीए) की सरकार को कोई खतरा नहीं है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बालासाहेब थोराट ने कहा कि शिवसेना के मुखपत्र सामना का लेख पूरी तरह गलत जानकारी पर आधारित है ।

maharashtra bjp ncp devendra fadnavis congress Shiv Sena war described ally as "old creak" | शिवसेना और कांग्रेस में वाकयुद्ध, सहयोगी को ‘‘पुरानी चरमराती खटिया’’ बताया, Shivsena ने कहा- खुसर-फुसर क्यों हैं?

मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को अघाड़ी सरकार में ऐसी कुरकुराहट को सहन करने को तैयार रहना चाहिए। (file photo)

Highlightsशिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में एक संपादकीय में कहा गया कि विभिन्न विचारधाराओं वाले दलों के गठबंधन में नाराजगी होना लाजमी है। मराठी दैनिक में लिखा गया है, ‘‘खटिया पुरानी है लेकिन इसकी एक ऐतिहासिक विरासत है। इस खाट पर करवट बदलने वाले लोग भी बहुत हैं...चाहे कांग्रेस हो या राकांपा, दोनों दलों में तपे-तपाये नेता हैं जिन्हें पता है कि कब असंतोष प्रकट करना है और कब पाला बदलना है।

मुंबईः शिवसेना ने मंगलवार को अपनी सहयोगी कांग्रेस को ‘‘पुरानी चरमराती खटिया’’ बताया, जिसके बाद सोनिया गांधी की अगुवाई वाली पार्टी ने गठबंधन सरकार में अपनी बात नहीं सुने जाने को लेकर अपना असंतोष जाहिर किया।

हालांकि यह भी कहा कि महाराष्ट्र विकास अघाड़ी (एमवीए) की सरकार को कोई खतरा नहीं है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बालासाहेब थोराट ने कहा कि शिवसेना के मुखपत्र सामना का लेख पूरी तरह गलत जानकारी पर आधारित है । शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में एक संपादकीय में कहा गया कि विभिन्न विचारधाराओं वाले दलों के गठबंधन में नाराजगी होना लाजमी है। उसने कहा कि कांग्रेस ऐतिहासिक विरासत वाली एक पुरानी पार्टी है जहां नाराजगी की सुगबुगाहट ज्यादा है।

मराठी दैनिक में लिखा गया है, ‘‘खटिया पुरानी है लेकिन इसकी एक ऐतिहासिक विरासत है। इस खाट पर करवट बदलने वाले लोग भी बहुत हैं...चाहे कांग्रेस हो या राकांपा, दोनों दलों में तपे-तपाये नेता हैं जिन्हें पता है कि कब असंतोष प्रकट करना है और कब पाला बदलना है।’’ उसके संपादकीय में लिखा गया है, ‘‘ पार्टी में कई ऐसे हैं जो पाला बदल सकते हैं। यह कारण है कि कुरकुराहट महसूस की जा रही है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को अघाड़ी सरकार में ऐसी कुरकुराहट को सहन करने को तैयार रहना चाहिए।’’

शिवसेना ने इस संपादकीय में कहा है कि लेकिन किसी के मन में भी यह झूठी धारणा नहीं होनी चाहिए कि एमवीए सरकार (शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस) गिर जाएगी और “राजभवन के द्वार उनके लिए एक बार फिर सुबह-सुबह खोले जाएंगे।” संपादकीय में साफ तौर पर पिछले साल सत्ता-साझेदारी को लेकर शिवेसना और उसके तत्कालीन सहयोगी दल भाजपा के बीच गतिरोध के बीच नवंबर में राजभवन में सुबह सुबह भाजपा नेता देवेंद्र फड़नवीस को मुख्यमंत्री और राकांपा नेता अजीत पवार को उपमुख्यमंत्री के तौर पर शपथ दिलाने का हवाला दिया गया है।

ऐसी भावना पैदा हो रही है कि प्रदेश कांग्रेस को अलग-थलग कर दिया गया है

कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे राकांपा अध्यक्ष शरद पवार से कोविड-19 वैश्विक महामारी और चक्रवात ‘निसर्ग’ से प्रभावित लोगों को राहत देने समेत अन्य कई मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं, फलस्वरूप कांग्रेस के नेताओं में ऐसी भावना पैदा हो रही है कि प्रदेश कांग्रेस को अलग-थलग कर दिया गया है। कांग्रेस ने ठाकरे से जल्द से जल्द तीनों सत्तारूढ़ दलों की एक बैठक करने की अपील की है ताकि राज्य विधान परिषद में नामांकन के लिए 12 सदस्यों के नाम तय किए जा सकें। ‘सामना’ ने कांग्रेस को गठबंधन सरकार का “तीसरा स्तंभ” करार देते हुए दावा किया कि शिवसेना ने त्रिदलीय गठन में “सबसे ज्यादा बलिदान” दिया है।

शिवसेना ने कहा, ‘‘ खुसर-फुसर क्यों हैं? उनकी यह शिकायत कि उनकी नहीं सुनी जाती है, का क्या मतलब है? कांग्रेस के नेता और मंत्री बालासाहब थोराट और अशोक चव्हाण दोनों के पास शासन का लंबा अनुभव है। उन्हें याद याद रखना चाहिए कि राकांपा प्रमुख शरद पवार को भी प्रशासन में लंबा अनुभव है। लेकिन उनकी पार्टी से तो कोई शिकायत नहीं है।’’ उसने कहा कि नौकरशाही को लेकर शिकायत है लेकिन कितना ही बड़ा अधिकारी क्यों न हो , वह सरकारी सेवक होता है और उसे मुख्यमंत्री का आदेश मानना होता है।

शिवसेना ने कहा कि मुख्य सविव अजोय मेहता को बार बार सेवा विस्तार मिलने को लेकर शिकायत है और इस वजह से नौकरशाही में असंतोष है, तो इस मुद्दे पर चर्चा की जा सकती है। मुखपत्र में कहा गया है, ‘‘ लेकिन ऐसी कोई शिकायत नहीं है कि सरकार में कोई अवैध काम किया गया है। पूरी नौकरशाही और प्रशासन कोविड-19 महामारी से संघर्ष करने में लगा है लेकिन तब भी उद्धव ठाकरे को चव्हाण एवं थोरोट की बातें सुननी चाहिए।’’ उसमें कहा गया है कि विधानपरिषद की 12 सीटें विधानसभा में गठबंधन के हर दल के संख्याबल के आधार पर साझा की जानी चाहिए।

शिवसेना ने कहा, ‘‘ सत्ता साझेदारी में शिवसेना ने सबसे अधिक बलिदान दिया। उसे राकांपा को एक और मंत्रीपद देना पड़ा क्योंकि शरद पवार ने कांग्रेस को विधानसभाध्यक्ष का पद दिये जाने पर एतराज किया।’’ उसने कहा कि कांग्रेस को राज्यमंत्री के पदों के बजाय दो अतिरिक्त कैबिनेट मंत्री पद दिये गये। थोरोट ने कहा, ‘‘......‘सामना’ को एक और संपादकीय लिखना चाहिए। आज का लेख पूरी तरह अधूरी जानकारी पर आधारित है जो हमारे बारे में गलत संदेश देता है। हम महाराष्ट्र विकास अघाड़ी के साथ हैं।’’

‘सामना’ के संपादकीय से कांग्रेस के बारे में गलत संदेश गया :थोराट

मुंबई, 16 जून (भाषा) शिवसेना नीत महाराष्ट्र सरकार में शामिल कांग्रेस ने ‘सामना’ में प्रकाशित संपादकीय में पार्टी की तुलना ‘‘पुरानी चरमराती खटिया’’ से किये जाने पर मंगलवार को कहा कि इससे कांग्रेस के बारे में गलत संदेश गया है। शिवसेना के मुखपत्र में प्रकाशित संपादकीय में लिखा गया है, ‘‘कांग्रेस पार्टी भी अच्छा काम कर रही है, लेकिन समय-समय पर पुरानी खटिया रह-रह कर कुरकुर की आवाज करती है। खटिया पुरानी है लेकिन इसकी एक ऐतिहासिक विरासत है।

इस पुरानी खाट पर करवट बदलने वाले लोग भी बहुत हैं। इसलिए यह कुरकुर महसूस होने लगी है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को अघाड़ी सरकार में ऐसी कुरकुराहट को सहन करने की तैयारी रखनी चाहिए।’’ ठाकरे के साथ कांग्रेस नेताओं की बैठक से पहले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और राजस्व मंत्री बालासाहेब थोराट ने मंगलवार को संवाददाताओं से कहा कि उनकी पार्टी मुख्यमंत्री के साथ जनता से जुड़े मुद्दों पर बात करना चाहती है, ना कि अधिकारियों के तबादलों पर।

उन्होंने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री गठबंधन और सरकार के प्रमुख हैं। जब हमें सुना जाएगा तो उन्हें भी संतोष होगा। ‘सामना’ को एक और संपादकीय लिखना चाहिए। आज का लेख पूरी तरह अधूरी जानकारी पर आधारित है जो हमारे बारे में गलत संदेश देता है। हम महाराष्ट्र विकास अघाड़ी के साथ हैं।’’ ‘सामना’ में विधान परिषद में आने वाले समय में राज्यपाल के कोटा के आधार पर होने वाले मनोनयन विधानसभा में प्रत्येक पार्टी के सदस्यों की संख्या के अनुपात में होने के सुझाव के बारे में पूछे जाने पर थोराट ने कहा कि मंत्रालयों का आवंटन इसी आधार पर किया गया था।

थोराट और उनके मंत्रिमंडल सहयोगी अशोक चह्वाण जैसे वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने कांग्रेस में असंतोष की बात की थी। खबरों के अनुसार चह्वाण ने कहा था कि कांग्रेस के नेताओं और मंत्रियों में यह भावना घर कर रही है कि सत्तारूढ़ गठजोड़ में साझेदार के तौर पर उसे उचित हिस्सेदारी नहीं मिल रही। राज्य विधान परिषद की कुल 12 सीटों के लिए कांग्रेस में नये सिरे से असंतोष उभर सकता है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता इस बात पर जोर दे रहे हैं कि तीनों दलों-कांग्रेस, शिवसेना और राकांपा को चार-चार सीटें मिलें। 

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