बिहार के CM नीतीश कुमार के लिए बनाए गए हैं 10 कार्यालय, रखरखाव पर हो रहे हैं करोड़ों रूपये खर्च
By एस पी सिन्हा | Updated: December 22, 2019 04:45 IST2019-12-22T04:45:50+5:302019-12-22T04:45:50+5:30
बिहार की 12 करोड लोगों पर शासन करने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने लिए चैंबर के मामले में भी रिकॉर्ड बना लिये हैं. हालांकि आर्थिक विशेषज्ञ इसे फिजूलखर्ची बताते हैं.

बिहार के CM नीतीश कुमार के लिए बनाए गए हैं 10 कार्यालय, रखरखाव पर हो रहे हैं करोड़ों रूपये खर्च
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की चर्चा भले हीं देशभर में एक विकास पुरूष के तौर की जाती हो, लेकिन एक सच्चाई यह भी है कि सूबे के एक मुख्यमंत्री के काम करने के लिए 10 कार्यालय और चैंबर बनाये गये हैं, जो शायद देश के किसी भी राज्य के मुख्यमंत्री के लिए नही होगा.
बिहार की 12 करोड लोगों पर शासन करने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने लिए चैंबर के मामले में भी रिकॉर्ड बना लिये हैं. हालांकि आर्थिक विशेषज्ञ इसे फिजूलखर्ची बताते हैं.
विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि जब दुनिया डिजिटाइजेशन की ओर तेजी से बढ रही है. ऐसे में इतने चैंबर के रखरखाव पर बडी सरकारी राशि खर्च हो रही होगी तो यह पूरी तरह से फिजूलखर्ची है. लेकिन सच्चाई यह है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार में 2005 से अबतक, बीच के डेढे साल को छोड दें, तो लगातार मुख्यमंत्री की कुर्सी पर रहे हैं.
इन सालों में मुख्यमंत्री ने अपने लिए राजधानी पटना में 10 से अधिक चैंबर बनाए हैं. पटना से बाहर और दिल्ली में भी मुख्यमंत्री के लिए खास चैंबर और कार्यालय हैं. ऐसे में यह सवाल उठने लगा है कि किसी मुख्यमंत्री के लिए 10 से अधिक चैंबर की जरूरत है क्या? यहां उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री आवास 1 अणे मार्ग पर मुख्यमंत्री नीतीश का संकल्प चैंबर है, यहां से मुख्यमंत्री सारे कामकाज निपटाते हैं. फिर मुख्यमंत्री सचिवालय संवाद, यहां मुख्यमंत्री का विशेष चैंबर है. मुख्यमंत्री अधिकांश समीक्षा बैठक यहीं करते हैं.
वहीं, हाल ही में मुख्यमंत्री सचिवालय, संवाद में नया भवन भी बना है. उसमें भी नीतीश कुमार के लिए विशेष चैंबर तैयार किया गया है. जबकि मुख्य सचिवालय, जहां उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी, कई मंत्रियों के विभाग हैं. मुख्य सचिव, गृह सचिव, विकास आयुक्त सहित कई विभागों के आला अधिकारी बैठते हैं. यहां पहले से मुख्यमंत्री के लिए कार्यालय और चैंबर हैं.
यहीं कैबिनेट हॉल भी है. इसके अलावे बिहार विधानसभा में भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का एक चैंबर है. इसके साथ हीं बिहार विधानसभा के नए विस्तारित भवन में भी मुख्यमंत्री के लिए विशेष चैंबर बनाए गए हैं. जबकि बिहार विधान परिषद में भी मुख्यमंत्री का पहले से चैंबर है. इसके साथ हीं बिहार विधान परिषद के नए विस्तारित भवन में भी मुख्यमंत्री के लिए विशेष चैंबर बनाए गए हैं.
वहीं, पुलिस मुख्यालय सरदार पटेल में भी आपदा के समय मुख्यमंत्री के लिए विशेष व्यवस्था की गई है. जबकि 6-ए स्ट्रैंड रोड में भी मानव विकास मिशन के चेयरमैन होने के नाते नीतीश कुमार का एक चैंबर है. जबकि नई दिल्ली में बिहार भवन में भी मुख्यमंत्री का चैंबर है और अब उनके नाम पर दिल्ली में आवंटित नये बंगले में भी मुख्यमंत्री का चैंबर बनाया गया है, जहां उनका एक सचिवालय काम करता है.
इसतरह से एक मुख्यमंत्री के लिए कई चैंबर बने हुए हैं. इन सबके बीच जदयू नेताओं का कहना है कि बिहार में नीतीश कुमार ने विकास का नया इतिहास लिखा है. चैंबर कितने हैं. ये बात ज्यादा मायने नहीं रखती. वहीं, भाजपा प्रवक्ता नवल यादव तंज कसते हुए कहते हैं कि मुख्यमंत्री हैं, जितना चाहे उतना चैंबर रख सकते हैं. इसमें गलत क्या है?
ऐसे में जानकारों का कहना है कि मुख्यमंत्री के सभी कार्यालय और चैंबर के रखरखाव पर हर साल बडी राशि खर्च होती है. ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि पटना जैसे छोटे से एरिया में, जो मुश्किल से 5 किलोमीटर का भी नहीं होगा. उन्हें इतने सारे चैंबर और कार्यालय की जरूरत पड रही है? एक गरीब राज्य के मुख्यमंत्री के कार्यालय एवं चैंबर के रखरखाव पर हीं करोडों रूपये खर्च हो जा रहे हैं.