18 दागी मंत्रियों की बर्खास्तगी को लेकर बिहार विधानसभा में हंगामा, राजद, कांग्रेस और माले विधायकों ने किया प्रदर्शन
By एस पी सिन्हा | Updated: February 24, 2021 18:01 IST2021-02-24T17:58:30+5:302021-02-24T18:01:41+5:30
बिहार इलेक्शन वॉच और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने कहा कि 64 प्रतिशत मंत्रियों के खिलाफ मामले दर्ज हैं। कई पर रेप केस भी है।

माले विधायकों का कहना है जब तक नीतीश कुमार अपने सभी दागी मंत्रियों की बर्खास्तगी कर नए कैबिनेट का गठन नहीं करते हैं, तब तक यह विरोध जारी रहेगा। (file photo)
पटनाः बिहार विधानमंडल में विपक्षी दलों ने जमकर हंगामा किया। बजट सत्र के चौथे दिन नीतीश सरकार के 18 दागी मंत्रियों का मुद्दा छाया रहा। विपक्षी दल के विधायकों ने लगातार अलग-अलग मुद्दों पर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया।
कांग्रेस, राजद और भाकपा-माले सहित विपक्ष के नेताओं ने सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले ही परिसर में विरोध प्रदर्शन किया। माले विधायकों ने कहा नीतीश सरकार के 64 फीसदी मंत्रियों पर किसी न किसी मामले में अपराध दर्ज हैं। वे सभी संगीन अपराध के आरोपी हैं। विधायकों ने नीतीश सरकार से इन आरोपियों को तुरंत बर्खास्त करने की मांग की।
रोजगार और महंगाई के मुद्दे पर प्रदर्शन
राजद विधायकों ने भी विधानसभा के मुख्य द्वार पर रोजगार और महंगाई के मुद्दे पर नीतीश सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। ऐसे लोगों को नीतीश कुमार ने बिहार के विकास की जिम्मेदारी सौंप दी है। उनके साथ रहते बिहार में सुशासन कैसे कायम रह सकता है। बिहार में आए दिन अपराध हो रहे है।
जीरो टॉलरेंस की बात मुख्यमंत्री करते हैं, लेकिन अपने सहयोगियों पर गंभीर आरोप के बाद भी उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल करा के क्या मैसेज दे रहे है। भाकपा-माले विधायक महबूब आलम ने उद्योग मंत्री सैयद शाहनवाज हुसैन पर बड़ा हमला करते हुए कहा कि उन पर दुष्कर्म का मामला दर्ज है, लेकिन उन्होंने अपने शपथ पत्र में इस बात को छुपाया है।
खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री लेसी सिंह तस्करी मामले में लिप्त
इसी तरह खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री लेसी सिंह भी तस्करी के मामले में लिप्त रही हैं। सरकार की जीरो टालरेंस पर की बात बिल्कुल झूठी है। भूमि एवं राजस्व मंत्री रामसूरत राय के स्कूल में शराब की खेप बरामद की जाती है। लेकिन उनके खिलाफ किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जा रही है।
माले विधायकों का कहना है जब तक नीतीश कुमार अपने सभी दागी मंत्रियों की बर्खास्तगी कर नए कैबिनेट का गठन नहीं करते हैं, तब तक यह विरोध जारी रहेगा। वहीं, माले के इस विरोध को एनडीए विधायक ने बेवजह का हंगामा बताया है। हमलोग राजनीति से जुडे़ हैं, जिसमें कई बार सामाजिक काम को लेकर हमारे खिलाफ मामले दर्ज किया जाता है। इसे कैसे दागी कहा जा सकता है?
64 प्रतिशत मंत्रियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज
उनके लिए लालू प्रसाद यादव जो जेल में सजा काट रहे हैं, वह दागी नहीं हैं। लेकिन हमलोगों के ऊपर कोई केस नहीं है तो दागी का आरोप लगाया जाता है। यहां बता दें कि एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्मस (एडीआर) और इलेक्शन वॉच की ताजा रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि नीतीश कैबिनेट के 31 सदस्यों में से 18 यानी 64 प्रतिशत मंत्रियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं।
इनमें से 14 के खिलाफ दर्ज मामले गंभीर आपराधिक किस्म के हैं। यह रिपोर्ट 28 मंत्रियों के आत्म शपथ पत्र के विश्लेषण के आधार पर तैयार की गई है। दो मंत्री अशोक चौधरी और जनक राम अभी विधानसभा या विधानपरिषद के सदस्य नहीं हैं। इसलिए उनके शपथपत्रों का विश्लेषण नहीं हो सका है। इसमें भाजपा कोटे से मंत्री रामसूरत कुमार के ब्योरे का भी विश्लेषण नहीं किया जा सका है।
हम, विकास इंसान पार्टी और एक निर्दलीय शामिल
बताया जा रहा है कि उनका पूरा ब्योरा चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं था। रिपोर्ट के अनुसार गंभीर आपराधिक मामलों के साथ कैबिनेट के 14 मंत्रियों में से भाजपा के सर्वाधिक 11 (57 फीसदी) और जदयू के तीन (27 फीसदी) मंत्री हैं। गंभीर आपराधिक मामलों वाले तीन अन्य मंत्रियों में हम, विकास इंसान पार्टी और एक निर्दलीय शामिल हैं।
हालांकि इतनी बडी संख्या में दागी नेताओं के चुने जाने पर किसी को हैरानी नहीं है। एडीआर और इलेक्शन वॉच की एक पूर्व की रिपोर्ट के अनुसान हाल में चुने गए सभी पार्टियों के 243 नेताओं में से 163 (68 फीसदी) ने खुद पर आपराधिक मामलों की जानकारी दी थी, यह पिछली बार से ज्यादा है।
2015 विधानसभा चुनाव 243 में से 142(58 फीसदी) ने अपने खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों की जानकारी दी थी। इस बार जीत हासिल करने वाले 123 (51 फीसदी) विधायकों के खिलाफ गंभीर किस्म के आपराधिक मामले दर्ज हैं, जबकि पांच साल पहले 98 के खिलाफ दर्ज थे. इस बार 19 के खिलाफ हत्या, 31 के खिलाफ हत्या के प्रयास, आठ के खिलाफ महिला के विरुद्ध अपराध के मामले दर्ज हैं।