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अगले आम चुनाव में बीजेपी काट सकती है शत्रुघ्न सिन्हा का टिकट, अटल जी की बेटी को मिल सकता है मौका

By एस पी सिन्हा | Updated: August 23, 2018 21:56 IST

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की दत्तक पुत्री नमिता भट्टाचार्य क्या पटना साहिब से भाजपा की उम्मीदवार बनेंगी? इस पर राजानीतिक गलियारे में चर्चा शुरू हो गई है।

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पटना, 23 अगस्त:  पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की दत्तक पुत्री नमिता भट्टाचार्य क्या पटना साहिब से भाजपा की उम्मीदवार बनेंगी? इस पर राजानीतिक गलियारे में चर्चा शुरू हो गई है। चर्चा है कि भाजपा अपने बडबोले सांसद बिहारी बाबू अर्थात शत्रुघ्न सिन्हा के जगह नमिता भट्टाचार्य को यहां से अपना उम्मीदवार बना सकती है।

वैसे, इस चर्चा पर अभी कोई खुलकर बोलने को तैयार नही है, लेकिन कहा जा रहा है कि अभी यह चर्चा प्रारंभिक स्तर पार्टी के भीतर हुई है। पार्टी सूत्रों की अगर मानें तो इसपर अंदर खाने में दबी जुबान चर्चा चलने लगी है, उसका कारण यह है कि वर्तमान सांसद शत्रुघ्न सिन्हा लगातार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आलोचना कर पार्टी को संकट में डाल दे रहे हैं।

यहीं नहीं उन्होंने दूसरे दल से भी चुनाव लडने के संकेत दिया भी है। ऐसे में पार्टी पटना साहिब सीट से किसी कद्दावर को उतरना चाहती है, जो जरूरत पडने पर बिहारी बाबू पर भारी भी पडे। ऐसे में नमिता भट्टाचार्य के ससुराल वाले मूल रूप से पटना के निवासी हैं और उनके पुर्वजों के नाम पर पटना में भट्टाचार्य रोड भी है, जो काफी चर्चित है। फिर अटल जी के नाम के साथ बिहारी शब्द जुडा होने के कारण बिहार के लोग उन्हें अपना मानते हैं। उनका भी लगाव बिहार से भी था। हालांकि, नमिता कभी राजनीति में सक्रिय नहीं रही है। लेकिन बावजूद इसके भाजपा के द्वारा उन्हें आजमाने पर गंभीरता पूर्वक विचार किये जाने की चर्चा है।

उधर, भाजपा जल्द ही अपने सहयोगियों के साथ सीट शेयरिंग पर बात करने वाली है। भाजपा के लिए सबसे अहम व टफ टास्क बिहार में अपने सहयोगी जदयू के साथ सीट शेयरिंग पर बात को लेकर है। 2014 को छोड दें तो अब तक जदयू का पलडा ही भारी रहा है। सूत्रों की अगर मानें तो अगले महीने भाजपा अपने सहयोगियों के साथ मिल बैठ कर इस मसले को सुलझा लेगी।

पिछले महीने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने कहा था कि एक महीने में भाजपा की ओर से प्रस्ताव आ जायेगा। वह समय सीमा भी पूरी हो चुकी है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के बाद से भाजपा की सभी राजनीतिक गतिविधियां थमी हुई है। अभी राज्य में एनडीए के पास लोकसभा की 32 सीटें हैं। 

इसमें भाजपा के पास 22, तो जदयू के पास दो सीटें है। लोजपा के पास पांच और रालोसपा के पास तीन सीटें हैं। वहीं, जानकारों की अगर मानें तो सीटिंग का फार्मूला चला तो जदयू को कम सीट मिलेगी। इसके पहले 2004 में जदयू 24 व भाजपा 16 तथा 2009 में जदयू 25 व भाजपा 15 सीट पर चुनाव लडी थी। 2014 में दोनों दल अलग- अलग चुनाव लडे थे। इतना तय है कि अमित शाह की जब सीधे जदयू के अपने समकक्ष से बात होगी तभी परिणाम निकलेगा। अगले महीने भाजपा की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक होनेवाली है। इसके बाद प्रदेश कार्यसमिति की बैठक होगी। दोनों बैठकों में सीट शेयरिंग के मुद्दे पर भी चर्चा होगी।

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