बिहार की अररिया लोकसभा सीट को लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने तब जीती थी जब पूरे देश में मोदी लहर थी। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने बीते लोकसभा चुनाव 2014 में बिहार की 40 में से 22 सीटें जीत ली थीं। जबकि उनके सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) ने 6 और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) ने 3 सीटों पर कब्जा किया था। यानी कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने बिहार की 40 में से कुल 31 सीटें निकाल ले गई थीं। ऐसे में लालू के नेतृत्व में सीमांचल के बड़े नेता तस्लीमुद्दीन ने ये सीट बीजेपी की झोली से खींच ली थी। क्योंकि इससे पहले दो लोकसभा चुनावों 2009-2004 में अररिया पर बीजेपी काबिज थी।
लेकिन ना इस बार लालू हैं, ना तस्लीमुद्दीन। तस्लीमुद्दीन के निधन होने से ही यह सीट खाली हुई थी। अब 11 मार्च को इस पर उपचुनाव होने जा रहे हैं। आगामी 14 मार्च को नतीजे आएंगे। और यही तेजस्वी यादव की असल राजनैतिक पारी शुरुआत और आरजेडी के भावी नेता की पहली बाधा भी। इन चुनावों की घोषणा के ठीक बाद तेजस्वी ने एक व्यंग्यात्मक ट्वीट भी किया था, जिसमें उन्होंने नीतीश कुमार को खुद को बच्चा न आंकने की सलाह दी थी।-
अररिया लोकसभा सीट की बारीक राजनैतिक जानकारियां
अररिया जिला बिहार की राजनीति के दृष्टिकोण से अहम रहा है। आजादी के बाद यहां कांग्रेस का दबदबा रहा। लेकिन देश की राजनीति पलटी और अररियावासियों ने कांग्रेस को उखाड़ फेंका। आखिरी बार कांग्रेस यहां सन 1984 में जीती थी। इसके बाद सुखदेव पासवान और जनता दल की जुगलबंदी ने हैट्रिक बनाया। जनता दल टूटा और 1998 के चुनाव में सुखदेव चौथी बार सांसद बनने से चूक गए।
लेकिन उन्होंने बीजेपी के रास्ते वापसी की 1999 में चौथी और समय की नजाकत समझते हुए 2004 में आरजेडी की सीट पर पांचवीं बार सांसद बने। लेकिन बीजेपी ने अगले चुनाव में उनकी राजनीति समाप्त कर दी। साल 2009 के चुनाव में प्रदीप कुमार सिंह बीजेपी की सीट पर अररिया के सांसद बने। लेकिन प्रदीप कुमार सिंह की पांच साल सांसदी ऐसी रही कि देश में मोदी लहर के बावजूद 2014 के आम चुनावों में वह आरजेडी प्रत्याशी मोहम्मद तसलीमुद्दीन से डेढ़ गुने से ज्यादा वोटों के अंतर से हारे।
| पार्टी | उम्मीदवार | वोट शेयर | कुल मिले वोट |
| आरजेडी | मोहम्मद तसलीमुद्दीन | 41.81% | 4,07,978 |
| बीजेपी | प्रदीप कुमार सिंह | 26.80% | 2,61,474 |
| जेडीयू | विजय कुमार मंडल | 22.73% | 2,21,769 |
| बीएसपी | अब्दुल रहमान | 1.82% | 17,724 |
| नोटा | नोटा | 1.70% | 16,608 |
अररिया उपचुनाव 2018: बुझे हुए कारतूस पर BJP ने खेला दांव, RJP खेला है इमोशनल कार्ड
अररिया में जेडीयू ने कभी जीत का स्वाद नहीं चखा। पिछले चुनाव में माना गया कि बीजेपी की हार मुख्य कारण जेडीयू उम्मीद विजय कुमार मंडल थे। जिन्होंन करीब-करीब बीजेपी प्रत्याशी प्रदीप कुमार सिंह के बराबर वोट पाया था। लेकिन इस वक्त हालात दूसरे हैं। प्रदेश राजनीति में बीजेपी, जेडीयू की सहयोगी है। इसलिए अबकी जेडीयू, बीजेपी के खिलाफ उपचुनाव में अपने प्रत्याशी नहीं उतार रही है। लेकिन बीजेपी ने फिर से पूर्व सांसद प्रदीप कुमार सिंह पर ही दांव खेला है जो मोदी लहर में भी नहीं जीत पाए थे।
आरजेडी ने इमोशनल कार्ड खेलते हुए दिवंगत सांसद तसलीमुद्दीन के बेटे सरफराज आलम को टिकट दिया है। यह थोड़ा दिलचस्प इसलिए भी हो गया है कि पिता की मृत्यु तक, बल्कि अररिया लोकसभा उपचुनावों की घोषणा तक सरफराज जेडीयू की सीट पर अररिया जिले की ही जोकीहट विधानसभा सीट से विधायक थे। उपचुनावों की घोषणा की ठीक बाद उन्होंने जेडीयू से इस्तीफा दिया था।
| क्रमांक | पार्टी | प्रत्याशी |
| 1 | बीजेपी | प्रदीप कुमार सिंह (2009 में बीजेपी की सीट पर सांसद रह चुके हैं) |
| 2 | आरजेडी | सरफराज आलम (अंतिम चुनाव में जीतने वाले दिवंगत तसलीमुद्दीन के बेटे ) |
| 3 | राष्ट्रीय जनसंभावना पार्टी | उपेंद्र साहनी |
| 4 | जन अधिकार पार्टी (लोकतांत्रिक) | प्रिंस विक्टर |
| 5 | निर्दलीय | बिनीत प्रकाश |
| 6 | निर्दलीय | माहेश्वर ऋषि |
| 7 | निर्दलीय | सुदामा सिंह |
अररिया लोकसभा उपचुनाव 2018 के वोटर
अररिया ओबीसी बाहुल्य लोकसभा सीट मानी जाती है। एबीपी न्यूज की एक रिपोर्ट के मुताबिक 1 जनवरी 2018 के ताजे आंकड़ों में अरिरिया लोकसभा में 17 लाख 37 हजार 468 वोटर बताए गए हैं। इनमें 9 लाख 19 हजार 115 पुरुष मतदाता हैं। जबकि 8 लाख 18 हजार 286 महिला मतदाता हैं। साथ ही 67 थर्ड जेंडर मतदाता भी सूची में शामिल हैं।
करीब-करीब बराबरी की वोट शेयर करने के बाद भी 13 बार हो चुके लोकसभा चुनावों में कभी कोई महिला प्रत्याशी यहां से नहीं जीती। ना ही इस बार किसी भी पार्टी ने महिला उम्मीदवार मैदान में उतारे। बहरहाल, पिछले लोकसभा चुनाव में करीब 61.48 फीसदी वोट डालने के लिए लोग घरों से निकले थे। इस बार भी बड़े पैमाने पर चुनाव प्रचार हो रहा है जिसमें एक अहम मुद्दा लोगों को वोट डालने जाने के लिए जागरूक करना भी है।
अररिया लोकसभा सीट की अर्थव्यवस्था
अररिया लोकसभा सीट एक कृषि प्रधान क्षेत्र है। अररिया जिला को विकासशील क्षेत्र के तौर पर जाना जाता है। इसे पिछड़ा क्षेत्र अनुदान निधि कार्यक्रम के तहत अनुदान भी मिलता रहे हैं। साल 2011 के आंकड़ों के अनुसार 28 लाख से ज्यादा की जनसंख्या वाला यह जिला बिहार की राजनैतिक दृष्टि से बेहद अहम है।
अररिया क्षेत्र के विधानसभा चुनावों में बीजेपी-जेडीयू थी आगे
अररिया जिले में आखिरी बार विधानसभा चुनाव 2015 हुए थे। इसमें मतदाताओं ने साफ जनादेश किसी पार्टी को नहीं दिया था। पर बीजेपी उम्मीदवारों को तरजीही मिली थी। इस क्षेत्र में कुल छह विधानसभाएं हैं- अररिया, नरपतगंज, रानीगंज, फारबिसगंज, जोकीहाट और सिकटी। इनमें बीजेपी और जेडीयू दो-दो सीटों पर जीत हासिल की थी। इस लिहाज से देखें तो दोनों का मेल आरजेडी के लिए बड़ी चुनौती बनने जा रहा है।
| विधानसभा क्षेत्र | जीता उम्मीदवार व पार्टी | हारा उम्मीदवार व पार्टी |
| नरपतगंज | अनिल कुमार यादव (आरजेडी) | जनार्दन यादव (बीजेपी) |
| रानीगंज | अचमित ऋषिदेव (जेडीयू) | रामजी दास ऋषिदेव (बीजेपी) |
| जोकीहाट | सरफराज आलम (जेडीयू) | राजनीति यादव निर्दलीय |
| फारबिसगंज | विद्या सागर केसरी (बीजेपी) | कत्यानंद बिश्वास (आरजेडी) |
| सिकटी | विजय कुमार मंडल (बीजेपी) | शत्रुघन प्रसाद सुमन (जेडीयू) |
| अररिया | उबैदुर रहमान (कांग्रेस) | अजय कुमार झा (एलजेपी) |
MY VIEW: बिहार में एक बार फिर राजनैतिक मंच सज गया है। अररिया लोकसभा के साथ जहानाबाद व भभुवा विधानसभा सीटों पर भी 11 मार्च को उपचुनाव होने हैं। इनके लिए राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव, सुशील मोदी से लेकर नीतीश कुमार तक सक्रिय हैं। लेकिन दुर्भाग्य से यह चुनाव मुद्दों, आमजन के समस्याओं से हटकर प्रतिष्ठा और प्रतिशोध की तरफ बढ़ गया है। रोजाना निजी हमलों से जनता को उकसा कर वोट लेने की कोशिश चल रही है। ऐसे में आमजन और आम मतदाताओं के लिए परेशानियां और बढ़ गई हैं, बजाए कि उनकी मुश्किलों के हल होने के।