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30 की उम्र के बाद जरूरी हैं ये 10 मेडिकल टेस्ट, जानें अपनी सेहत का हाल, खतरनाक बीमारियों से होगा बचाव

By संदीप दाहिमा | Updated: March 6, 2022 06:41 IST

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कम्पलीट ब्लड काउंट (CBC) - यह टेस्ट एनीमिया, संक्रमण, कुछ प्रकार के कैंसर, और इसी तरह के निदान के लिए किया जाता है। यह भारतीय महिलाओं के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि वो आयरन की कमी वाले एनीमिया रोग से पीड़ित हैं। यदि सीबीसी ठीक है, तो इसे वर्ष में एक बार दोहराया जा सकता है।
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ब्लड प्रेशर टेस्ट - ब्लड प्रेशर की 120/80 से नीचे एक रीडिंग आदर्श है। अगर रेंज नॉर्मल है, तो आप यह टेस्ट एक साल बाद भी करा सकते हैं।
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ब्लड शुगर टेस्ट - यह टेस्ट 12 घंटे के उपवास की अवधि के बाद डायबिटीज का पता लगाने में मदद करता है। 99 की रीडिंग सामान्य है, 100 और 110 के बीच प्री-डायबिटीज इंगित करता है और 110 से अधिक डायबिटीज दर्शाता है।
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लिपिड प्रोफाइल - यह टेस्ट दिल के स्वास्थ्य का एक सटीक संकेतक माना जाता है। यह रक्त परीक्षण कुल कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड्स, एचडीएल और एलडीएल स्तरों को मापता है। एलडीएल और ट्राइग्लिसराइड्स आदर्श रूप से <130 और HDL>60 होना चाहिए। नॉर्मल रेंज वाले लोग 2 साल में एक बार परीक्षण करा सकते हैं।
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लिवर फंक्शन टेस्ट इसे एक साल में कराया जा सकते है। इससे आपको लीवर की स्थिति का पता चल सकता है जैसे कि अलीवर डैमेज होना, फैटी लिवर, हेपेटाइटिस सी और बी आदि के बारे में।
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यूरिन टेस्ट - यह मूत्र के नमूने में प्रोटीन, चीनी और रक्त (विशेषकर धूम्रपान करने वाले जो मूत्राशय के कैंसर के लिए उच्च जोखिम में हैं) की उपस्थिति की जांच करता है, जो अन्य स्थितियों के अलावा, गुर्दे की बीमारी का संकेत दे सकता है। यदि रिपोर्ट सामान्य है, तो अगले वर्ष टेस्ट कराएं।
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किडनी फंक्शन टेस्ट - सीरम क्रिएटिनिन का बढ़ना किडनी के प्रभावित होने के संकेत हो सकता है जो इस टेस्ट से पता चलता है। बेशक 0।3-1.2 को नॉर्मल रेंज माना जाता है लेकिन व्यक्ति के आकार को भी ध्यान में रखना होगा।
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यह ब्लड टेस्ट अंडरएक्टिव (हाइपोथायरायडिज्म) या ओवरएक्टिव थायरॉइड (हाइपरथायरायडिज्म) का पता लगाने में मदद करता है। अगर रेंज नॉर्मल है, तो आप एक साल छोड़कर करा सकते हैं।
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विटामिन डी की कमी से बाद के वर्षों में हड्डियों के नुकसान और ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है। यही वजह है कि एक्सपर्ट 30 की उम्र के बाद इस टेस्ट को कराने की सलाह देते हैं।
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35 वर्ष की आयु के बाद इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी) टेस्ट जरूरी है, जो हृदय रोग के जोखिम की जाँच करता है। यदि रिपोर्ट सामान्य है, तो इसे सालाना दोहराया जा सकता है।
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