1 / 5कोरोना वायरस, प्लेग और खसरा की मार झेल रहे अफ्रीका में अब इबोला वायरस ने एक बार फिर दस्तक दे दी है। यूनिसेफ ने कहा कि डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में इबोला वायरस के एक ताजा प्रकोप में एक 15 वर्षीय लड़की सहित पांच लोगों की मौत हो गई है और कुल नौ मामले दर्ज किए गए हैं।2 / 5इबोला एक घातक वायरस है जो बुखार, शरीर में दर्द और दस्त का कारण बनता है। इसकी वजह से कभी-कभी शरीर के अंदर और बाहर रक्तस्राव भी हो सकता है। जैसे ही वायरस शरीर में फैलता है, यह प्रतिरक्षा प्रणाली और अंगों को नुकसान पहुंचाता है। अंततः, यह रक्त के थक्के बनाने वाली कोशिकाओं के स्तर को गिरा देता है। 3 / 5इबोला सर्दी, इन्फ्लूएंजा या खसरे जैसा आम वायरस नहीं है। यह बंदर, चिंपांजी या फ्रूट बैट आदि संक्रमित जानवर की त्वचा या शारीरिक तरल पदार्थ के संपर्क में आने से लोगों में फैलता है। फिर यह उसी तरह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति की ओर बढ़ता है। यह उनमें भी फैल सकता है, जो किसी बीमार व्यक्ति की देखभाल करते हैं या किसी ऐसे व्यक्ति को दफनाते हैं जिनकी इस बीमारी से मृत्यु हो गई है।4 / 5इबोला वायरस की चपेट में आने से आपको 2 से 21 दिनों तक फ्लू जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं। इनमें तेज बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, गले में दर्द, दुर्बलता, पेट दर्द और भूख की कमी आदि शामिल हैं।5 / 5इबोला को रोकने के लिए कोई टीका नहीं है। बीमारी को पकड़ने से बचने का सबसे अच्छा तरीका उन क्षेत्रों की यात्रा नहीं करना है जहां वायरस पाया जाता है। ऐसे क्षेत्रों में खासकर आपको चमगादड़, बंदर, चिंपांज़ी और गोरिल्ला के संपर्क से बचें क्योंकि ये जानवर इबोला को लोगों में फैलाते हैं। इसके अलावा मरीज के इलाज के दौरान डॉक्टर मास्क, दस्ताने और काला चश्मा जरूर पहनें।