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क्या है 'ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन'? जानें संक्रमण के बाद रोग प्रतिरोधक शक्ति के बारे में

By संदीप दाहिमा | Updated: January 31, 2022 15:03 IST

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कोविड-19 ऑस्ट्रेलिया और दुनिया के कई हिस्सों में अभी भी तेजी से फैल रहा है। जो लोग संक्रमण से जूझ रहे हैं या इससे उबर रहे हैं वे सवाल कर सकते हैं कि क्या कोविड-19 के संपर्क में आने से उन्हें संक्रमण की अगली लहर आने पर लंबे समय तक रोग प्रतिरोधक शक्ति मिलेगी ?
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महामारी के प्रारंभिक दिनों से ही हमें यह पता है कि कोविड-19 से कई रोग प्रतिरोधक प्रतिक्रियाएं पैदा होती हैं और एक बार संक्रमण होने के बाद, भविष्य में होने वाले संक्रमणों से आंशिक तौर पर सुरक्षा मिलती है। हमने विभिन्न स्वरूपों से कोविड की रोग प्रतिरोधक शक्ति के बारे में और जानकारियां हासिल करना शुरू कर दिया है।
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अभी तक हमें यह पता चला है- टीके की खुराक ले चुके लोग संक्रमित हो रहे हैं लेकिन टीके अब भी जरूरी हैं : ऑस्ट्रेलिया में 16 वर्ष से अधिक आयु के करीब 95 प्रतिशत लोगों ने कोविड-19 रोधी टीके की कम से कम दो खुराक ले रखी है लेकिन टीके की खुराक लेने के बावजूद वे कोविड की चपेट में आ रहे हैं इसे ‘ब्रेकथ्रू इन्फैक्शन’ कहा जाता है। टीके कोविड से गंभीर रूप से बीमार पड़ने से रोकने के लिए प्रभावी हैं। वे संक्रमण को रोकने, खासतौर से नए स्वरूपों से रोकने के लिए अधिक प्रभावी नहीं हैं।
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टीके की तीसरी खुराक रोग प्रतिरोधक शक्ति बनाए रखने में मदद करती है और प्रत्येक योग्य व्यक्ति को जल्द से जल्द बूस्टर खुराक लेनी चाहिए। अच्छी खबर यह है कि पहले एस्ट्राजेनेका की खुराक लेने वाले और फिर फाइजर या मॉडर्ना की बूस्टर खुराक लेने वाले लोगों में रोग प्रतिरोधक शक्ति अधिक होती है। हाल के अध्ययन से पता चलता है कि ब्रेकथ्रू इन्फैक्शन के बाद एंटीबॉडी रोग प्रतिरोधक शक्ति में वृद्धि होती है। एंटीबॉडी रोग प्रतिरोधक शक्ति में यह वृद्धि, हो सकता है उतनी तेज या मजबूत न हो, जितनी टीके की खुराक लेने से मिलती है लेकिन यह बड़ी सफलता है कि यह रोग प्रतिरोधक शक्ति वायरस के डेल्टा जैसे स्वरूप से बचाव करती है।
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संक्रमण की रोग प्रतिरोधक शक्ति वहां बनती है जहां सबसे पहले कोविड हमला करता है: संक्रमित होने के बाद बनी रोग प्रतिरोधक शक्ति के लिए एक अन्य संभावित फायदा टीकाकरण के मुकाबले यह है कि रोग प्रतिरोधक शक्ति नाक, गले और आंखों की सतहों पर अधिक केंद्रित होती है। कोविड सबसे पहले यहीं असर डालता है। डेल्टा संक्रमण ओमीक्रोन के खिलाफ थोड़ी सुरक्षा देता है : ओमीक्रोन स्वरूप दुनियाभर में डेल्टा स्वरूप को धीरे-धीरे हटा रहा है। यह अधिक संक्रामक है और इस पर एंटीबॉडी का ज्यादा असर नहीं होता।
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डेल्टा स्वरूप से संक्रमित हो चुके लोगों को क्या ओमीक्रोन स्वरूप से सुरक्षा मिलती है? दोनों स्वरूपों में कुछ अनुक्रमण संबंधी बदलाव हैं लेकिन ओमीक्रोन में डेल्टा के मुकाबले अधिक उत्परिवर्तन है। डेल्टा स्वरूप से लड़ने वाली कुछ एंटीबॉडी ओमीक्रोन स्वरूप से भी लड़ सकती हैं। यह उन लोगों के मामले में सही है जो डेल्टा से संक्रमित हो चुके हैं और टीके की खुराक ले चुके हैं। इसके विपरीत यह भी सच है - ओमीक्रोन से संक्रमित हो चुके लोगों में डेल्टा के खिलाफ एंटीबॉडी सुरक्षा में थोड़ा सुधार आता है। कुल मिलाकर डेल्टा और ओमीक्रोन से संक्रमित होने पर कोरोना वायरस के इन स्वरूपों के खिलाफ रोग प्रतिरोधक शक्ति में वृद्धि मिलती है।
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संक्रमण से किसी व्यक्ति को उसी स्वरूप से फिर से संक्रमित होने से संभवत: सुरक्षा मिलेगी। हालांकि, रोग प्रतिरोधक शक्ति चिरस्थायी नहीं होगी और यह भी संभव है कि लोग गंभीर रूप से बीमार हो सकते हैं। ओमीक्रोन से सुरक्षा देने वाले टीकों का इंतजार करते हुए बूस्टर खुराक के साथ ही सामाजिक उपाय करना स्वस्थ रहने के लिए सबसे अच्छा तरीका है।
टॅग्स :हेल्थ टिप्सकोरोना वायरसकोविड-19 इंडियाओमीक्रोन (B.1.1.529)
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