1 / 6मिर्गी के कारणों में ऑटिज्म, जेनेटिक, बचपन में उच्च बुखार, मेनिन्जाइटिस सहित संक्रामक रोग, गर्भावस्था के दौरान मातृ संक्रमण, गर्भावस्था के दौरान खराब पोषण, जन्म से पहले या उसके दौरान ऑक्सीजन की कमी, सिर पर आघात, मस्तिष्क में ट्यूमर या अल्सर आदि शामिल हैं। 2 / 6मिर्गी के कारण - उत्साह, चमकती या टिमटिमाती हुई रोशनी, नींद की कमी, संगीत या ज़ोर शोर, भोजन नहीं करना और तनाव आदि मिर्गी के जोखिम कारक हैं जो मिर्गी के लक्षणों को बढ़ा सकते हैं। 3 / 6बच्चों को मिर्गी का दौरा पड़ने पर क्या करें - बच्चे को धीरे से फर्श पर लेटा दें। उसके आसपास की वस्तुओं को हटा दें। अब धीरे-धीरे बच्चे को एक साइट की ओर लिटाएं। बच्चे के सिर के नीचे तकिया रख दें।4 / 6अगर बच्चे ने शर्ट पहनी है, तो उसके बटन खोल दें या गले में कोई टाइट कपड़ा हो तो ढीला कर दें, अगर उसे किसी तरह का खतरा नहीं है, तो बच्चे को चलने और टहलने से न रोकेंबच्चे के मुंह में कुछ भी न डालें। यहां तक कि दवा या तरल भी नहीं। इससे , उसके जबड़े, जीभ या दांतों को नुकसान पहुंचा सकता है।5 / 6बच्चे को मिर्गी पड़ने के दौरान और उसके कुछ देर बाद तक उसके साथ ही रहें, दौरा पड़ते समय उसके लक्षण और दौरा पड़ने के समय को नोट करके रखें, डॉक्टर को विस्तार से बताएं कि मिर्गी का दौरा कितनी देर के लिए आया और उसके लक्षण क्या थे।6 / 6बच्चे को पर्याप्त नींद लेने दें, क्योंकि नींद की कमी बच्चों में दौरे का कारण होती है, बच्चे को सिर को चोट से बचाने के लिए उसके सिर पर स्कैट या साइकिल चलाते समय हेलमेट पहनाएं, बच्चे को रोजाना एक ही समय पर दौरों को कम करने वाली दवा देना ना भूलें।