घर में रखे सोने से भी कर सकते हैं कमाई, जानिए क्या है यह स्कीम
By ज्ञानेश चौहान | Updated: May 31, 2019 17:01 IST2019-05-31T17:01:53+5:302019-05-31T17:01:53+5:30
इस स्कीम में ग्राहक सोने की चेन, सिक्के, ज्वैलरी सहित अन्य धातुओं के रूप में सोना जमा कर सकते हैं। स्कीम में सोना जमा करने के लिए ग्राहकों को आवेदन पत्र, पहचान प्रमाण, पता प्रमाण और इन्वेंट्री फॉर्म जमा करना होता है।

स्कीम में गोल्ड डिपॉजिट कर 2.25-2.50 फीसदी तक ब्याज कमाया जा सकता है (Photo Credit : Old Gold Buyer)
बचत और कमाई करने के लिए लोग कई तरीके अपनाते हैं। लेकिन घर में रखे सोने से भी कमाई की जा सकती है, इसकी जानकारी ज्यादातर लोगों को नहीं होती। इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बता रहे हैं भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की एक ऐसी स्कीम के बारे में जिसके जरिए घर में फालतू रखे सोने से कमाई की जा सकती है।
Revamped Gold Deposit Scheme (R-GDS)
एसबीआई की जिस स्कीम की हम बात कर रहे हैं उसका नाम Revamped Gold Deposit Scheme (R-GDS) है। एसबीआई के अनुसार, ग्राहक के घर में अगर बिना यूज वाला सोना रखा है तो उसे आर-जीडीएस के तहत जमा कर सकते हैं। इस स्कीम में ग्राहको को सुरक्षा और ब्याज पर आय प्रप्त होती है। आर-जीडीएस का उद्देश्य देश में निष्क्रिय सोने को जुटाना और इसे उत्पादक उपयोग में लाना है।
इन चीजों को कर सकते हैं जमा :
इस स्कीम में ग्राहक सोने की चेन, सिक्के, ज्वैलरी सहित अन्य धातुओं के रूप में सोना जमा कर सकते हैं। आर-जीडीएस में सोना जमा करने के लिए ग्राहकों को आवेदन पत्र, पहचान प्रमाण, पता प्रमाण और इन्वेंट्री फॉर्म जमा करना होता है।
R- GDS तीन प्रकार के होते हैं:
शॉर्ट टर्म बैंक डिपॉजिट (STBD), मीडियम टर्म गवर्नमेंट डिपॉजिट (MTGD) और लॉन्ग टर्म गवर्नमेंट डिपॉजिट (LTGD)
1. शॉर्ट टर्म बैंक डिपॉजिट (STBD): 1 से 3 साल के लिए होता है।
2. मीडियम टर्म गवर्नमेंट डिपॉजिट (MTGD): 5 से 7 साल के लिए होता है।
3. लॉन्ग टर्म गवर्नमेंट डिपॉजिट (LTGD): 12 से 15 साल के लिए होता है।
सोना जमा करने की मात्रा :
एक व्यक्ति आर-जीडीएस के तहत न्यूनतम 30 ग्राम सोना जमा कर सकता है। जमा की कोई अधिकतम सीमा नहीं है।
ब्याज कितना मिलेगा?
R- GDS स्कीम के तहत गोल्ड जमा करके 2.25 से 2.50 प्रतिशत तक का ब्याज कमाया जा सकता है। RBI ने इस जनवरी 2019 से गोल्ड मॉनेटाइजेशन स्कीम (GMS) से जुड़े नियम में बदलाव किया है। इस बदलाव में केंद्र, राज्य की कंपनियों और चैरिटेबल इंस्टीट्यूशंस को निवेश की अनुमति दी है।