PF ब्याज पर और दो-तीन महीने की देरी, EPFO के 6 करोड़ शेयरहोल्डर्स 5 महीने से कर रहे हैं इंतजार
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: August 25, 2019 08:34 AM2019-08-25T08:34:40+5:302019-08-25T08:34:40+5:30
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वित्त मंत्रालय और श्रम मंत्रालय के बीच खींचतान की वजह से देश के 6 करोड़ कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) लाभार्थी पांच महीने से अधिक समय से पीएफ की बढ़ी ब्याज दर का इंतजार कर रहे हैं. उनका इंतजार खत्म होने में अभी और दो-तीन महीने लग सकते हैं.
श्रम मंत्रालय ब्याज दर को बढ़ाकर 8.65 प्रतिशत करने को तैयार है, लेकिन वित्त मंत्रालय इस पर सहमति नहीं दे रहा है. वह चाहता है कि पीएफ की ब्याज दर 8.55 प्रतिशत ही रहे. वित्त मंत्रालय आईएलएफएस में ईपीएफओ के फंसे पैसों का हवाला देकर कह रहा है कि इससे आने वाले समय में ईपीएफओ को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है. हालांकि ईपीएफओ इससे सहमत नहीं है.
केंद्रीय वित्त सचिव राजीव कुमार ने कहा कि कई बिंदुओ के आकलन के आधार पर ब्याज दर तय होती है. इस पर फिलहाल कोई फैसला नहीं हुआ है. वहीं, ईपीएफओ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ''श्रम मंत्री संतोष कुमार गंगवार और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बीच बैठक हुई है. हमें उम्मीद है कि अगले 2-3 महीने में ब्याज दर बढ़ाने पर फैसला हो जाएगा.
ईपीएफओ के बोर्ड ऑफ ट्रस्टी ने फरवरी में ब्याज दर 8.55 से बढ़ाकर 8.65 प्रतिशत करने का फैसला किया था. हालांकि वित्त मंत्रालय ब्याज दर नहीं बढ़ाने के लिए आईएलएफएस संकट का हवाला दे रहा है, लेकिन जानकारों का कहना है कि वह मंदी की वजह से ईपीएफओ को इससे रोक रहा है.
श्रम मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ''हालांकि वित्त मंत्रालय की अनुमति जरूरी नहीं है, लेकिन परंपरा के कारण हमने जून में उससे संस्तुति देने का अनुरोध किया था.'सीबीटी सदस्य डॉ. जी. रेड्डी का कहना है कि ईपीएफओ के सभी अंशधारकों को 8.65 प्रतिशत ब्याज दर देने के बाद भी 3.5 हजार करोड़ रु पए बचते हैं. ऐसे में देरी क्यों हो रही है, समझ में नहीं आ रहा है. सरकार को इस पर तुरंत फैसला करना चाहिए.