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राहुल अवारे ने जीता ब्रॉन्ज मेडल, विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन

By भाषा | Updated: September 22, 2019 19:20 IST

महाराष्ट्र के इस पहवालन ने राष्ट्रमंडल खेल 2018 में स्वर्ण तथा एशियाई चैंपियनशिप (2009 और 2011) में कांस्य पदक जीते थे।

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दीपक पूनिया के चोटिल होने के कारण फाइनल से हट जाने के बाद राहुल अवारे ने सोमवार को कांस्य पदक जीता, जिससे भारत विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में पदकों के मामले में अपना अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने में सफल रहा। अवारे ने 61 किग्रा के कांस्य पदक मुकाबले में 2017 के पैन अमेरिकी चैंपियन टाइलर ली ग्राफ को 11-4 से हराकर भारत के पदकों की संख्या पांच पर पहुंचायी।

भारत की तरफ से दीपक पूनिया ने रजत जबकि बजरंग पूनिया, राहुल अवारे, रवि कुमार दहिया और महिला वर्ग में विनेश फोगाट ने कांस्य पदक जीते। भारत का विश्व चैंपियनशिप में इससे पहले सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2013 में था जब उसने तीन पदक जीते थे। तब अमित दहिया ने रजत, बजरंग पूनिया ने कांस्य और संदीप तुलसी यादव ने ग्रीको रोमन में कांस्य पदक जीता था।

अवारे अपने मुकाबले में पूरी तरह से नियंत्रण में थे और वह अपने करियर की सबसे बड़ा पदक जीतने में सफल रहे। महाराष्ट्र के इस पहवालन ने राष्ट्रमंडल खेल 2018 में स्वर्ण तथा एशियाई चैंपियनशिप (2009 और 2011) में कांस्य पदक जीते थे।

अमेरिकी पहलवान ने मुकाबला शुरू होते अवारे की टांगों पर हमला करके दो अंक जुटाये लेकिन इसके बाद भारतीय पहलवान सतर्क हो गया। अवारे ने जल्द ही 4-2 से बढ़त बना दी। दूसरे पीरियड में ग्राफ ने अवारे के पांव पर नियंत्रण कर दिया था लेकिन भारतीय उनकी पकड़ को छुड़वाने में कामयाब रहे। इसके बाद अवारे ने आक्रामक रवैया अपनाया और जल्द ही 10-2 से बढ़त हासिल की।

अमेरिकी खिलाड़ी ने बीच में चुनौती भी दी लेकिन उनका यह प्रयास नाकाम रहा। अवारे इससे पहले सेमीफाइनल में यूरोपीय चैंपियनशिप के रजत पदक विजेता बेका लोमाताद्जे से हार गये थे। चैंपियनशिप के अंतिम दिन सुबह पता चला कि दीपक पूनिया सेमीफाइनल के दौरान लगी टखने की चोट के कारण ईरान के हजसान याजदानी के खिलाफ के 86 किग्रा वर्ग की खिताबी स्पर्धा में नहीं खेल पाएंगे।

दीपक ने कहा, ‘‘बायां पैर वजन नहीं ले पा रहा है। इस हालत में लड़ना मुश्किल है। मैं जानता हूं कि याजदानी के खिलाफ यह बड़ा मौका था लेकिन मैं कुछ नहीं कर सकता। ’’ इस तरह 20 साल के भारतीय खिलाड़ी को अपनी पहली सीनियर विश्व चैम्पियनशिप में रजत पदक से संतोष करना पड़ा। स्विट्जरलैंड के स्टेफान रेचमुथ के खिलाफ शनिवार को सेमीफाइनल के दौरान वह मैच से लड़खड़ाते हुए आये थे और उनकी बायीं आंख भी सूजी हुई थी।

इस तरह सुशील कुमार भारत के एकमात्र विश्व चैम्पियन बने रहेंगे जिन्होंने मास्को 2010 विश्व चैम्पियनशिप के 66 किग्रा वर्ग में स्वर्ण पदक जीता था। दीपक विश्व चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचने वाले पांचवें भारतीय हैं। उनसे पहले बिशम्बर सिंह (1967), सुशील कुमार (2010), अमित दहिया (2013) और बजरंग पूनिया (2018) फाइनल में पहुंचे थे।

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