पलक पावड़े बिछा हॉकी नायकों का परिवार कर रहे हैं इंतजार

By भाषा | Updated: August 5, 2021 19:46 IST2021-08-05T19:46:41+5:302021-08-05T19:46:41+5:30

The family of hockey heroes are waiting by laying eyelids | पलक पावड़े बिछा हॉकी नायकों का परिवार कर रहे हैं इंतजार

पलक पावड़े बिछा हॉकी नायकों का परिवार कर रहे हैं इंतजार

नयी दिल्ली/मुंबई/चेन्नई, पांच अगस्त भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने गुरुवार को ओलंपिक हॉकी में कांस्य पदक जीत कर 41 साल के सूखे को खत्म कर इतिहास रच दिया जो खिलाड़ियों के पिछले 10 वर्षों की कड़ी मेहनत और उनके परिवार के त्याग के कारण संभव हुआ।

कोरोना वायरस महामारी के कारण भारतीय टीम के सभी खिलाड़ी तोक्यो ओलंपिक शुरु होने से छह महीने पहले से बेंगलुरु स्थित भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) परिसर में लगे शिविर में अभ्यास कर रहे थे।  इन छह महीनों के दौरान वे सिर्फ वीडियो कॉल के माध्यम से परिवार को देख पाते थे।

इस ऐतिहासिक उपलब्धि के बाद खिलाड़ियों का परिवार पलक पावड़े बिछाकर अपने नायकों का इंतजार कर रहा है।

स्टार गोलकीपर पीआर श्रीजेश की पत्नी मैच की आखिरी सीटी बजते ही भावुक हो गयी। श्रीजेश ने आखिरी लमहों में पेनल्टी कार्नर का बचाव कर भारत की जीत में अहम भूमिका निभाई।

केरल के कोच्चि से उन्होंने कहा, ‘‘यह मेरे जीवन का सबसे खुशी का पल है। हम पिछले छह महीने से उनसे नहीं मिल सके है। मैं बस उसे देखना चाहती हूं। (यह) ओलंपिक उनका सबसे बड़ा सपना था। इस कोविड-19 महामारी ने जीवन को अप्रत्याशित तरीके से बदल दिया, वह घर नहीं आ पाए। लेकिन वह समय का सदुपयोग बहुत ही समझदारी से करने में कामयाब रहे। उनके लौटने पर मैं पिकनिक पर जाना चाहती हूँ।’’

टीम के ज्यादातर खिलाड़ी हरियाणा और पंजाब के जहां इस जीत का खूब जश्न मना।

कप्तान मनप्रीत सिंह मां मंजीत कौर ने कहा कि उनके बेटे ने पहले ही फोन कर कहा था कि ‘टीम पदक के साथ लौटेगी।’

अमृतसर जिले में गुरजंत सिंह और शमशेर सिंह का परिवार भी पदक पक्का होने के बाद खुशी से झूम उठा।

गोल करने वालों में शामिल रूपिंदर पाल सिंह की मां ने कहा कि सेमीफाइनल में बेल्जियम से हारने के बाद वे थोड़ा निराश थे। अब वे फरीदकोट में अपने बेटे के भव्य स्वागत की तैयारी में जुटे हैं।

मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के रहने वाले विवेक सागर प्रसाद का भी उनके गृहनगर में बेसब्री से इंतजार है।

उनके भाई विद्यासागर ने कहा, ‘‘अगर यह अभी नहीं होता, तो (शायद) हमें पदक पाने के लिए 41 साल और इंतजार करना पड़ता। श्रीजेश को सलाम, जिन्होंने उस दबाव की स्थिति में, हमें खुश होने का मौका दिया। हमारी आंखों में खुशी के आंसू थे।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: The family of hockey heroes are waiting by laying eyelids

अन्य खेल से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे