कोरोना काल की कुर्बानियों और मेहनत को याद रखें, ओलंपिक पदक दूर नहीं, कहा पूर्व हॉकी कोच हरेंद्र ने

By भाषा | Updated: July 12, 2021 17:45 IST2021-07-12T17:45:46+5:302021-07-12T17:45:46+5:30

Remember the sacrifices and hard work of the Corona era, Olympic medal is not far away, said former hockey coach Harendra | कोरोना काल की कुर्बानियों और मेहनत को याद रखें, ओलंपिक पदक दूर नहीं, कहा पूर्व हॉकी कोच हरेंद्र ने

कोरोना काल की कुर्बानियों और मेहनत को याद रखें, ओलंपिक पदक दूर नहीं, कहा पूर्व हॉकी कोच हरेंद्र ने

(मोना पार्थसारथी)

नयी दिल्ली, 12 जुलाई पांच साल पहले भारतीय हॉकी को जूनियर विश्व कप दिलाने वाले पूर्व मुख्य कोच हरेंद्र सिंह ने तोक्यो ओलंपिक जाने वाली टीम से कहा है कि वे कोरोना काल में दी गई कुर्बानियों और पिछले छह सात साल की कड़ी मेहनत को कतई नहीं भूलें और पहला लक्ष्य क्वार्टर फाइनल को बनायें ।

तोक्यो ओलंपिक जाने वाली भारतीय पुरूष हॉकी टीम में कई खिलाड़ी लखनऊ में जूनियर विश्व कप 2016 जीतने वाली टीम का हिस्सा थे जिसके कोच हरेंद्र थे । हरेंद्र अब अमेरिकी पुरूष हॉकी टीम के मुख्य कोच हैं ।

भारतीय सीनियर टीम के पूर्व कोच हरेंद्र ने अमेरिका से भाषा से बातचीत में कहा ,‘‘ कोरोना काल में ओलंपिक में प्रतियोगिता अलग स्तर की और कठिन होगी । दर्शकों के बिना खेलना आसान नहीं होगा । वैसे नये खिलाड़ियों के लिये हालांकि यह वरदान साबित हो सकता है क्योंकि इससे उन पर पहले ओलंपिक में खेलने का दबाव कम होगा । भारतीय टीम को इससे फायदा होगा क्योंकि अधिकांश खिलाड़ी पहली बार ओलंपिक खेल रहे हैं ।’’

जूनियर विश्व कप के दौरान खिलाड़ियों को ‘33 सी’ का मंत्र (कूल , काम, कम्पोज, कम्युनिकेट, करेज , केपेबल वगैरह) देने वाले हरेंद्र ने उन्हें लक्ष्य पूरा होने तक सोशल मीडिया से दूरी बनाने की सलाह दी है ।

उन्होंने कहा ,‘‘ मुझे लगता है कि उन्हें ‘33 सी’ याद होगा । मेरी राय यही है कि सोशल मीडिया से दूर रहे और खुद पर भरोसा रखें । आपने छह सात साल कड़ी मेहनत की है । कोरोना काल में भी ओलंपिक पदक के लिये काफी कुर्बानियां दी है और अब उसे मैदान पर दिखाने का समय है ।’’

उन्होंने कहा ,‘‘ ज्यादा दूर की सोचने की बजाय मैच दर मैच रणनीति बनाये । पहला लक्ष्य क्वार्टर फाइनल रखें । मेरे लिये क्वार्टर फाइनल लक्ष्मण रेखा है और फाइनल या सेमीफाइनल से भी कठिन है। उसके बाद ही आगे की सोचें । ’’

उन्होंने कहा ,‘‘ पिछले चार पांच साल से भारतीय हॉकी टीम की तैयारी सही दिशा में जा रही है और इसमें हर कोच ने योगदान दिया है । चाहे रोलेंट ओल्टमेंस हो या टैरी वॉल्श या मैं । यह 2000 ओलंपिक के बाद सबसे मजबूत टीम है और मुझे यकीन है कि यह टीम तोक्यो में पदक जीत सकती है । वैसे भी 1980 से अब तक इंतजार काफी लंबा हो गया है ।‘‘

भारतीय टीम को बेहद संतुलित बताते हुए उन्होंने कहा कि पहली बार हर पोजिशन पर खेलने में सक्षम सारे खिलाडी हैं ।

उन्होंने कहा ,‘‘इस टीम में पी आर श्रीजेश के रूप में विश्व स्तरीय गोलकीपर है । रूपिंदर पाल सिंह और हरमनप्रीत सिंह के रूप में दो खतरनाक ड्रैग फ्लिकर हैं जो फॉर्म में भी है । अमित रोहिदास के रूप में शानदार पेनल्टी हिटर है ।’’

हरेंद्र ने आगे कहा ,‘‘मिडफील्ड में मनप्रीत, हार्दिक, नीलकांता , विवेक , सुमित जैसे मेहनती खिलाड़ी हैं । हर मिडफील्डर विरोधी गोल में घुसने की क्षमता रखता है जो भारतीय हॉकी में पहली बार देखने को मिला है । आक्रमण का दारोमदार मनदीप और ललित उपाध्याय पर होगा और शमशेर को डिफेंस और अटैक दोनों का तरीका और टाइमिंग पता है ।’’

उन्होंने कहा कि जूनियर स्तर पर लड़कों ने जीत का स्वाद चखा है और अब वे सीनियर खिलाड़ियों के मार्गदर्शन में उसे दोहरा सकते हैं ।

उन्होंने कहा ,‘‘बेंगलुरू में एक साथ टीम ने जिस तरह से अभ्यास किया है, कोरोना काल के बीच भी वे पूरी तरह से तैयार हैं । इस दौरान ग्राहम रीड भारतीय खिलाड़ियों और भारत को अच्छी तरह से समझ सके हैं जिससे फायदा मिलेगा ।’’

भारतीय टीम की ताकत के बारे में पूछने पर हरेंद्र ने कहा ,‘‘अब हर खिलाड़ी हर पोजिशन पर खेल सकता है । इस टीम की ताकत मूलभूत कौशल है यानी पासिंग, रिसीविंग, टैकलिंग और फिनिशिंग । ये खिलाड़ी तकनीकी कौशल के धनी है । ये खिलाड़ी 2014 से साथ खेल रहे हैं और इनके बीच गजब का तालमेल है । इन्हें बड़े मैच जीतना आता है ।’’

अमेरिकी टीम के साथ अपने अनुभव के बारे में उन्होंने कहा ,‘‘ कोरोना काल में अमेरिका से यह प़ेशकश मिली जिसमें सीनियर टीम के साथ जूनियर स्तर पर भी ढांचा तैयार करना है । मैं ऐसा कोच हूं जो मैदान पर रहना पसंद करता है । दो साल से मैं इसकी कमी महसूस कर रहा था लिहाजा मैने इसे नयी चुनौती के तौर पर स्वीकार कर लिया।

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