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पैरालंपिक बैडमिंटन : कृष्णा नागर ने स्वर्ण जीता, सुहास ने रजत पदक

By भाषा | Updated: September 5, 2021 12:43 IST

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कृष्णा नागर ने यहां बैडमिंटन में दूसरा स्वर्ण पदक दिलाया जबकि उनसे पहले सुहास यथिराज ने रजत पदक हासिल किया जिससे भारतीय दल के लिये तोक्यो पैरालंपिक में दिन ‘सुपर संडे’ साबित हुआ। दूसरे वरीय नागर ने हांगकांग के चू मैन काई को पुरूषों की एकल एसएच6 क्लास के तीन गेम तक चले रोमांचक फाइनल में शिकस्त दी। जयपुर के 22 साल के नागर ने अपने प्रतिद्वंद्वी को 21-17 16-21 21-17 से हराया। इस तरह वह बैडमिंटन में स्वर्ण पदक जीतने की सूची में हमवतन प्रमोद भगत के साथ शामिल हो गये। भगत ने शनिवार को एसएल3 क्लास में पहला स्वर्ण पदक जीता था। नागर ने पैरालंपिक खेलों में भारत को पांचवां स्वर्ण पदक दिलाने के बाद कहा, ‘‘मेरा सपना सच हो गया। मैं अपने पिता, मां, चाचा, चाची, भगवान और अपने सभी कोच को शुक्रिया करना चाहता हूं। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह पहली बार है जब बैडमिंटन को पैरालंपिक खेलों में शामिल किया गया और उम्मीद करता हूं भारत आगामी खेलों में इसी तरह पदक जीतकर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करता रहे। ’’ सुहास पुरूष एकल एसएल4 क्लास बैडमिंटन स्पर्धा के फाइनल में शीर्ष वरीय फ्रांस के लुकास माजूर से करीबी मुकाबले में हार गये जिससे उन्होंने ऐतिहासिक रजत पदक से अपना अभियान समाप्त किया। नोएडा के जिलाधिकारी 38 वर्षीय सुहास के एक टखने में विकार है। उन्हें दो बार के विश्व चैम्पियन माजूर से 62 मिनट तक चले फाइनल में 21-15 17-21 15-21 से पराजय का सामना करना पड़ा। भगत और पलक कोहली की मिश्रित युगल जोड़ी को हालांकि कांस्य पदक के प्लेऑफ में जापान के दाइसुके फुजीहारा और अकिको सुगिनो की जोड़ी से 37 मिनट में 21-23 19-21 से हार का सामना करना पड़ा। नागर को छोटे कद का विकार है, वह अपने चचेरे भाई के प्रोत्साहन के बाद बैडमिंटन खेलने लगे। उन्होंने हालांकि चार साल पहले ही खेल को गंभीरता से खेलना शुरू किया और पैरा एशियाई खेलों में कांस्य जीता। उन्होंने 2019 विश्व चैम्पियनशिप में एकल और युगल में क्रमश: कांस्य और रजत पदक जीते। दुनिया के दूसरे नंबर के खिलाड़ी ने ब्राजील में भी रजत पदक जीता था। पिछले साल पेरू में उन्होंने एकल और युगल में दो स्वर्ण पदक हासिल किये थे। उन्होंने इस साल अप्रैल में दुबई पैरा बैडमिंटन चैम्पियनशिप में दो स्वर्ण पदक अपनी झोली में डाले। नागर दो साल पहले थाईलैंड पैरा बैडमिंटन में चू मैन काई से खेले थे। उनका इस खिलाड़ी के खिलाफ मैच से पहले जीत का रिकार्ड 2-1 था। यह मुकाबला काफी चुनौतीपूर्ण रहा जिसमें दोनों ने एक दूसरे के खिलाफ ऐड़ी चोटी का जोर लगाया लेकिन भारतीय खिलाड़ी दबाव का अच्छी तरह सामना कर अंत में विजेता साबित हुआ। दोनों ने शुरू में छोटी रैलियां खेलीं जिसमें नागर 4-2 के बाद 8-6 से आगे हो गये। नागर का शॉट वाइड जाने के बाद चू मैन ने वापसी करते हुए 11-9 से बढ़त बना ली। चू मैन ने इसी तरह खेलना जारी रखते हुए 16-11 की बढ़त हासिल कर ली। नागर ने फिर अपने नेट खेल को मजबूत करते हुए कोर्ट का पूरा इस्तेमाल किया और बैकहैंड रिटर्न से एक रैली जीतकर 16-16 की बराबरी पर आ गये। एक और बैकहैंड फ्लिक ने उन्हें तीन गेम प्वाइंट दिलाये और वह पहला गेम जीत गये। हांगकांग के खिलाड़ी ने उबरते हुए दूसरे गेम में 11-7 की बढ़त के बाद इसी लय में खेलना जारी रखा और दूसरे गेम में जीत गये। निर्णायक गेम में नागर ने 5-1 की शुरुआती बढ़त को 7-2 कर दिया। चू मैन को फिनिशिंग में कुछ दिक्कत हो रही थी जिससे भारतीय खिलाड़ी ने फोरहैंड रिटर्न से 11-7 की बढ़त बना ली। ब्रेक के बाद वह 13-8 से आगे हो गये, पर उनकी कुछ गलतियों का फायदा हांगकांग के खिलाड़ी ने उठाया और स्कोर 13-13 से बराबर था। नागर ने फिर अपने खेल में सुधार करते हुए लगातार स्मैश से चार मैच प्वाइंट हासिल कर स्वर्ण पदक जीत लिया। वह भागकर कोच गौरव खन्ना से गले मिले। इससे पहले गौतम बुद्ध नगर (नोएडा) के जिलाधिकारी सुहास पैरालंपिक में पदक जीतने वाले पहले आईएएस अधिकारी भी बन गये हैं।गैर वरीय सुहास ने बैडमिंटन में भारत के लिये तीसरा पदक जीतने के बाद कहा, ‘‘मैं अपने प्रदर्शन से बहुत खुश हूं लेकिन मुझे यह यह मैच दूसरे गेम में ही खत्म कर देना चाहिए था। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसलिये मैं थोड़ा सा निराश हूं कि मैं फाइनल नहीं जीत सका क्योंकि मैंने दूसरे गेम में अच्छी बढ़त बना ली थी। लेकिन लुकास को बधाई। जो भी बेहतर खेलता है, वो विजेता होता है। ’’ एसएल4 क्लास में वो बैडमिंटन खिलाड़ी हिस्सा लेते हैं जिनके पैर में विकार हो और वे खड़े होकर खेलते हैं।  एसएल4 के कांस्य पदक के प्लेऑफ में दूसरे वरीय तरुण ढिल्लों को इंडोनेशिया के फ्रेडी सेतियावान से 32 मिनट तक चले मुकाबले में 17-21 11-21 से हार का सामना करना पड़ा। स्वर्ण पदक के मैच में सुहास ने शुरू में दबदबा बनाया हुआ था और वह मुट्ठी बंद कर हर प्वाइंट का जश्न मना रहे थे। भारतीय दल भी उन्हें चीयर कर रहा था। सुहास और माजूर फिर 5-5 की बराबरी से 8-8 तक पहुंच गये। भारतीय खिलाड़ी ने अपनी गति में बदलाव करते हुए अपने प्रतिद्वंद्वी पर ब्रेक तक 11-8 की बढ़त बना ली। खेलते समय सुहास के चेहरे पर मुस्कान थी और वह माजूर पर पर नियंत्रण बनाये थे। वहीं फ्रांसिसी खिलाड़ी के वाइड और लंबे शाट का फायदा भारतीय को मिला जो 18-12 से आगे हो गया था। सुहास ने लगातार पांच गेम प्वाइंट से पहला गेम जीत लिया। भारतीय खिलाड़ी ने अपनी शानदार लय दूसरे गेम में भी जारी रखी और वह 3-1 से आगे थे। हालांकि माजूर ने वापसी करते हुए 6-5 से बढ़त बना ली। सुहास भी वापसी की कोशिश करते रहे जिसमें वह माजूर की गलती से 11-8 से आगे थे। भारतीय खिलाड़ी ने ब्रेक के बाद भी 14-11 से बढ़त बनायी हुई थी लेकिन माजूर अब ज्यादा आक्रामक थे जिन्होंने अंतिम 11 में से नौ अंक जुटाकर गेम जीत लिया। अब फैसला निर्णायक गेम में होना था जिसमें सुहास ने लगातार स्मैश लगाकर अच्छी शुरुआत की और वह 3-0 से आगे थे। उन्होंने चतुराई से अपने शॉट चुने और इसे 6-3 कर लिया। लेकिन माजूर ने फिर वापसी कर 9-9 से बराबरी हासिल की। माजूर की दो गलतियों से सुहास ब्रेक तक फिर आगे हो गये। माजूर ने ब्रेक के बाद आक्रामक रिटर्न से 17-13 से बढ़त बना ली। इसके बाद सुहास कई गलतियां कर बैठे जिस पर माजूर ने पांच प्वाइंट बनाये और फिर भारतीय खिलाड़ी की नेट में गलती से मुकाबला जीत लिया। कर्नाटक के 38 वर्ष के सुहास के टखनों में विकार है । कोर्ट के भीतर और बाहर कई उपलब्धियां हासिल कर चुके सुहास कम्प्यूटर इंजीनियर है और प्रशासनिक अधिकारी भी । वह 2020 से नोएडा के जिलाधिकारी हैं और कोरोना महामारी के खिलाफ जंग में मोर्चे से अगुवाई कर चुके हैं । उन्होंने 2017 में बीडब्ल्यूएफ तुर्की पैरा बैडमिंटन चैम्पियनशिप में पुरुष एकल और युगल स्वर्ण जीता । इसके अलावा 2016 एशिया चैम्पियनशिप में स्वर्ण और 2018 पैरा एशियाई खेलों में कांस्य पदक हासिल किया।

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