अध्यक्ष के अलावा एनआरएआई में कोई मुझे कोच के रूप में नहीं देखना चाहता: जसपाल राणा

By भाषा | Updated: August 11, 2021 19:30 IST2021-08-11T19:30:08+5:302021-08-11T19:30:08+5:30

No one in NRAI wants to see me as coach except president: Jaspal Rana | अध्यक्ष के अलावा एनआरएआई में कोई मुझे कोच के रूप में नहीं देखना चाहता: जसपाल राणा

अध्यक्ष के अलावा एनआरएआई में कोई मुझे कोच के रूप में नहीं देखना चाहता: जसपाल राणा

नयी दिल्ली, 11 अगस्त जसपाल राणा का मानना है कि अगर कोचों और खिलाड़ियों के चयन में निष्पक्षता नहीं होगी, जवाबदेही तय नहीं की जाएगी और अनुशासन नहीं होगा तो भारतीय निशानेबाजी जल्द ही ऐसे बिंदू पर पहुंच जाएगी जहां से वापस लौटना संभव नहीं होगा।

द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता कोच राणा ने साथ ही खुलासा किया कि राष्ट्रीय महासंघ (एनआरएआई) के अध्यक्ष रानिंदर सिंह के अलावा ‘कोई भी नहीं’ चाहता कि वह भारतीय निशानेबाजी कोचिंग ढांचे का हिस्सा बनें।

तोक्यो ओलंपिक में भारतीय निशानेबाजों के लचर प्रदर्शन के बाद 1994 एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता ने कहा कि समय आ गया है कि देश में खेल के सामने आ रही समस्याओं का समाधान निकाला जाए।

राणा ने पीटीआई से कहा, ‘‘हमें कोच और निशानेबाजों दोनों के चयन में पूरी निष्पक्षता, जवाबदेही तय करने की जरूरत है और टीम में ऐसे लोगों की जगह नहीं होनी चाहिए जो प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं।’’

लेकिन 45 साल के इस पूर्व निशानेबाज ने कहा कि तोक्यो में नतीजा देने में विफल रहे अधिकतर निशानेबाज युवा थे जो अनुभव हासिल करेंगे और अगले ओलंपिक तक परिपक्व हो जाएंगे।

युवा निशानेबाजों का समर्थन करते हुए राणा ने कहा कि देश में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमें उन्हें ट्रेनिंग देने की जरूरत नहीं, वे पहले ही अपने खेल को जानते हैं। मुझे ऐसा लगता है कि महासंघ में अध्यक्ष के अलावा कोई भी मुझे नहीं चाहता।’’

भारतीय निशानेबाज लगातार दूसरे ओलंपिक में पदक जीतने में नाकाम रहे और राणा ने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ (एनआरएआई) अध्यक्ष का उन्हें इसके लिए दोषी ठहराना उचित नहीं है।

राणा ने कहा कि समस्या उस समय शुरू हुई जब 2019 में दोहा में एशियाई चैंपियनशिप में पिस्टल निशानेबाज चिंकी यादव ने भारत के लिए कोटा हासिल किया।

राणा मुन भाकर के ओलंपिक में तीन स्पर्धाओं 10 मीटर एयर पिस्टल, मिश्रित टीम स्पर्धा और 25 मीटर पिस्टल में हिस्सा लेने के पक्ष में नहीं थे क्योंकि उनका मानना था कि यह युवा निशानेबाज इतना दबाव नहीं झेल पाएगी जबकि मनु की सोच इससे उलट थी।

राणा ने कहा, ‘‘तोक्यो में जो हुआ उसके बाद वे मुझे बलि का बकरा बना रहे हैं। वे मुन भाकर की विफलता के लिए मुझे जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते। कोच तोक्यो में क्या कर रहे थे? मैं ओलंपिक में उनके साथ नहीं गया था।’’

उन्होंने कहा, ‘‘कोई जवाबदेही नहीं है, इतने सारे कोच वहां थे, आपको सिर्फ एक मुख्य कोच की जरूरत थी। मैं निजी कोचिंग नहीं देता, रानिंदर सब जानते हैं, लोग स्थिति का फायदा उठा रहे हैं।

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