मुंबई, 28 जुलाई ओलंपिक में पदार्पण करने वाली भारत की एकमात्र तलवारबाज भवानी देवी भले ही दूसरे दौर से बाहर हो गयीं लेकिन उनका कहना है कि तोक्यो में उन्होंने सबक सीख लिया है और भविष्य में नयी ऊंचाईयां छूने के लिये अपनी तकनीक पर काम करेंगी।
भवानी पहली भारतीय तलवारबाज हैं जिन्होंने ओलंपिक के लिये क्वालीफाई किया। 27 साल की इस तलवारबाज ने ट्यूनीशिया की नाडिया बेन अजीजी के खिलाफ 15-3 की जीत से अभियान शुरू किया लेकिन अगले दौर में वह फ्रांस की मैनन ब्रुनेट से 7-15 से हार गयीं।
भवानी ने भारतीय खेल प्राधिकरण द्वारा आयोजित वर्चुअल प्रेस कांफ्रेंस में कहा, ‘‘तोक्यो से मैंने एक सबक सीखा है कि कड़ी मेहनत जारी रखो क्योंकि मैंने रियो के बाद कड़ी मेहनत जारी रखी जो मुझे तोक्यो ले आयी। मुझे तलवारबाजी की कुछ रणनीतियों में जैसे तकनीकी पहलुओं पर काम करके सुधार करने की जरूरत है। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे मेरे मैचों के लिये अच्छा फीडबैक मिला क्योंकि मैं बाहर के दबाव पर अच्छा नियंत्रण बनाये थी, यही चीज मेरे लिये अच्छी है। मैं कड़ी मेहनत जारी रखूंगी और आगामी प्रतियोगिताओं में पिछले वर्षों की तुलना में बेहतर नतीजे हासिल करूंगी। ’’
भवानी ने कहा कि तोक्यो ओलंपिक में उन्होंने जो कुछ हासिल किया, वह उससे संतुष्ट हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘पहला मैच काफी महत्वपूर्ण था क्योंकि यह शुरूआत थी। मैं मैच से पहले थोड़ा नर्वस महसूस कर रही थी। लेकिन मैंने शुरूआत की और अच्छा अंत किया, साथ ही दूसरा मैच भी मेरे लिये अच्छा था। मुझे ऐसा नहीं लगता कि मैंने कोशिश नहीं की, मैंने कोशिश की थी। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे सुधार करने की जरूरत है। मैं जानती हूं कि वह (उनकी प्रतिद्वद्वी) तीसरे नंबर की तीरंदाज थी और उसे ओलंपिक में कांस्य पदक मिला। लेकिन मुझे लगा कि मैंने कोशिश की थी, मैंने उस मैच को जीतने के लिये पूरा जतन किया। इसलिये मुझे अपनी रणनीतियों पर थोड़ा काम करने की जरूरत है लेकिन तोक्यो में जो कुछ हुआ, उससे मैं सतुष्ट हूं। ’’
भवानी ने कहा कि उनका ध्यान हमेशा अपने देश के लिये पदक जीतने पर लगा रहता है, भले ही प्रतियोगिता कोई भी हो।
इस सेबर तलवारबाज ने कहा, ‘‘मैं हमेशा भारत के लिये पदक जीतना चाहती हूं, भले ही यह ओलंपिक हो, विश्व चैम्पियनशिप हो या फिर एशियाई चैम्पियनशिप। लेकिन हमारे और भी महत्वपूर्ण टूर्नामेंट आने वाले हैं। ’’
भवानी ने कहा कि जो ओलंपिक से बिना पदक के लौटेंगे, उनका भी उसी तरह समर्थन किया जाना चाहिए जैसा पहले किया गया था।
उन्होंने कहा, ‘‘एक खिलाड़ी की जिंदगी बहुत मुश्किल होती है, हर खिलाड़ी एक स्वर्ण पदक के लिये काम करता है। कुछ जीत जाते हैं, कई उस पदक को नहीं जीत पाते लेकिन यह अंत नहीं होता, हमें वही समर्थन चाहिए होता है और स्वर्ण पदक विजेताओं को हमेशा यह अच्छा समर्थन और अधिक प्रोत्साहन मिलता है। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन जो पदक नहीं जीत पाते, उनके लिये वापसी करना और उसी ऊर्जा क साथ दोबारा जारी रखना मुश्किल होता है। इसलिये मैं अपनी हार के बाद निराश थी क्योंकि मैं इस प्रतियोगिता में कुछ करने के लिये गयी थी, अपने देश को गौरवान्वित करने पदक हासिल करने के लिये गयी थी। ’’
भवानी ने कहा कि दूसरे दौर में बाहर होने के बावजूद उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संदेश से प्रेरणा मिली।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं उस मैच के बाद निराश थी और जब मैंने उनका (प्रधानमंत्री का) पोस्ट दखा तो मैं सोच रही थी कि इतना बड़ा नेता एक एथलीट के लिये ऐसा कैसे कर सकता है और वो भी जिसने मैच गंवा दिया हो। यह मेरे लिये और हमारे देश के सभी खिलाड़ियों के लिये काफी महत्वपूर्ण है। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘हार जीत खेल का हिस्सा होती है, आपको आगे बढ़ते रहना होता है, लेकिन कभी कभार खुद को एक कदम आगे बढ़ाने के लिये उस पथ पर जारी रखने के लिये प्रोत्साहित करना मुश्किल होता है। लेकिन उनके (प्रधानमंत्री के) संदेश ने मुझे सचमुच प्रोत्साहित और प्रेरित किया।
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