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भारतीय पुरुष हॉकी कोच रीड को टीम की मानसिक मजबूती पर भरोसा

By भाषा | Updated: July 21, 2021 14:46 IST

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नयी दिल्ली, 21 जुलाई  भारतीय पुरुष हॉकी टीम के कोच ग्राहम रीड को विश्वास है कि उनकी टीम में ओलंपिक में चार दशक लंबे पदक के सूखे को खत्म करने के लिए जरूरी मानसिक मजबूती है।

रीड ने माना कि कोविड-19 महामारी के प्रभाव के कारण इन खेलों में ‘मानसिक लचीलापन एक महत्वपूर्ण कारक होगा’।

भारत तोक्यो ओलंपिक में 24 जुलाई को न्यूजीलैंड के खिलाफ अपने अभियान की शुरुआत करेगा। रीड ने पीटीआई-भाषा को दिए साक्षात्कार में कहा कि महामारी ने उनकी टीम को उस मजबूती के बारे में पता लगाने में मदद की है जिसके बारे में उसे पहले पता नहीं था।

ऑस्ट्रेलिया के इस पूर्व खिलाड़ी ने कहा, ‘‘ मुझे लगता है कि अभी के माहौल में  यह (मानसिक लचीलापन) शायद सबसे महत्वपूर्ण चीजों में से एक है। हमारे लिये पिछले 16 महीने काफी चुनौतीपूर्ण रहे हैं। पृथकवास से भी किसी को छूट नहीं दी गयी।  यह अभूतपूर्व है लेकिन पिछले 15-16 महीनों में इस समूह ने जिस तरह से चीजों को संभाला उससे मैं बहुत संतुष्ट और खुश हूं ।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ मैं हमेशा उनसे कहता हूं कि जिन चीजों से हम एक साथ गुजरे हैं, उसकी ताकत को कम मत समझो और यह हमें आगे अच्छी स्थिति में रखेगा।’’

रीड ने कहा कि कुछ खिलाड़ियों ने जिन कठिन परिस्थितियों का सामना किया है, वह भी उनके लिए प्रेरणा होगी।

उन्होंने कहा, ‘‘ हम नहीं जानते कि भारतीय वास्तव में कितने मजबूत (मानसिक तौर पर) हैं। आप अगर कुछ खिलाड़ियों की पिछली कहानियों को देखें, तो वे वास्तव में प्रेरणादायक हैं। वे कठिनाइयों को पार कर इस मुकाम पर हैं, यहां तक पहुंचने के लिए उन्हें कितनी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।’’

वर्तमान रैंकिंग में दुनिया में चौथे स्थान पर होने के कारण, भारत 40 से अधिक वर्षों के बाद तोक्यो में पोडियम (शीर्ष तीन) पर खड़े होने के दावेदार के रूप में शामिल है।

भारतीय ने ओलंपिक में आठ स्वर्ण जीते हैं, टीम का आखिरी पदक 1980 मास्को ओलंपिक में आया था।

दो साल से अधिक समय से भारतीय पुरुष हॉकी टीम से जुड़े 57 वर्षीय रीड ने कहा कि उनके खिलाड़ियों के पास विपरीत परिस्थितियों में अच्छा प्रदर्शन करने की क्षमता है।

उन्होंने कहा, ‘‘अगर आप किसी परीक्षा के लिए अच्छी तैयारी करते हैं तो परीक्षा में जाते समय आपका आत्मविश्वास अधिक रहता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘उनके पास ऐसा अनुभव था कि विरोधी टीम को टक्कर दे सकें। यह समझना जरूरी है कि जब पिछड़ रहे हो तो आप परिस्थितियों का सामना कैसे करते हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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