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फ्रांस का मुक्केबाज अयोग्य करार दिये जाने के बाद विरोध स्वरूप में रिंग में बैठा

By भाषा | Updated: August 1, 2021 12:52 IST

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तोक्यो, एक अगस्त (एपी) फ्रांस के सुपर हेवीवेट मुक्केबाज मुराद अलीव को रविवार को यहां तोक्यो ओलंपिक के क्वार्टरफाइनल में जानबूझकर ‘हेड बट’ (सिर से प्रहार) करने के लिये ‘डिस्क्वालीफाई’ (अयोग्य) करार किया गया जिसके बाद वह विरोध स्वरूप रिंग में बैठ गये।

मुराद अली को दूसरे राउंड के खत्म होने में चार सेकेंड पहले रैफरी एंडी मुस्टाचियो ने ‘डिस्क्वालीफाई’ कर दिया और इसके बाद यह मुक्केबाज गुस्से में आक्रामक हो गया।

रैफरी को पूरा यकीन था कि अलीव ने जानबूझकर अपने सिर से ब्रिटिश प्रतिद्वंद्वी फ्रेजर क्लार्क पर प्रहार किया। क्लार्क के इससे दोनों आंखों के करीब गहरे कट लग गये।

इस मुकाबले का फैसला सुनाये जाने के बाद अलीव रिंग की रस्सियों के बाहर सीढ़ियों के करीब बैठे हुए हैं। वह वहां से नहीं उठे, जिससे फ्रांस टीम के अधिकारी उनसे बात करने आये और उनके लिये पानी लेकर आये।

आधे घंटे से ज्यादा समय के बाद मुक्केबाजी अधिकारी आये और उन्होंने अलीव और फ्रांस की टीम से बात की। अलीव फिर वहां से चले गये और अन्स सभी कोकुगिकान एरीना के अंदर चले गये। लेकिन करीब 15 मिनट बाद अलीव फिर एरीना लौटे और उन्होंने वहां बैठकर उसी तरह विरोध शुरू कर दिया।

मुकाबले के बाद अलीव जोर जोर से खाली एरीना में चिल्लाकर बोल रहे थे, ‘‘हर कोई जानता है मैं जीत गया था। ’’

प्रतिद्वंद्वी मुक्केबाज क्लार्क ने भी उन्हें शांत करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने एक नहीं सुनी। अलीव इस करीबी मुकाबले का पहला राउंड 3-2 से जीत गये थे।

अलीव का क्वार्टरफाइनल दोपहर के सत्र का अंतिम मुकाबला था जिसका मतलब है कि दूसरा सत्र तीन से ज्यादा घंटे बाद शुरू होगा।

अलीव और क्लार्क का दोनों राउंड में काफी करीबी मुकाबला था और फ्रांसीसी मुक्केबाज ईर्ष्या में मुक्के जड़ते दिख रहे थे।

वहीं पदक जीतने वाले क्लार्क ने कहा कि यह फैसला निष्पक्ष था।

क्लार्क ने कहा, ‘‘मुझे लगा कि उसने दो बार सिर मारा था। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह जानबूझकर मारा गया था या नहीं, मैं इसके बारे में कुछ नहीं कह सकता हूं। मैंने मुकाबले के बाद अलीव को शांत होने को कहा था। तुम दिमाग से नहीं सोच रहे। तुम अपने दिल से सोच रहे हो। मैं जानता हूं कि यह मुश्किल है लेकिन अच्छा यही होगा कि तुम ‘चेजिंग रूम’ में चले जाओ। ’’

ओलंपिक की मुक्केबाजी में रैफरी के फैसले का विरोध करने का सबसे चर्चित मामला 1988 सियोल में आया था जबकि दक्षिण कोरियाई बैंथमवेट मुक्केबाज ब्यून जंग इल ने रिंग से जाने से इनकार कर दिया था क्योंकि सिर का इस्तेमाल करने के लिये उनके दो अंक काट दिये गये थे। ब्यून करीब एक घंटे तक रिंग में रहे थे और सियोल अधिकारियों ने आखिर में बत्तियां बुझा दी थीं।

तोक्यो ओलंपिक में मुक्केबाजी स्पर्धाओं का आयोजन अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ के बजाय अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) विशेष कार्यबल द्वारा कराया जा रहा है क्योंकि उसे आईओसी ने 2019 में प्रतिबंधित कर दिया था।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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