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भारत के वेटलिफ्टर्स की कामयाबी का राज: जर्मन सप्लीमेंट और हर साल 500 से ज्यादा डोप टेस्ट

By भाषा | Updated: April 10, 2018 12:54 IST

भारतीय भारोत्तोलन टीम कॉमनवेल्थ गेम्स से पांच स्वर्ण, दो रजत और दो कांस्य पदक लेकर कल स्वदेश लौटेगी।

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गोल्ड कोस्ट, 10 अप्रैल: हर साल 500 से ज्यादा डोप टेस्ट, विशेष खुराक तथा जर्मनी से आये पोषक सप्लीमेंट 21वें राष्ट्रमंडल खेलों में पांच स्वर्ण पदक जीतने वाले भारतीय वेटलिफ्टर्स की सफलता का राज है । भारतीय भारोत्तोलन टीम पांच स्वर्ण, दो रजत और दो कांस्य पदक लेकर कल स्वदेश लौटेगी। इस खेल में भारत पदक तालिका में अव्वल रहा। 

फीजियो नहीं थे साथ

खेलों के दौरान पूर्णकालिक फिजियो साथ नहीं होने के बावजूद भारतीय भारोत्तोलकों का यह प्रदर्शन सराहनीय है। अभ्यास सत्र के दौरान हर भारोत्तोलक के पास कोच नहीं था क्योंकि साथ आये कोच प्रतिदिन प्रतिस्पर्धा स्थल पर रहते थे। भारत के राष्ट्रीय कोच विजय शर्मा ने कहा, 'इस प्रदर्शन के पीछे पिछले चार साल की मेहनत है । हमने प्रशिक्षण के तरीकों में बदलाव किये और खिलाड़ियों के आहार में भी।' 

उन्होंने कहा, 'साई (SAI) की मेस में हर खिलाड़ी के लिये समान आहार होता है लेकिन अलग अलग खेलों में अलग खुराक की जरूरत होती है। हमने अलग खुराक मांगी जिसमें जर्मनी से आये पोषक सप्लीमेंट और विशेष खुराक यानी मटन और पोर्क शामिल थे।' (और पढ़ें- CWG 2018: हिना सिद्धू ने शूटिंग में बनाया नया रिकॉर्ड, भारत को दिलाया 11वां गोल्ड)

भारत के लिये मीराबाई चानू (48 किलो), संजीता चानू ( 53 किलो), सतीश शिवलिंगम (77 किलो), आर वेंकट राहुल (85 किलो) और पूनम यादव (69 किलो) ने स्वर्ण पदक जीते जबकि पी गुरूराजा (56 किलो) और प्रदीप सिंह (105 किलो) को रजत पदक मिले। विकास ठाकुर (94 किलो) और दीपक लाठेर (69 किलो) ने कांस्य पदक जीते।

शर्मा ने कहा, 'इन बच्चों ने पिछले चार साल में राष्ट्रीय शिविर से 10-12 दिन से ज्यादा की छुट्टी नहीं ली । इतना अनुशासित इनका प्रशिक्षण रहा।' कोच ने यह भी कहा कि डोपिंग से निपटने के लिये भी कड़े कदम उठाये गए। हमने राष्ट्रीय डोपिंग निरोधक एजेंसी की मदद से हर साल 500 से ज्यादा डोप टेस्ट किये। आप रिकार्ड देख सकते हैं। हमने डोपिंग को लेकर खिलाड़ियों के मन में डर पैदा किया।' 

उन्होंने कहा, 'खिलाड़ी धोखा क्यो करते हैं क्योंकि उनकी खुराक अच्छी नहीं होती। हमने उनकी खुराक का पूरा ध्यान रखा।' 

भारतीयों का प्रदर्शन भले ही राष्ट्रमंडल खेलों में यादगार रहा लेकिन पूर्णकालिक फिजियो की कमी जरूर खली । शर्मा ने कहा, 'हम कल प्लस 105 किलो में भी पदक जीत सकते थे लेकिन गुरदीप सिंह की कमर में तकलीफ थी और फिजियो बहुत जरूरी था। हमने अधिकारियों को लिखा है कि भविष्य में ऐसा नहीं होना चाहिये। उम्मीद है कि इस प्रदर्शन के बाद हमारी सुनी जायेगी।' (और पढ़ें- CWG 2018: टूटा गगन नारंग का शूटिंग में मेडल का सपना, 10 बार का मेडल विजेता लौटेगा खाली हाथ)

टॅग्स :कॉमनवेल्थ गेम्सगोल्ड मेडलऑस्ट्रेलिया
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