लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश का पहला दिन, लेह में खुशी तो करगिल में मनाया गया काला दिन

By भाषा | Published: November 1, 2019 05:56 AM2019-11-01T05:56:55+5:302019-11-01T05:56:55+5:30

केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा हटाने और उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने का फैसला लिया था। लद्दाख से भाजपा सांसद जामयांग शेरिंग नामग्याल ने कहा कि जम्मू कश्मीर के लोगों ने लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने को स्वीकार कर लिया है।

First day of Ladakh union territory, happiness in Leh and black day celebrated in Kargil | लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश का पहला दिन, लेह में खुशी तो करगिल में मनाया गया काला दिन

लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश का पहला दिन, लेह में खुशी तो करगिल में मनाया गया काला दिन

Highlightsजनीतिक तथा धार्मिक समूहों की एक संयुक्त कार्रवाई समिति ने 31 अक्टूबर को ‘काले दिन’ के रूप में मनाया।करगिल पर्वतीय विकास परिषद के पूर्व अध्यक्ष असगर अली करबलाई ने लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने पर नाखुशी जतायी

लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश बन जाने पर क्षेत्र में राजनीतिक दलों की ओर से मिलीजुली प्रतिक्रियाएं मिली हैं। करगिल में नेताओं ने ‘काला दिन’ मनाया जबकि लेह में नेता इसे विकास के एक अवसर के तौर पर देख रहे हैं। जम्मू कश्मीर और लद्दाख को केंद्र सरकार के पांच अगस्त के फैसले के अनुसार विभाजित कर दो केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया है।

केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा हटाने और उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने का फैसला लिया था। लद्दाख से भाजपा सांसद जामयांग शेरिंग नामग्याल ने कहा कि जम्मू कश्मीर के लोगों ने लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने को स्वीकार कर लिया है।

नामग्याल अपनी ‘‘पिक्चर अभी बाकी है’’ टिप्पणी से लोकसभा में राज्य के विभाजन पर चर्चा के दौरान सुर्खियों में आए थे। उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘लद्दाख के लोग पिछले 71 वर्षों से इसका इंतजार कर रहे थे। हम इस कदम को समावेशी विकास योजना के तौर पर देखते हैं। इस क्षेत्र में पर्यटन के अलावा सीमा सुरक्षा, रक्षा, परिस्थितिकी तंत्र और औषधीय संयंत्रों के लिए असीम संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इसे एक केंद्र शासित प्रदेश बनाने से बुनियादी ढांचा विकास के लिए और अवसर मिलेंगे।’’

वहीं, करगिल शहर में बुधवार से बाजार बंद हैं और राजनीतिक तथा धार्मिक समूहों की एक संयुक्त कार्रवाई समिति ने 31 अक्टूबर को ‘काले दिन’ के रूप में मनाया। करगिल पर्वतीय विकास परिषद के पूर्व अध्यक्ष असगर अली करबलाई ने लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने पर नाखुशी जतायी और कहा, ‘‘हम इस फैसले के पूरी तरह खिलाफ हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम लगातार इसके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं और पिछले तीन दिनों से लोग सड़कों पर हैं, बाजार बंद हैं और सार्वजनिक वाहन सड़कों से नदारद हैं।’’ करबलाई ने कहा कि करगिल के लोग अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को हटाने के खिलाफ हैं और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटना ‘‘हमारे हितों के खिलाफ हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह लोगों की सहमति के बिना थोपा गया फैसला है। अब हमारे पास कोई विधानसभा या शक्तियां नहीं रही।’’ उल्लेखनीय है कि जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश में पुडुचेरी की तरह विधानसभा होगी जबकि लद्दाख में चंडीगढ़ की तरह कोई विधानसभा नहीं होगी और दोनों का नेतृत्व अलग-अलग उपराज्यपाल करेंगे। लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद (करगिल) के अध्यक्ष और सीईसी फिरोज अहमद खान ने कहा, ‘‘हालांकि इस कदम से विकास होने की उम्मीद है लेकिन लोगों को शिक्षा और नौकरियों को लेकर आशंकाएं हैं। वे नौकरियों के सिलसिले में और सुरक्षा चाहते हैं।’’

उन्होंने लद्दाख के करगिल मंडल में बच्चों के लिए आरक्षण की वकालत करते हुए कहा, ‘‘अगर शिक्षा और अन्य क्षेत्र सभी के लिए खुले हैं तो लोगों को आशंकाएं हैं कि क्या उनके बच्चे अच्छी नौकरियां हासिल कर सकेंगे।’’

करगिल के पूर्व विधान परिषद सदस्य आगा सैयद अहमद रजवी ने कहा, ‘‘करगिल से भेदभाव किया गया है और उसे फिर किनारे कर दिया गया है। इससे पहले भी हम अलग हुए थे और अब हमारी इच्छा के विरुद्ध ऐसा किया गया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘नागरिक यह विभाजन नहीं चाहते। हम आजादी मांगने वाले नहीं हैं, हम एकता और न्याय चाहते हैं। अब जबकि यह विभाजन हो गया है तो करगिल तथा लेह के बीच संतुलन बनाना चाहिए।’’

नुब्रा घाटी के पूर्व विधायक डेल्डन नामग्याल ने कहा, ‘‘हम केंद्र शासित प्रदेश के फैसले का स्वागत करते हैं लेकिन हम अपनी संस्कृति तथा आर्थिक आयामों की रक्षा करने के लिए छठी अनुसूची में शामिल किए जाने की उम्मीद कर रहे हैं।’’

Web Title: First day of Ladakh union territory, happiness in Leh and black day celebrated in Kargil

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