मुंबई में 86,000 मतदाता ऐसे हैं, जिनके नाम एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्र में पाए गएः बीजेपी

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 18, 2019 18:49 IST2019-09-18T18:49:31+5:302019-09-18T18:49:31+5:30

मुंबई भाजपा प्रमुख मंगल प्रभात लोढ़ा ने मांग की कि चुनाव आयोग इन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करें। लोढ़ा ने कहा कि उन्होंने मुंबई या देश के कुछ अन्य हिस्सों में एक निर्वाचन क्षेत्र से अधिक जगह दर्ज नामों का पता लगाने के लिए एक टीम बनायी थी।

There are 86,000 voters in Mumbai whose names were found in more than one constituency: BJP | मुंबई में 86,000 मतदाता ऐसे हैं, जिनके नाम एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्र में पाए गएः बीजेपी

शिवसेना ने निर्वाचन आयोग से प्रत्येक प्रत्याशी की चुनाव खर्च की सीमा 28 लाख रुपये से बढ़ा कर 70 लाख रुपये करने की बुधवार को मांग की।

Highlightsभाजपा नेता ने कहा कि इनमें से कई मतदाता मुंबई के निवासी भी नहीं हैं और भारतीय निर्वाचन आयोग को इसे गंभीरता से लेना चाहिए।लोढ़ा ने महाराष्ट्र चुनाव दिवाली से पहले कराने की मांग की ताकि अधिकतम लोग मतदान कर सकें।

मुंबई भाजपा प्रमुख मंगल प्रभात लोढ़ा ने बुधवार को दावा किया कि शहर में 86,000 मतदाता ऐसे हैं जिनके नाम एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्र में मतदाता सूचियों में पाए गए।

दक्षिण मुंबई में मालाबार हिल से विधायक लोढ़ा ने ऐसे मतदाताओं की सूची यहां मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा को सौंपी। उन्होंने मांग की कि चुनाव आयोग इन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करें। लोढ़ा ने कहा कि उन्होंने मुंबई या देश के कुछ अन्य हिस्सों में एक निर्वाचन क्षेत्र से अधिक जगह दर्ज नामों का पता लगाने के लिए एक टीम बनायी थी।

भाजपा नेता ने कहा कि इनमें से कई मतदाता मुंबई के निवासी भी नहीं हैं और भारतीय निर्वाचन आयोग को इसे गंभीरता से लेना चाहिए। लोढ़ा ने महाराष्ट्र चुनाव दिवाली से पहले कराने की मांग की ताकि अधिकतम लोग मतदान कर सकें क्योंकि लोग दिवाली की छुट्टियों में अपने मूल निवास स्थान पर चले जाते हैं।

अरोड़ा और निर्वाचन आयुक्त अशोक लवासा तथा सुशील चंद्रा अक्टूबर में होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए तैयारियों की समीक्षा करने के लिए मुंबई में हैं। 

शिवसेना ने निर्वाचन आयोग से प्रत्याशियों की खर्च सीमा बढ़ाने की मांग की

महाराष्ट्र में अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर शिवसेना ने निर्वाचन आयोग से प्रत्येक प्रत्याशी की चुनाव खर्च की सीमा 28 लाख रुपये से बढ़ा कर 70 लाख रुपये करने की बुधवार को मांग की। विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों की खर्च सीमा बढ़ाने की शिवसेना की मांग का उसकी सहयोगी पार्टी भाजपा के साथ-साथ शरद पवार नीत राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकंपा) ने भी समर्थन किया है।

मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील आरोड़ा, चुनाव आयुक्तों-- अशोक लवासा और सुशील चंद्रा-- के साथ यहां जनप्रतिनिधियों की हुई बैठक में शिवसेना नेता और राज्यसभा सदस्य अनिल देसाई ने पार्टी का प्रतिनिधित्व किया। चुनाव आयोग के सदस्य अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों की समीक्षा के लिए मुंबई के दौरे पर हैं। देसाई ने कहा कि चुनाव आयोग ने बताया कि चुनाव ईवीएम और वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) मशीन से स्वतंत्र एवं निष्पक्ष तरीके से होंगे। 

ईवीएम को लेकर हमारी चिंताएं नहीं सुनेगा चुनाव आयोग: मलिक

राकांपा नेता नवाब मलिक ने बुधवार को कहा कि चुनाव आयोग के समक्ष इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) को लेकर चिंताएं उठाने का कोई मतलब नहीं है। मलिक ने यह बात महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले विभिन्न मुद्दों को लेकर चुनाव आयोग के अधिकारियों के साथ बैठक के बाद कही। राकांपा और कुछ अन्य विपक्षी दलों ने पूर्व में ईवीएम का लेकर सवाल उठाये हैं।

राकांपा के मुख्य प्रवक्ता मलिक ने आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले यहां चुनाव आयोग के अधिकारियों के साथ बैठक के बाद कहा, ‘‘हमने इसके (ईवीएम) बारे में मौखिक रूप से बात की। यद्यपि वे हमारी बात नहीं सुनेंगे, तो यह मुद्दा क्यों उठाना?’’

मलिक ने कहा कि उनकी पार्टी ने यह भी मांग की है कि चुनाव दिवाली से पहले कराये जाएं क्योंकि त्योहार के समय लोग अपने मूल स्थान को जाते हैं और इससे मतदान प्रतिशत प्रभावित होता है। उन्होंने कहा, ‘‘महाराष्ट्र में 50 प्रतिशत शहरीकरण है।

दिवाली के समय लोग अपने मूल स्थानों के लिए रवाना होते हैं। इसलिए चुनाव दिवाली से पहले होना चाहिए।’’ उन्होंने यह भी मांग की कि एक उम्मीदवार के लिए तय की गई खर्च की सीमा भी बढ़ाई जाए। वर्तमान समय में खर्च की सीमा 25 लाख रुपये है।

मलिक ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय ने आदेश दिया है कि मामलों का सामना करने वालों को इस बारे में तीन बार प्रमुख समाचारपत्रों और चैनल में विज्ञापन देना चाहिए। अब अकेले इस पर पांच से आठ लाख रुपये का खर्च होगा।’’ मलिक ने कहा, ‘‘कार्यकर्ता जब प्रदर्शन करते हैं तो उनके खिलाफ मामले दर्ज होते हैं।

हमने कहा कि चुनाव आयोग को खर्च वहन करना चाहिए या यदि वह नहीं करता है तो (विज्ञापन के लिए) दर वाणिज्यिक नहीं बल्कि सूचना और जनसंपर्क महानिदेशालय की (ओर से निर्धारित) होनी चाहिए।’’ महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री ने कहा कि कई बार पूर्व में यह देखा गया है कि सुरक्षाकर्मी चुनाव संबंधी नियमों से अवगत नहीं होते हैं। इसलिए प्रशिक्षण सत्र आयोजित किये जाने चाहिए। 

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