शरद पवार का आरोप, एल्गार मामले में महाराष्ट्र की पूर्व फड़नवीस सरकार चाहती थी 'कुछ छुपाना', इसलिए NIA को सौंपी जांच
By भाषा | Updated: February 16, 2020 15:41 IST2020-02-16T15:41:11+5:302020-02-16T15:41:11+5:30
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने पूछा कि क्या सरकार के खिलाफ बोलना ''राष्ट्र विरोधी'' गतिविधि है? पवार ने जलगांव में संवाददाताओं से कहा, '' यहां ऐसा लगता है कि तत्कालीन फडणवीस सरकार कुछ छुपाना चाहती थी इसलिए जांच एनआईए को सौंप दी गई। जिस समय कोरेगांव-भीमा हिंसा हुई, उस समय फडणवीस सरकार सत्ता में थी।''

शरद पवार (फाइल फोटो)
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख शरद पवार ने रविवार को एल्गार परिषद मामले में आरोप लगाया कि महाराष्ट्र की पूर्व फडणवीस सरकार ''कुछ छुपाना'' चाहती थी इसलिए मामले की जांच केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंप दी है। माओवादियों से कथित संबंध रखने के आरोप में गिरफ्तार किए गए मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के मामले की पड़ताल विशेष जांच दल (एसआईटी) को सौंपे जाने की पहले ही मांग कर चुके पवार ने कहा कि केंद्र सरकार को जांच एनआईए को सौंपने से पहले राज्य सरकार को भरोसे में लेना चाहिए था।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने पूछा कि क्या सरकार के खिलाफ बोलना ''राष्ट्र विरोधी'' गतिविधि है? पवार ने जलगांव में संवाददाताओं से कहा, '' यहां ऐसा लगता है कि तत्कालीन फडणवीस सरकार कुछ छुपाना चाहती थी इसलिए जांच एनआईए को सौंप दी गई। जिस समय कोरेगांव-भीमा हिंसा हुई, उस समय फडणवीस सरकार सत्ता में थी।''
पवार ने कहा कि एल्गार परिषद मामले की जांच केंद्र के विशेषाधिकार के दायरे में आती है लेकिन उसे राज्य को भी भरोसे में लेना चाहिए था। उन्होंने कहा कि कोरेगांव-भीमा और एल्गार परिषद पुणे में हिंसा से एक दिन पहले हुए थे और दोनों अलग मामले हैं। अपने रुख में बदलाव करते हुए हाल ही में महाराष्ट्र सरकार ने कहा था कि एल्गार परिषद मामले की जांच एनआईए को सौंपे जाने से उसे कोई एतराज नहीं है।
हालांकि, पिछले महीने इस मामले की जांच पुणे पुलिस से लेकर एनआई को सौंपे जाने के कदम की राज्य की शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी नीत सरकार ने निंदा की थी। ये मामला पुणे के शनिवारवाड़ा में 31 दिसंबर 2017 को एल्गार परिषद संगोष्ठी में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने से जुड़ा है।
पुलिस ने दावा किया था कि इन भाषणों के चलते ही अगले दिन जिले के कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा हुई थी। पुलिस ने दावा किया था कि संगोष्ठी के आयोजन को माओवादियों का समर्थन था। जांच के दौरान पुलिस ने वामपंथी झुकाव वाले कई कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था।