महाराष्ट्र चुनाव: सहयोगी दलों के नेताओं को तोड़ रही बीजेपी, मुश्किल में पार्टियां!

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: October 10, 2019 09:41 IST2019-10-10T09:41:52+5:302019-10-10T09:41:52+5:30

Maharashtra Assembly Polls: बीजेपी के सहोगी दल को मुश्किलों को सामना करना पड़ रहा है क्योंकि उन्हें आगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा अपने चुनाव चिह्न् पर लड़ा रही है

Maharashtra Assembly Polls 2019: BJP associate parties in trouble, as they asked to contest on bjp symbol | महाराष्ट्र चुनाव: सहयोगी दलों के नेताओं को तोड़ रही बीजेपी, मुश्किल में पार्टियां!

महाराष्ट्र में बीजेपी के सहयोगियों की बढ़ी मुश्किलें

Highlightsसहयोगी दलों को चुनावों में भाजपा अपने चुनाव चिह्न् पर चुनाव लड़ा रही है सहयोगी दलों का आरोप कि बीजेपी उनके नेताओं को अपने पाले में कर रही है

मुंबई: केंद्र और महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ भाजपा पर अपने ही सहयोगी दलों को कमजोर करने के आरोपों का सामना करना पड़ रहा है। विधानसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर समझौते के बाद दूसरे दलों के उम्मीदवारों को भाजपा अपने चुनाव चिह्न् पर चुनाव लड़ा रही है। 

पार्टी लंबे समय से सरकार में शामिल अपने ही सहयोगी दलों के सदस्यों को सुनियोजित ढंग से अपने पाले में लाती रही है, जिस सहयोगी को कमल निशान पर लड़ाया, वह भाजपा का ही हो गया। भाजपा ने आधिकारिक रूप से रिपाई (आ) को चार सीटें देने का ऐलान किया है, लेकिन यहां भी ये चारों उम्मीदवार भाजपा के चुनाव चिह्न् पर चुनाव लड़ेंगे।

भुसावल में भाजपा के एक पार्षद रवींद्र खरात और उनके परिवार के तीन सदस्यों की गोली मारकर हत्या होने के बाद उनके अंतिम संस्कार में भाजपा नेताओं से ज्यादा रिपिब्लकन पार्टी ऑफ इंडिया (रिपाई ‘आ’) के कार्यकर्ताओं की संख्या थी। यहां तक कि आरपीआऊ (आ) के अध्यक्ष रामदास आठवले भी अपने आधिकारिक कार्यक्रम स्थगित कर उन्हें श्रद्धांजलि देने भुसावल पहुंचे थे।

रवींद्र खरात भुसावल म्यूनिसिपल चुनाव में भाजपा के टिकट पर पार्षद चुने जाने से पहले लंबे समय तक आरपीआई (आ) के सदस्य थे। भाजपा और आरपीआई (आ) महाराष्ट्र में सहयोगी पार्टियां हैं और आरपीआई (आ) ने जब भुसावल सिविक पोल में सीट की मांग की तो भाजपा ने इस सीट को सिर्फ एक शर्त पर आरपीआई (आ) को दिया था कि रवींद्र भाजपा के चुनाव चिह्न् पर लड़ेंगे। इस कदम से भाजपा के लिए दो चीजें पक्की हुईं। पहली, पार्टी के चुनाव चिह्न् पर लड़ने वाला उम्मीदवार अपने आप उनकी पार्टी में आ गया और दूसरा, इससे भाजपा की ताकत बढ़ने का संदेश गया।

सदाभाऊ खोत को स्वाभिमानी शेतकारी संगठना (एसएसएस) के अध्यक्ष राजू शेट्टी का विश्वासपात्र और उनका पुराना सहयोगी माना जाता था। वह देवेंद्र फडणवीस सरकार में एसएसएस कोटे से मंत्री भी बने थे। हालांकि 2017 में सदाभाऊ एसएसएस से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गए। 

शेट्टी के समर्थक दावा करते हैं कि भाजपा के संपर्क में आने के बाद सदाभाऊ का पार्टी को लेकर रवैया बदल गया था और उन्हें पाला बदलने में ज्यादा समय नहीं लगा। इससे नाराज शेट्टी ने इसके तुरंत बाद केंद्र और राज्य की भाजपा-शिवसेना सरकार से खुद को अलग कर लिया था।

भाजपा ने आरएसपी नेता को दिया टिकट, पार्टी ने कर लिया किनारा

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा ने दौंड विधानसभा से राष्ट्रीय समाज पक्ष (आरएसपी) के मौजूदा विधायक राहुल कुल को टिकट दिया है। आधिकारिक रूप से भाजपा का कहना है कि राहुल को आरएसपी के साथ हुए सीट बंटवारे के तहत टिकट मिला है। 
हालांकि आरएसपी चीफ महादेव जंकार ने इसे धोखा बताया है। उन्होंने दावा किया कि उनका कोई भी कार्यकर्ता भाजपा के टिकट पर चुनाव नहीं लड़ेगा। जंकार ने कहा, 'ये मेरे उम्मीदवार नहीं हैं. जिस दिन से उन्होंने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ना शुरू किया, उस दिन से वे भाजपा के हो गए।'

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