शिवेसना ने क्यों किया महाराष्ट्र चुनावों के गठबंधन में बीजेपी का 'जूनियर पार्टनर' बनना स्वीकार, जानिए 5 प्रमुख कारण
By अभिषेक पाण्डेय | Updated: October 2, 2019 15:26 IST2019-10-02T15:26:44+5:302019-10-02T15:26:44+5:30
BJP-Shiv Sena: महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में शिवसेना और बीजेपी के बीच गठबंधन का ऐलान हो गया है, लेकिन इन चुनावों में बीजेपी है बड़े भाई की भूमिका में, जानिए क्यों

बीजेपी शिवसेना के साथ महाराष्ट्र चुनावों के गठबंधन में 'बड़े भाई' की भूमिका में है
भारतीय जनता पार्टी ने मंगलवार को आगामी विधानसभा चुनावों के लिए अपने 125 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी। शिवसेना ने भी 70 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी।
इन दोनों ने सोमवार को आगामी विधानसभा चुनाव साथ में लड़ने का ऐलान किया था। पिछले विधानसभा चुनावों में सीटों के बंटवारे पर सहमति न बनने पर दोनों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था।
लेकिन अब ये स्पष्ट हो चला है कि इन विधानसभा चुनावों में शिवसेना की तमाम कोशिशों के बावजूद बीजेपी ही बड़े भाई की भूमिका निभाएगी।
आइए जानें वे पांच वजहें जिनकी वजह से शिवसेना कम सीटों पर लड़ने को हुई तैयार।
पांच साल में कई गुना बढ़ी बीजेपी की ताकत
शिवसेना को ये अहसास हो गया है कि पिछले पांच सालों में बीजेपी की ताकत और संख्या में कई गुना इजाफा हो चुका है। अब बीजेपी सिर्फ शहरी पार्टी नहीं रही है बल्कि उनसे ग्रामीण इलाकों में भी पैठ बना ली है।
साथ ही शिवसेना का विधानसभा और नगर निकाय चुनावों में अकेले लड़ने का फैसला भी गलत साबित हो गया था।
इस बार मजबूत विपक्ष की चुनौती
पिछले विधानसभा चुनावों में जब बीजेपी और शिवसेना ने अकेले लड़ने का फैसला किया था तो विपक्षी खेमा बंटा हुआ था। पिछले चुनावों में कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी भी गठबधंन नहीं कर पाई थीं। लेकिन इन चुनावों में ये दोनों विपक्षी दलों के लिए अस्तित्व की लड़ाई है और दोनों ने साथ लड़ने का फैसला किया है, ऐसे में बीजेपी और शिवसेना
परिवार की प्रतिष्ठा का सवाल
उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ने पहली बार चुनावी राजनीति में कदम रखा है। वह चुनावी राजनीति में उतरने वाले ठाकरे परिवार के पहले सदस्य हैं। शिवसेना को दुनिया के सामने ये साबित करने की जरूरत है कि ये युवा नेता इतना परिपक्व हो चुका है कि विधानसभा चुनावों में पार्टी के अच्छे प्रदर्शन के लिए उसका नेतृत्व कर सके। ये बिना बीजेपी से गठबंधन के संभव नहीं है।
कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाना
शिवसेना अपने कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाना चाहती है जो बीजेपी के हाथों बड़े भाई का तमगा खोने से नाखुश हैं। लेकिन शिवसेना अपने कार्यकर्ताओं का मनोबल इस बात से बढ़ा रही है कि कोई भी पार्टी चाहे जिनती सीटों पर लड़ रही हो, लेकिन मुख्यमंत्री का पद आदित्य ठाकरे को ही मिलेगा।
ये वजह ही इन विधानसभा चुनावों में शिवसैनिकों के लिए बेहतरीन प्रदर्शन करने और ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने की कोशिश के लिए काफी है।
पिछले चुनावों में दोनों पार्टियों को लगा था झटका
पिछले विधानसभा चुनावों में बीजेपी-शिवसेना ने सीटों के बंटवारे को लेकर बात न बनने पर अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया था। बीजेपी ने जिन 263 सीटों पर चुनाव लड़ा उनमें से 122 सीटें जीती थी, जबकि शिवसेना ने 282 सीटों पर चुनाव लड़ने के बावजूद 63 सीटें ही जीत पाई थीं, ऐसें में दोनों पार्टियां गठबंधन करते हुए वोटों का बंटवारा रोकना चाहती हैं।