आदित्य ठाकरे का फैसला शिवसेना के लिए ‘अच्छे दिन’ ला सकता है, भाजपा की कनिष्ठ सहयोगी बने रहने पर मजबूर

By भाषा | Updated: October 1, 2019 18:54 IST2019-10-01T18:53:23+5:302019-10-01T18:54:32+5:30

शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य (27) ने सोमवार को कहा कि वह 21 अक्टूबर को होने वाला विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। इसके साथ वह ठाकरे परिवार से अब तक चुनाव लड़ने वाले पहले सदस्य हो जाएंगे।

Maharashtra assembly elections: Aditya Thackeray's decision may bring 'good days' for Shiv Sena | आदित्य ठाकरे का फैसला शिवसेना के लिए ‘अच्छे दिन’ ला सकता है, भाजपा की कनिष्ठ सहयोगी बने रहने पर मजबूर

पार्टी सूत्रों के मुताबिक आदित्य का जमीनी शिवसैनिकों (पार्टी के जमीनी कार्यकर्ताओं) के साथ जुड़ाव है।

Highlightsशिवसेना आदित्य को पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री पद का चेहरा के तौर पर पेश कर रही है।बशर्ते कि पार्टी को विधानसभा चुनाव में अपनी सहयोगी पार्टी भाजपा से ज्यादा सीटें मिल जाए।

शिवसेना के एक नेता ने कहा है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव लड़ने का आदित्य ठाकरे का फैसला पार्टी के लिए ‘अच्छे दिन’ ला सकता है, जो पिछले कुछ बरसों से राज्य में भाजपा की कनिष्ठ सहयोगी बने रहने के लिए मजबूर है।

शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य (27) ने सोमवार को कहा कि वह 21 अक्टूबर को होने वाला विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। इसके साथ वह ठाकरे परिवार से अब तक चुनाव लड़ने वाले पहले सदस्य हो जाएंगे। शिवसेना आदित्य को पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री पद का चेहरा के तौर पर पेश कर रही है, बशर्ते कि पार्टी को विधानसभा चुनाव में अपनी सहयोगी पार्टी भाजपा से ज्यादा सीटें मिल जाए।

पार्टी सूत्रों के मुताबिक आदित्य का जमीनी शिवसैनिकों (पार्टी के जमीनी कार्यकर्ताओं) के साथ जुड़ाव है। उनमें महानगर और राज्य के बारे में चर्चाओं में खुद को प्रबल साबित करने की क्षमता है। इन सभी चीजों ने चुनावी राजनीति के लिए उनका मार्ग प्रशस्त किया है।

शिवसेना प्रमुख के एक करीबी सहयोगी हर्षल प्रधान ने बताया कि आदित्य 2009 में राजनीति में उतरने के बाद से संगठन में सक्रिय हैं। वह खुद पर्दे के पीछे रह कर नये युवा नेताओं का एक कैडर बना रहे हैं। प्रधान ने कहा, ‘‘पिछले 10 साल में उन्होंने जमीनी मुद्दों को समझने के लिए समूचे राज्य का दौरा किया है। इसलिए, उन्होंने चुनाव नहीं लड़ने की अपने परिवार की परंपरा तोड़ने का फैसला किया।’’

युवा सेना सचिव वरुण सरदेसाई ने दावा किया कि वह देश में 30 साल से कम उम्र के एक मात्र नेता हैं जिन्होंने अपनी जन आशीर्वाद यात्रा के तहत समूचे राज्य का दौरा किया है और 75 से अधिक आदित्य संसदों (युवाओं के साथ दोतरफा संवाद) को संबोधित किया।

आदित्य ठाकरे के चचेरे भाई सरदेसाई ने कहा कि देश में युवा नेता (अन्य पार्टियों के) 40 से अधिक साल की आयु के हैं। उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने अपनी यात्राओं से जो डेटा जुटाए हैं उनका उपयोग शिवसेना का घोषणापत्र तैयार करने में किया जाएगा।

आदित्य के चुनाव मैदान में उतरने से, शिवसेना के अच्छे दिन आने वाले हैं।’’ शिवसेना के एक सूत्र ने बताया कि पार्टी के वरिष्ठ नेता एकनाथ शिंदे और सुभाष देसाई ने भी पार्टी को इस बात के लिए मनाया है कि मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य को देखते हुए परिवार से कोई व्यक्ति विधानसभा में पहुंचे। इसलिए वर्ली सीट एक महफूज सीट के तौर पर चुनी गई है।

राकांपा नेता सचिन अहीर को शिवसेना में शामिल करना इसी योजना का हिस्सा था। सचिन वर्ली (मुंबई) से विधायक रहे थे। उन्होंने बताया कि शिवसेना के राज्यसभा सदस्य संजय राउत ने पिछले हफ्ते राकांपा प्रमुख शरद पवार से मिल कर अनुरोध किया था कि वह वर्ली में आदित्य के खिलाफ कोई उम्मीदवार नहीं उतारें।

सूत्र ने बताया कि उन्होंने पवार को इस बात की याद दिलाई कि किस तरह से बाल ठाकरे ने उनकी बेटी सुप्रिया सुले को राज्यसभा भेजने के लिए चुनाव में मदद पहुंचाई थी। वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में कुल 288 सीटों में शिवसेना ने 63 पर जीत दर्ज की थी जबकि भाजपा को 122 सीटें मिली थी। दोनों दलों ने अपने-अपने बूते चुनाव लड़ा था। 

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