महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019: 23 वर्षों से लटका है गोंदिया का ड्रीम प्रोजेक्ट, किसान दुखी
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 9, 2019 10:41 IST2019-09-09T10:41:49+5:302019-09-09T10:41:49+5:30
सिंचाई विभाग के कार्यकारी अभियंता अरविंद गेडाम के अनुसार 2016 तक इस प्रकल्प का काम शुरू था. लेकिन इसी कालावधि में वन्यजीव कानून लागू हुआ.

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019: 23 वर्षों से लटका है गोंदिया का ड्रीम प्रोजेक्ट, किसान दुखी
राधेश्याम भेंडारकर
भाजपा-शिवसेना के समय का महत्वाकांक्षी झांसीनगर उपसा सिंचाई प्रकल्प पिछले 23 वर्ष से राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव में आरंभ होने की राह देख रहा है. तत्कालीन सिंचाई एवं वित्त मंत्री महादेवराव शिवणकर, पूर्व उपमुख्यमंत्री स्व.गोपीनाथ मुंडे ने इस प्रकल्प को मंजूरी दिलाई थी. प्रोजेक्ट की आड़ में राजनीतिक रोटियां सेंके जाने से किसानों कासपना अधूरा है.
वर्ष 1996 में इस प्रकल्प को प्रशासकीय मंजूरी मिली थी. 14.43 करोड़ रुपए के इस प्रस्तावित प्रकल्प की कीमत अब 150 करोड़ रुपए हो गई है. सिंचाई योजना तहसील के येरंडी द्ररे गांव के समीप इटियाडोह बांध के डूबित क्षेत्र में प्रस्तावित है. अधिकारियों ने 2017 तक इस प्रकल्प का काम पूरा होने की बात कही थी. लेकिन उनकी बातें झूठी साबित हुई हैं. अधिकारी सही जानकारी देने से ही कतरा रहे हैं.
भाजपा के तत्कालीन पालकमंत्री महादेवराव शिवणकर ने 1996 में इस प्रकल्प को मंजूरी दिलाई थी. वर्ष 2009 में राजकुमार बडोले क्षेत्र के विधायक चुने गए. इसके बाद 2014 के चुनाव में बडोले जीते और राज्य कैबिनेट में मंत्री तथा जिले के पालकमंत्री बने. लेकिन बडोले के अब तक के 10 वर्ष के कार्यकाल में भी यह प्रकल्प शुरू नहीं हो सका है.
केंद्र सरकार की मंजूरी अनिवार्य
सिंचाई विभाग के कार्यकारी अभियंता अरविंद गेडाम के अनुसार 2016 तक इस प्रकल्प का काम शुरू था. लेकिन इसी कालावधि में वन्यजीव कानून लागू हुआ. नवेगांवबांध का एरिया बफर जोन में चला गया. इसके लिए केंद्र सरकार की मंजूरी जरूरी थी. लेकिन अनुमति नहीं मिली. इस कारण मुख्य नहर एवं उपनहरों के कामों में अड़चन आ रही है. 12 किमी में से 6 किमी का काम अधूरा है. राज्य वन्यजीव मंडल को प्रस्ताव भेजा गया है. 28 अगस्त को मुख्यमंत्री के साथ बैठक हुई है और प्रस्ताव भेजा गया है.
किसानों के साथ किया जा रहा था धोखा
योजना के लिए बिजली कनेक्शन लिया गया है. इसका 17000 रु. मासिक का बिल भी अदा किया जा रहा है. किसानों के साथ किए गए वादे के अनुरूप इस योजना के प्रथम चरण में बांध के डूबित क्षेत्र से 25.23 दलघमी पानी को लिफ्ट कर तहसील के येरंडी, जब्बारखेडा, पवनी, कोहलगांव, धाबेटेकडी, जांभली, चुटिया, धानोली, तिडका, झांसीनगर, एलोडी, रामपुरी इन 12 आदिवासी गांवों की 2500 हेक्टेयर जमीन को सिंचित क्षेत्र में लाने का नियोजन था.