महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव: 50 सीटों पर भाजपा-शिवसेना के बीच टकराव! जानें किसको चाहिए कहां सीटें

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 12, 2019 08:08 IST2019-09-12T08:08:50+5:302019-09-12T08:08:50+5:30

राज्य के कम से कम 50 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जिनको लेकर दोनों पार्टियों के बीच खींचतान की स्थिति है. किसी भी स्थिति में हम अपनी सीट नहीं छोड़ेंगे ऐसी मांग के साथ भाजपा और शिवसेना के स्थानीय नेता अड़ गए हैं.

Maharashtra assembly elections 2019: BJP-Shiv Sena clash in 50 seats know who needs seats | महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव: 50 सीटों पर भाजपा-शिवसेना के बीच टकराव! जानें किसको चाहिए कहां सीटें

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव: 50 सीटों पर भाजपा-शिवसेना के बीच टकराव! जानें किसको चाहिए कहां सीटें

Highlightsशिवसेना का कहना है कि भाजपा ने मोदी लहर के कारण लोकसभा में विजय हासिल की है जबकि विधानसभा चुनाव को लेकर राज्य में शिवसेना ज्यादा लोकप्रिय दल है.बीजेपी का कहना है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी के महाराष्ट्र सहित पूरे देश में उसका अच्छा प्रदर्शन दावे को सही ठहराता है.

भाजपा-शिवसेना युति का सीटों के बंटवारे के मुद्दे पर फॉर्मूले बनाने को लेकर भले ही बैठकों का दौर जारी हो लेकिन, दोनों दल कई सीटों को लेकर अपनी-अपनी दावेदारी कर रहे हैं.

इसको लेकर दोनों के बीच तनाव की स्थिति है. दोनों दलों के बड़े नेता ऊपरी तौर पर हालांकि एकता दिखाने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन अंदर की स्थिति बिल्कुल विपरीत है.

राज्य के कम से कम 50 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जिनको लेकर दोनों पार्टियों के बीच खींचतान की स्थिति है. किसी भी स्थिति में हम अपनी सीट नहीं छोड़ेंगे ऐसी मांग के साथ भाजपा और शिवसेना के स्थानीय नेता अड़ गए हैं.

युति के बीच तनाव का प्रमुख कारण यह है कि अब तक शिवसेना जिन सीटों से अपने उम्मीदवार खड़े करती रही उन सीटों में से ज्यादातर भाजपा अपने लिए मांग रही है.

भाजपा का तर्क है कि भले ही 2014 के विधानसभा चुनाव में उसकी स्थिति कुछ भी रही हो लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के महाराष्ट्र सहित पूरे देश में उसका अच्छा प्रदर्शन पार्टी के दावे को सही ठहराता है. वहीं शिवसेना का कहना है कि भाजपा ने मोदी लहर के कारण लोकसभा में विजय हासिल की है जबकि विधानसभा चुनाव को लेकर राज्य में शिवसेना ज्यादा लोकप्रिय दल है.

औरंगाबाद जिले में तीन सीटों पर विवाद
औरंगाबाद पश्चिम (अनुसूचित जाति) वर्तमान में शिवसेना के पास है. विधायक संजय सिरसाट के इस क्षेत्र पर अब भाजपा के पूर्व उप महापौर राजू शिंदे ने दावा ठोंका है. औरंगाबाद मध्य ये सीट युति के समय शिवसेना के हिस्से में था. 2014 में एआईएमआईएम के मौजूदा सांसद इम्तियाज जलील ने यहां से जीत दर्ज की थी. उनके खिलाफ मैदान में उतरे शिवसेना के प्रदीप जायस्वाल और भाजपा के किशनचंद तनवानी को शिकस्त मिली थी. अब भाजपा ने इस सीट पर दावा ठोंका है.   सिल्लोड विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के विजयी उम्मीदवार विधायक अब्दुल सत्तार ने अब शिवसेना का दामन थाम लिया है.

तुलजापुर में भी सीटों पर किचकिच
उस्मानाबाद जिले के दो विधानसभा सीटों को लेकर युति के बीच अनबन के संकेत मिल रहे हैं. 1999 से अब तक तुलजापुर विधानसभा सीट पर युति के समय भाजपा लड़ती आई है. लेकिन शिवसेना के पिछली बार के उम्मीदवार संजय निंबालकर ने अपनी ओर से तैयारी भी शुरू कर दी है. पूर्व मंत्री विधायक राणा जगतसिंह पाटिल के भाजपा में प्रवेश से युति में इस सीट को लेकर खींचतान शुरू होने के संकेत है. राणा के लिए भाजपा उस्मानाबाद विधानसभा सीट शिवसेना से मांगने की जुगत लगा रही है.

पाथरी सीट पर भी खींचातानी
परभणी जिले की पाथरी विधानसभा सीट को लेकर भी शिवसेना-भाजपा के बीच रस्साकसी जारी है. 2014 के चुनाव में पाथरी से मैदान में उतरे निर्दलीय उम्मीदवार मोहन फड़ ने शिवसेना के तात्कालीन उम्मीदवार मीराताई रेंगे को हराया था. फड़ ने पहले शिवसेना का दामन थामा लेकिन शिवसेना सांसद बंडू जाधव से विवाद के चलते वह भाजपा में चले गए. अब वह भाजपा से पाथरी की उम्मीदवारी मांग रहे हैं.

नांदेड़ में भी फंसा पेंच
नांदेड जिले की 9 में से 2 विधानसभा सीटों पर भाजपा ने चुनाव लड़ा था, जबकि शेष 7 विधानसभा सीटों पर शिवसेना ने अपने उम्मीदवार उतारे थे. लेकिन अब नांदेड़ जिले में भाजपा का प्रभाव बढ़ गया है.  जिसकी वजह से भाजपा ने शिवसेना के कोटे की चार सीटों पर दावा ठोंका है. हालांकि अभी तय नहीं हुआ है लेकिन दोनों दलों में रस्साकसी का दौर जारी है.

शिवसंग्राम की शिवसेना  

बीड़ सीट पर भी अगर-मगर के बादल मंडरा रहे हैं. क्योंकि युति होती है, तो यह सीट शिवसेना को दी जाए या शिवसंग्राम को यह बड़ा सवाल है. हालांकि यह सीट शिवसेना के पास है. 2014 में युति नहीं होने से शिवसंग्राम के के विनायक मेटे ने भाजपा टिकट पर चुनाव लड़ा था और राकांपा के जयदत्त क्षीरसागर को हराया था.

कागल-चंदगड में रस्साकशी
कोल्हापुर जिले में कुल 10 में से 6 विधायक शिवसेना के, जबकि 2 भाजपा के हैं. युति होने पर यह सीटें इन्हीं पार्टियों के पास रहेंगीं. अब इस बात को लेकर रस्साकशी जारी है कि शेष बची कागल और चंदगड सीटें किसके हिस्से में जाएंगीं. इन दोनों निर्वाचन क्षेत्रों में पिछले चुनाव में शिवसेना दूसरे स्थान पर रही थी, लेकिन शिवसेना के पास पहले से ही ज्यादा सीटें होने का कारण बताते हुए भाजपा ने दोनों सीटों पर अपना दावा जताया है.

कागल सीट पर युति में ज्यादा रस्साकशी है. यहां से भाजपा ने पहले ही समरजीत घाटगे की उम्मीदवारी की घोषणा कर दी है. शिवसेना की ओर से पूर्व विधायक संजय घाटगे ने टिकट की मांग की है. चंदगड सीट पर भाजपा की ओर से कई नेता टिकट पाने के इच्छुक हैं. राकांपा विधायक संध्यादेवी कुपेकर की बेटी नंदिनी बाभुलकर का भाजपा में प्रवेश भी इसी बात के चलते अधर में लटका हुआ है.

सातारा जिले में विवाद की स्थिति
सातारा जिले में 8 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र हैं. इनमें से एक भी सीट भाजपा के पास नहीं है, लेकिन अब भाजपा ने 8 में से 7 सीटों पर अपना दावा ठोंक दिया है. कोरेगांव, वाई, कराड़ उत्तर, मान-खटाव और फलटण सीट को लेकर युति में रस्साकशी जारी है.

नासिक : 2 सीटें महत्वपूर्ण
नासिक जिले के नांदगाव-मनमाड निर्वाचन क्षेत्र में पिछली बार शिवसेना के सुहास कांदे ने जोरदार टक्कर दी थी. इस वजह से शिवसेना को यह सीट अपनी पार्टी के लिए अनुकूल प्रतीत हो रही है. लेकिन भाजपा की ओर से पहली बार इस सीट पर दावेदारी जताई जा रही है. इगतपुरी-त्र्यंबक निर्वाचन क्षेत्र की कांग्रेस विधायक निर्मला गावित ने शिवसेना में प्रवेश कर लिया है. पिछली बार गावित ने शिवसेना के शिवराम झोले को 10 हजार वोटों से पराजित किया था. झोले अब भाजपा की ओर से दावेदार हैं.

सोलापुर : युति की दिक्कत  
माढ़ा सीट पहले शिवसेना के पास थी. यहां से जल संसाधन मंत्री तानाजी सावंत के भाई शिवाजी सावंत  चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी में हैं. उधर, कल्याणराव काले का मुख्यमंत्री ने भाजपा में प्रवेश कराया है. विधायक बबनराव शिंदे भी भाजपा में प्रवेश करने के लिए प्रयासरत हैं. बार्शी में शिवसेना के पूर्व विधायक राजेंद्र राऊत भाजपा में प्रवेश कर चुके हैं, जबकि राकांपा के विधायक दिलीप सोपल ने हाल ही में शिवसेना का दामन थाम लिया है.

नागपुर की 4 सीटों को लेकर पसोपेश
नागपुर शहर समेत जिले की 12 सीटों में से रामटेक, काटोल, सावनेर तथा दक्षिण नागपुर निर्वाचन क्षेत्रों में भाजपा और शिवसेना युति का पेंच फंसा हुआ है. पिछले चुनाव में रामटेक में भाजपा के विधायक डी. मल्लिकाजरुन रेड्डी ने शिवसेना के पूर्व विधायक आशीष जायसवाल को हराया था.  

रामटेक को शिवसेना के निर्वाचन क्षेत्र के तौर पर जाना जाता है. काटोल में पिछली बार भाजपा से चुनाव मैदान में उतरे पूर्व आशीष देशमुख के इस्तीफा देने से अब शिवसेना ने इस सीट के लिए दावा किया है.

सावनेर में पिछली बार भाजपा के उम्मीदवार सोनबा मुसले का आवेदन छंटनी में रद्द कर दिया गया था. इसलिए शिवसेना के विनोद जीवतोड़े ने कांग्रेस के विधायक सुनील केदार को टक्कर दी. उस समय मैदान में उनका उम्मीदवार नहीं होने के कारण भाजपा ने पूरी ताकत से शिवसेना की मदद की थी. इस बार भाजपा, शिवसेना दोनों दावा कर रहे हैं.

अकोला में शिवसेना का अस्तित्व खतरे में

कुल पांच में से चार निर्वाचन क्षेत्रों में भाजपा जबकि एक निर्वाचन क्षेत्र में भारिप-बमसं का विधायक है. शिवसेना ने दो निर्वाचन क्षेत्रों की मांग की है. इसमें से एक बालापुर निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा का विधायक नहीं होने से यह निर्वाचन क्षेत्र शिवसेना को देने की मांग है लेकिन यहां शिवसंग्राम ने दावा किया है. अकोट सीट से 2014 में भाजपा के प्रकाश भारसकाले विजयी हुए थे लेकिन  शिवसेना इस सीट पर दावेदारी जता रही है. शिवसेना का तर्क है कि भारसकाले बाहरी क्षेत्र के हैं अत: यह सीट उसके कोटे में आनी चाहिए.

वरोरा सीट चाहते हैं दोनों दल
चंद्रपुर जिले की वरोरा सीट पर भी भाजपा और शिवसेना दोनों दावेदारी कर रहे हैं. 2014 के विधानसभा चुनाव में यह सीट शिवसेना ने जीती थी. पार्टी के विधायक सुरेश उर्फ बालू धानोरकर  2019 में कांग्रेस के टिकट से चुनाव जीतकर लोकसभा  पहुंच गए. इस सीट पर शिवसेना अपना उम्मीदवार खड़ा करना चाहती है, वहीं भाजपा नेता और पूर्व मंत्री संजय देवतले इस सीट से चुनाव लड़ने के लिए इच्छुक हैं.

भंडारा विस क्षेत्र को लेकर शीतयुद्ध
भंडारा जिले की भंडारा, तुमसर और साकोली तीनों सीटों को लेकर भाजपा अपना हक जता रही है. वहीं जिले की भंडारा सीट को लेकर शिवसेना ने कमर कस ली है. वर्ष 2014 के चुनाव में तीनों सीटें भाजपा ने जीतीं थीं.

बडनेरा, तिवसा के लिए रस्साकसी
अमरावती जिले की बडनेरा, तिवसा दोनों सीटों पर विवाद है. बडनेरा से निर्दलीय विधायक रवि राणा भाजपा के समर्थक हैं वहीं शिवसेना भी हक जता रही है.

अहमदनगर, श्रीरामपुर को लेकर फंसा पेंच
अहमदनगर जिले की 12 सीटों में से श्रीरामपुर को लेकर युति के बीच तनाव है. अकोले, संगमनेर, कोपरगांव, शिरडी, श्रीरामपुर, अहमदनगर और पारनेर शिवसेना के कोटे वाली सीटें हैं. 2014 के विधानसभा चुनाव में दोनों दलों में समझौता नहीं था. कोपरगांव से भाजपा जीती थी वहीं पारनेर सीट से शिवसेना ने विजय हासिल की थी. अहमदनगर सीट शिवसेना के पाले में गई थी. अगर भाजपा-शिवसेना युति में बात बनती है तो भाजपा अहमदनगर सीट की मांग अपने लिए कर सकती है.

कांग्रेस के विधायक भाऊसाहब कांबले दलबदलकर शिवसेना में आ गए हैं. वहीं भाजपा से नाता जोड़ चुके राधाकृष्ण विखे पाटिल श्रीरामपुर सीट भाजपा के खाते में चाहते हैं. सांसद सदाशिव लोखंडे चाहते हैं कि यह सीट शिवसेना के पास रहे. अहमदनगर और श्रीरामपुर सहित इन सीटों को लेकर चल रहे तनाव और इस पृष्ठभूमि में भाजपा और शिवसेना के बीच क्या समझौता होता है यह आने वाले समय में ही पता चल सकेगा.

वरोरा सीट चाहते हैं दोनों दल

चंद्रपुर जिले की वरोरा सीट पर भी भाजपा और शिवसेना दोनों दावेदारी कर रहे हैं. 2014 के विधानसभा चुनाव में यह सीट शिवसेना ने जीती थी. पार्टी के विधायक सुरेश उर्फ बालू धानोरकर  2019 में कांग्रेस के टिकट से चुनाव जीतकर लोकसभा  पहुंच गए. इस सीट पर शिवसेना अपना उम्मीदवार खड़ा करना चाहती है, वहीं भाजपा नेता और पूर्व मंत्री संजय देवतले इस सीट से चुनाव लड़ने के लिए इच्छुक हैं.

Web Title: Maharashtra assembly elections 2019: BJP-Shiv Sena clash in 50 seats know who needs seats

महाराष्ट्र से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे