महाराष्ट्र चुनावः आयाराम-गयाराम का सिलसिला जारी, किसी ने बीजेपी, तो किसी ने मारी कांग्रेस में धमाकेदार एंट्री
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: October 13, 2019 06:03 IST2019-10-13T06:03:22+5:302019-10-13T06:03:22+5:30
Maharashtra Assembly Election: विधानसभा चुनाव घोषित होने के पूर्व ही कांग्रेस के कृषि उपज मंडी के सभापति संतोष टाले ने भाजपा में प्रवेश ले लिया. जबकि उनकी पत्नी अर्चना टाले खामगांव नगर परिषद में कांग्रेस की विपक्ष की नेता हैं. संतोष टाले के अचानक इस निर्णय से कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है.

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मोहम्मद रियाज़
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की घोषणा होते ही एक पार्टी से दूसरी पार्टी में प्रवेश करनेवाले आयाराम-गयाराम का दौर शुरू हो चुका है. कोई भाजपा का कार्यकर्ता कांग्रेस में, तो कोई कांग्रेस का भाजपा में, तो कोई सेना का वंचित बहुजन आघाड़ी में प्रवेश ले रहा है. यह आश्चर्य की बात है कि कार्यकर्ताओं को अपनी पार्टी ऐन चुनाव के समय ही अच्छी-बुरी लगने लगती है.
खामगांव विधानसभा में भी आयाराम गयाराम का दौर जारी है. खामगांव में मुकाबला कांग्रेस के ज्ञानेश्वर पाटिल और भाजपा के आकाश फुंडकर के बीच है. चुनावी मैदान में वैसे तो 12 उम्मीदवार हैं, लेकिन वंचित बहुजन आघाड़ी के शरद वसतकार भी अच्छे खासे वोट ले सकते हैं, ऐसी संभावना राजनीतिज्ञों द्वारा जताई जा रही है.
अब बात करें आयाराम-गयाराम की. विधानसभा चुनाव घोषित होने के पूर्व ही कांग्रेस के कृषि उपज मंडी के सभापति संतोष टाले ने भाजपा में प्रवेश ले लिया. जबकि उनकी पत्नी अर्चना टाले खामगांव नगर परिषद में कांग्रेस की विपक्ष की नेता हैं. संतोष टाले के अचानक इस निर्णय से कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है. ले दे कर कांग्रेस के पास कृषि उपज मंडी बची थी. दूसरी ओर कांग्रेस के नाक में दम करनेवाले भाजपा के स्वीकृत पार्षद संदीप वर्मा पिछले एक वर्ष से भाजपा के नेताओं से नाराज चल रहे थे.
उन्होंने अखबारों के माध्यम से खुली नाराजगी भी जताई बल्कि नगर परिषद में सत्ताधारी भाजपा के खिलाफ ही नगर परिषद में शिकायत कर दी. इससे उनके बगावत के तेवर साफ तौर पर दिखाई दे रहे थे. भाजपा के वरिष्ठ नेताओं द्वारा उन्हें मनाने की कोशिश की गई. यहां तक कि नामांकन के दिन भाजपा की रैली में संदीप वर्मा दिखाई भी दिए लेकिन उनके चेहरे पर साफ नाराजगी दिखाई दे रही थी.
इस दौरान कांग्रेस की उम्मीदवारी ज्ञानेश्वर पाटिल को घोषित होने के बाद संदीप वर्मा के कांग्रेस प्रवेश की अटकलें तेज हो गई थीं. हुआ भी ऐसा ही एक दौर में पूर्व विधायक दिलीपकुमार सानंदा के विरोधी माने जानेवाले संदीप वर्मा ने उनके ही जनसंपर्क कार्यालय में कांग्रेस का दामन थाम लिया.
कांग्रेस के लिए संदीप वर्मा का आगमन वहीं भाजपा के लिए संतोष टाले का पार्टी में आगमन बड़ी उपलब्धि थी. इससे आगे, अपने आप को एमआईएम का संभावित उम्मीदवार बतानेवाले असलम पटेल ने भी अपने कार्यकर्ताओं के साथ कांग्रेस में प्रवेश कर लिया.
कुछ हद तक जलगांव जामोद में भी ऐसा ही हाल रहा. यहां पर राकांपा के संगीतराव भोंगल ने ऐन वक्त पर वंचित बहुजन आघाड़ी का दामन थामकर विधानसभा चुनाव के लिए टिकट भी हासिल कर लिया जबकि वंचित ने शरद बनकर को पहले अपना उम्मीदवार घोषित किया था. दूसरी ओर मलकापुर के कांग्रेस नेता बलदेवराव चोपड़े ने भी भाजपा में प्रवेश ले लिया. यह सिलसिला सभी पार्टियों में चलता रहा. छोटे-मोटे कार्यकर्ता, पदाधिकारियों का अपनों को छोड़कर निर्दलीयों के खेमे में जाने का दौर अभी भी शुरू है.